लखनऊ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रधानमन्त्री द्वारा पाकिस्तान की गतिविधियों पर व्यक्त की गई प्रतिक्रिया का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि उसका एक हिस्सा जिसे बलूचिस्तान कहते हैं, वहाँ सनातन मत के 52 शक्तिपीठों में से एक हिंगलाज माता शक्तिपीठ स्थित है और आज भी वहाँ पूजा होती है. बलूचिस्तान पाकिस्तान का 44% हिस्सा है. जिस दिन विभाजन हुआ था, उसी दिन बलूचिस्तान ने अंग्रेजों को चिट्ठी लिखकर कह दिया था कि हम पाकिस्तान में सम्मिलित नहीं होंगे. पर, जिन्ना और अंग्रेजों ने कूटनीति से सैनिक आक्रमण करके इस पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया और सन् 1948 से बलूचिस्तान स्वतंत्र बलूचिस्तान का आन्दोलन कर रहा है. पाकिस्तान की सेना ने टेंकरों और तोंपो से लगभग 1 लाख तक बलूचों के कत्ल किए होंगे और 7-8 लाख बलूच उजाड़ भी दिए होंगे. बहुत से बलूच भारत तथा दुनिया के अन्य देशों में रहते हैं जो लड़ रहे हैं और स्वतंत्र बलूचिस्तान चाहते हैं. गिलगित, बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, हमीरपुर ये जो गुलाम काश्मीर है, यहाँ के लोग हिन्दुस्थान में मिलना चाहते हैं जो 14% भूभाग है. तीसरा सिंध का भूभाग है, उसने पाकिस्तान में सम्मिलित होने के लिए आत्मसमर्पण तो कर दिया, परन्तु आज भी वहाँ स्वतंत्र सिन्धु देश का आन्दोलन चल रहा है. इसलिए भारत ने कहा – इस कश्मीर के जनमत संग्रह को तो छोड़ दो, जहाँ उसने दो लाख कत्ल कर दिए हैं और 10-15 लाख उजाड़ दिए और अपने पाकिस्तान में जनमत संग्रह कराओ. वर्ष 1947 के पहले दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान नहीं था और अगर अभी के पाकिस्तान के आंदोलनरत क्षेत्र में जनमत संग्रह करवाया जाए तो नक्शे पर फिर पाकिस्तान नहीं बचेगा.
इन्द्रेश कुमार जी उत्तर लखनऊ सीतापुर रोड में स्थित राज स्टेट लॉन में महानगर के महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे देश रक्षा का संकल्प लें और और समाजहित में सक्रिय हों. कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 9.30 बजे भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन करने के साथ हुआ. जिसके बाद कार्यक्रम के अध्यक्ष रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एमएल भट्ट ने युवाओं से कहा कि वे देशहित में नए नए शोध करने के लिए अग्रसर हों. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक शिवनारायण जी ने छात्रों से कहा कि अपनी प्रतिभा का उपयोग हम अपने मूल्यों और पूर्वजों की खोज के आधार पर करें. अतीत का अध्ययन करते हुए वर्तमान की पीड़ा का अनुभव करें और संकल्प लें कि समाज की विकृति विसंगति को मैं आगे नहीं बढ़ने दूँगा. स्वयं का एकांगी चिंतन छोड़ते हुए व्यक्ति-व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन लाने में युवा अपनी सहभागिता करें, देश की सात्विक वृत्तियाँ अन्याय के खिलाफ खड़ी हों, इसके लिए उन्हें एकजुट करने में लग जाएँ. लगभग एक हजार युवा इस सामर्थ्य सम्मलेन में सहभागिता कर रहे थे. कार्यक्रम में मंच पर अतिथियों के अलावा सह प्रान्त संघचालक डॉ. हरमेश चौहान जी तथा विभाग संघचालक जयकृष्ण सिन्हा जी उपस्थित रहे.