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कृष्णप्पा जी के आदर्शों को अपने जीवन में धारण करने का संकल्प लें – डॉ. मोहन भागवत

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IMG_3009बंगलुरू (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हमें अपने जीवन में परिवर्तन के लिए कृष्णप्पा जी के जीवन आदर्शों का अनुकरण करना चाहिए, और उनके जीवन से एक आदर्श-आदत (गुण) का जीवन भर पालन करने का व्रत लेना चाहिए. सरसंघचालक जी बंगलुरू में संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. ना कृष्णप्पा जी को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए आयोजित श्रद्धांजलि सभा में संबोधित कर रहे थे.

सरसंघचालक जी ने कहा कि मैंने कर्नाटक में विश्व संघ शिक्षा वर्ग के दौरान कृष्णप्पा जी के साथ एक माह का समय व्यतीत किया, और 20 दिन विदर्भ में उनके प्रवास के दौरान, उस समय मैं प्रांत प्रचारक था. जब उनके जीवन को देखा जाता तो उनके पूरे जीवन में मूल्य, प्रतिबद्धता, अनुशासन जीवन भर एक समान दिखते हैं. यह हमें बताता है कि किस प्रकार महान व्यक्तित्व सहज रूप से मूल्यों को अपने जीवन में ढाल लेते हैं. उन्होंने समाज सेवा के प्रति अपने संकल्प को पूरा करने के लिए जीवन को व्यवस्थित किया. उनका अपने शरीर और मस्तिष्क पर पूरा नियंत्रण था, यही कारण है कि वह कैंसर जैसी बीमारी से सफलता से लड़े. उनका जीवन अनेकों के लिए आदर्श था और है.

DSC_2104उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में हम पुण्य की गिनती नहीं करते. कृष्णप्पा जी ने अपना पूरा जीवन सामाजिक कार्यों के लिए जिया. कृष्णप्पा जी सादगी के प्रतीक थे. उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र के व्यापक विकास के चिंतन व कार्य के लिए समर्पित किया. एक प्रचारक का जीवन समाज के प्रति पूजा के समान होता है, मनसा-वाचा-कर्मणा, बुद्धिना-आत्मना, सदा-सर्वदा समाज की पूजा. हमें संकल्प लेना चाहिए कि कृष्णप्पा जी के आदर्शों को अपने जीवन में धारण करेंगे.

सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि वे मृत्युमित्र थे. उन्होंने 3 दशकों तक दृढ संकल्प के साथ कैंसर से लड़ाई लड़ी. मैं उन्हें अपने स्कूल के दिनों से जानता हूं, वह मेरे स्कूल के दिनों से ही मेरे लिए आदर्श रहे. उनका व्यक्तित्व विशाल व्यक्तित्व था. वह अंत समय तक ध्येयजीवी रहे. वह मंगलुरू विभाग प्रचारक थे, व शिवमोगा आया करते थे. डॉ. एसएल भैरप्पा जी ने ध्येयजीवी शंकर के रूप में अपने नोवेल धर्मश्री में वर्णन किया है. उन्होंने हमेशा रचनात्मक कार्यों और संघ प्रेरित संगठनों मे नए उद्यमों का समर्थन किया. वे निमित्त मात्रम भव में विश्वास करते थे, हम केवल समाज सेवा का माध्यम हैं. कुटुंब प्रबोधन उनकी यादगार पहल है, परिवार प्रणाली में मूल्यों का संचार व प्रसार. सभी क्षेत्रों के कार्यक्रताओं के लिए कृष्णप्पा जी आदर्श थे.

IMG_2850पेजावर स्वामी परमपूज्य विश्वेश तीर्थ जी ने कहा कि वे एक राष्ट्रभक्त थे. उनका जीवन स्पर्शमणि जैसा था, एक महान व्यक्तित्व जो संगठन से लोगों को जोड़ने के लिए अपनी और आकर्षित करता था. जीवन भोग के लिए नहीं बल्कि त्याग और सेवा के लिए है. उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज कल्याण के लिए समर्पित कर दिया .

प्रसिद्ध कलाकार टीएन सीताराम ने कहा कि उनके जीवन ने बचपन से मुझे प्रभावित किया. मेरे पिताजी एक कांगेसी थे और उनकी संघ के प्रति अपनी अवधारणा थी. लेकिन हमारे घर कृष्णप्पा जी नियमित रूप से आते थे और उन्होंने आरएसएस पर मेरे पिता जी की राय को बदल दिया. वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने व्यावहारिक रूप से मुझे धर्मनिरपेक्ष शब्द का सही अर्थ समझाया. सामाजिक सद्भाव पर उनके विचारों ने मुझे जीवन के बुनियादी विचारों को समझने लायक बनाया. दो दशकों तक कृष्णप्पा जी का उपचार करने वाले डॉ. श्रीधर जी ने कहा कि पहले उन्होंने एक रोगी को देखा, लेकिन बाद में उनमें योगी के दर्शन हुए. जीवन के प्रति उत्साह से बीमारी से अंत तक संघर्ष किया.

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