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ग्राम का संस्कारमूलक भौतिक विकास चाहिए – डॉ. मोहन भागवत जी

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बैतूल (विसंकें). भारत भारती में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ग्राम विकास सम्मेलन में शनिवार, 3 फरवरी को देशभर के कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने क्षेत्र के प्रभात ग्रामों में चलने वाली गतिविधियों पर विभिन्न सत्रों में विस्तृत चर्चा की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने उपस्थित कार्यकर्ताओं से कहा कि जहाँ कृषि, गौपालन, गौ संवर्धन होता है. जहाँ जल, जंगल है. जहां जन, जानवर सुख पूर्वक रहते हैं, वही गांव है. गाँव की पांच शक्तियों धार्मिक शक्ति, युवा शक्ति, मातृशक्ति, सज्जन शक्ति और संघ शक्ति के द्वारा सप्त सम्पदा – भू सम्पदा, जल सम्पदा, वन सम्पदा, गौ सम्पदा, जीव सम्पदा, ऊर्जा सम्पदा, जन सम्पदा का संरक्षण होना चाहिए तथा जन की शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, स्वावलम्बन की चिंता होनी चाहिए. वह संघ की भाषा में प्रभात ग्राम है. ऐसे ग्राम देशभर में 318 हैं.

उन्होंने कहा कि देश में पौने सात लाख स्थानों में साढ़े पांच लाख ग्राम हैं. हमें कम से कम दस प्रतिशत ग्रामों को प्रभात ग्राम बनाना होगा, तब देश में अच्छे ग्राम बनाने की लहर पैदा होगी. ग्राम स्वावलम्बी होना चाहिए. जहर मुक्त कृषि अर्थात जैविक कृषि होनी चाहिए. विकास की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है. यह समय के साथ बदलती जाती है, इसीलिए नई पीढ़ी को ग्राम विकास समिति से जोड़ना चाहिए. ग्राम का विकास दस पंद्रह लोगों का कार्य नहीं है, उसके लिए पूरे गांव के लोगों को जुटना होगा. ग्राम विकास समिति द्वारा यह देखा जाना चाहिए कि ग्राम का कोई भी व्यक्ति भूमि हीन न हो. गांव का विकास गांव के लोग मिलकर करें. त्रिदिवसीय बैठक का 04 फरवरी को समापन हो गया.

ग्राम दर्शन कर अभिभूत हुए देश भर के कार्यकर्ता

तीन दिवसीय ग्राम विकास सम्मेलन में पूरे भारत से आए 400 कार्यकर्ताओं ने ग्राम विकास की परिकल्पना-अवधारणा को समझने व ग्रामीण परिवेश का प्रत्यक्ष अनुभव करने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया. इसके तहत 10 ग्रामों का चयन किया गया था. भारत भारती से सभी प्रदेशों के सदस्यों को सम्मिलित करते हुए 40-40 सदस्यों के 10 समूह बनाए गए, जिसमें महिला सदस्य भी शामिल थीं. 10 समूह अलग-अलग बसों से चयनित ग्राम बांचा (खदारा), रामपुरमाल, गोंडी बडगी (लावन्या), खापरखेड़ा (मंडईखुर्द), महेंद्र वाड़ी, जाड़ीढाना, घोघरी, संरडई, मोरडोंगरी, जसौंदी पहुंचे. जहां पर ग्रामीणों ने ग्राम प्रवेश द्वार पर ही पारंपरिक नृत्य व कलश यात्रा के साथ गांव पधारे सभी सदस्यों का स्वागत किया. प्रत्येक समूह को ग्रामीणों द्वारा किए गए कार्यों के अवलोकन व निरीक्षण हेतु भेजा गया.

पहले दल ने शिक्षा व संस्कार विषय पर, दूसरे समूह द्वारा ग्रामीणों को स्वास्थ्य व आयुर्वेद व उनके पास उपलब्ध औषधियों से किस प्रकार प्रयोग कर निरोग रहा जाता है, तीसरे समूह ने स्वालंबन विषय पर किए कार्यों को देखा, जिसमें सबसे पहले अन्नपूर्णा मंडप जिसके अंतर्गत ग्राम में निस्तार के पानी की व्यवस्था, सब्जियों और मसालों का उत्पादन देखा. चौथे समूह ने पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को देखा और ग्रामीणों के साथ अपने अनुभव साझा किए. पांचवे समूह ने सांस्कृतिक जागरण के तहत किए कार्यों को देखा, जिसके अंतर्गत ग्राम देवता का मंदिर, घर, ग्राम, सड़क की सफाई, प्लास्टिक मुक्त घूरा, कचरे से खाद का निर्माण आदि.

.. करीब से देखा जनजातीय शिक्षा का कार्य ..

भारत भारती प्रकल्प और ग्राम दर्शन कर कार्यकर्ता अभिभूत हो गए. 400 से अधिक ग्राम विकास कार्यकर्ताओं ने बैतूल के दस आदर्श ग्रामों का भ्रमण कर जनजातीय शिक्षा कार्य को करीब से देखा. 02 फरवरी 2018 बैतूल के इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ जुड़ गया. इस दिन जहाँ भारत भारती आवासीय विद्यालय के ऐतिहासिक वार्षिकोत्सव में मंचित महानाट्य जाणता राजा में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने हजारों लोगों को सम्बोधित किया. भारत भारती में प्रथम बार संघ के देशभर के 400 से अधिक तपस्वी कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हो रहा है. भारत भारती शिक्षा संस्थान शिक्षा के साथ जैविक कृषि, पर्यावरण संरक्षण, जल संवर्धन, जनजाति समाज में शिक्षा व स्वावलम्बन सहित ग्राम विकास की गतिविधियों का भी जीवंत केन्द्र है. ग्राम विकास सम्मेलन में भाग लेने आये कार्यकर्ताओं ने 02 फरवरी को प्रात: 10 से 12 बजे तक भारत भारती परिसर का भ्रमण कर यहाँ संचालित प्रकल्प गौशाला, जैविक कृषि, आईटीआई, आयुर्वेदिक चिकित्सालय, जैविक खाद निर्माण केंद्र, अपशिष्ट जल प्रबंधन संयंत्र, ग्रामीण विद्यालय, मशरूम प्रशिक्षण केंद्र आदि को देखा.

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