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समाज में सकारात्मक वृति जगे, ऐसा लिखो – डॉ. मोहन भागवत जी

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गुजरात (विसंकें). गुजरात के कर्णावती महानगर में रविवार को आयोजित साधना साप्ताहिक के षष्टिपूर्ति समारोह के अवसर स्मरणिका का विमोचन वैदिक मंत्रोचार के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने किया. इस अवसर पर अपने उद्बोधन में उन्होंने साधना परिवार के सभी सदस्यों का अभिनंदन करते हुए कहा कि 60 साल तक किसी साधना को करना विशेषकर माध्यमों के युग में तपस्या के रूप में उसको चलाना कठिन बात है.

डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि एक बार दिल्ली में मीडिया हाउस के साथ बातचीत में मैंने उनको कहा था कि मैं यह नहीं कहता हूँ कि आप संघ के बारे में अच्छा लिखें, लेकिन जो सत्य है वह लिखें. चाहे वह हमारे अनुकूल हो या प्रतिकूल. दूसरा समाज में सकारात्मक वृत्ति जगे ऐसा लिखो. आज के स्पर्धा के युग में साधना के रूप में इसको चलाना बहुत कठिन बात है. संघ पर पहला प्रतिबंध इसको चलाने का निमित्त बना. स्थान-स्थान पर समाज के समक्ष सत्य उजागर करने के लिए भूमिगत आंदोलन के मुखपत्र के रूप में ऐसे साप्ताहिक पत्र चल पड़े. साधना के प्रारंभ के समय पू. गुरूजी ने पत्र लिखकर दिशा दी थी कि साधना की सामग्री प्रवाह के अनुसार नहीं, परन्तु सत्य पर आधारित हो. हमने 60 साल पूरे किये, लेकिन प्रवाह की यात्रा अभी पूरी नहीं हुई, उसको आगे भी चलाना है. इस 60 साल की यात्रा में क्या क्या कमी रह गई है, उसको भी पूरा करने का संकल्प लेना है और कमियों को दूर करना है.

उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने अथक परिश्रम करके हमको वैभव की इस अवस्था में पहुंचाया. यह जिस परिवार में याद रहता है, उस परिवार की सम्पति बढ़ती रहती है. सफलता प्राप्त करने की धुन में कई बार इस बात का विस्मरण हो जाता है. अत: कहां जाना है, कैसे जाना है, इसका विस्मरण नहीं होना चाहिये. हमें गाँव-गाँव, घर-घर सत्य बताने का कार्य जारी रखना होगा. पत्रकारिता को धर्म बनाए रखते हुए समाज में पौष्टिक तत्व पहुंचाएं. संघ के स्वयंसेवक के संपर्क में आने वाले स्वयंसेवक बनें, न बनें, परन्तु अच्छा नागरिक जरुर बनें. साधना को पूरे गुजरात को मित्र बनाना है. हिन्दू समाज परस्पर मित्र बने, उसके लिए स्वयंसेवक काम करता है और हिन्दू समाज किसलिए है, उसका प्रयोजन क्या है? तो संपूर्ण विश्व में परस्पर मित्रता स्थापित करना है. समाज में जो होना चाहिये, उसको उत्पन्न करने के लिए हम काम कर रहे हैं. और दृष्टी लेकर लक्ष्य की ओर चलना आसान नहीं होता, वह साधना ही होती है. वह निरंतर चलती रहे, साधक साधक ही रहे.

सरसंघचालक जी ने कहा कि 60 साल साधना निर्दोष रूप से चली, उसको और आगे चलाना है. समाज में सकारात्मक गुणवत्ता लाने का कार्य करते रहना पड़ेगा. इसलिए साधना कुटुंब के सभी सदस्यों के आयुष्मान व स्वस्थ रहने की मैं कामना करता हूँ और आशा करता हूँ कि 120 वर्ष पूरा करने का समारोह भी ऐसा ही हो और उसमे में उपस्थित रहूँ. इस अवसर पर क्षेत्र संघचालक डॉ. जयंतीभाई भाड़ेसिया, प्रांत संघचालक मुकेशभाई मलकान, साधना साप्ताहिक के ट्रस्टीगण सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

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