भरूच. जम्मू कश्मीर अध्ययन केन्द्र के निदेशक श्री अरुण कुमार ने कहा है कि कुछ राजनीतिक दलों व्दारा और सीमा पार से सिर्फ इसलिये यह भ्रामक प्रचार किया जा रहा है कि कश्मीर की समस्या हिन्दू और मुसलमानों के बीच कोई विवाद है ताकि मजबूत भारत को तोड़ा जा सके. उनका विश्वास है कि यदि देश व गुजरात की प्रजा सामाजिक-भावनात्मक एवं आर्थिक रूप से कश्मीर से जुड़े तो कश्मीर का विकास किया जा सकता है.
भारतीय विचार मंच, गुजरात द्वारा “जम्मू कश्मीर भ्रम, सत्य और शोध की दिशा” विषय पर यहां रविवार 7 दिसंबर को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोलते हुए अरुण जी ने कहा कि आज़ादी के 67 वर्षों के बाद भी कश्मीर की प्रजा के साथ अन्याय होता आ रहा है. जम्मू कश्मीर भारत का ऐसा राज्य है जहाँ पंचायती राज नहीं है, भ्रष्टाचार विरोधी कानून जम्मू कश्मीर में नहीं हैं, राइट टू इनफार्मेशन कानून नहीं हैं, अनुसूचित जाति ओर जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण नहीं हैं, पाकिस्तान से विस्थापित ढाई लाख नागरिकों को विधानसभा मैं मताधिकार प्राप्त नहीं हैं, देश के संविधान के वहाँ 260 अनुच्छेद लागू होते हैं, किंतु 100 अनुच्छेद ऐसे हैं जो जम्मू कश्मीर में अधूरे हैं अथवा असंशोधित हैं.
अनुच्छेद 370 के विषय में उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संसद ही सामप्त कर सकती है. अरुणजी का कहना था कि जम्मू कश्मीर की वर्तमान हालत हमारी गलतियों का नतीजा है. अब समय आ गया है कि उन गलतियों को सुधारा जाये. आज जम्मू कश्मीर को लेकर विश्व की सोच बदली है. 2014 फिर से राष्ट्रवादी शक्तियों का समय हैं. इस बार हमको चूकना नहीं है. कश्मीरी भी अब लोकतंत्र के प्रति जागरूक हुये है तथा बुलेट के बदले बेलेट को महत्व देने लगे हैं. हाल ही में हुआ मतदान इसी ओर संकेत करता है.
अरुणजी ने कहा कि भारत को गिलगित, बाल्टिस्तान, मीरपुर, मुजफ्फराबाद (जो पाक और चीन के कब्जे में है). जहाँ से आये लाखो विस्थापित आज भी शिविरों में रह रहे है. संवैधानिक कारणों से जिनको आज तक भारत का नागरिक नहीं माना गया हैं. पाकिस्तान तथा चीन के कब्जे में हमें जम्मू कश्मीर का वह भाग भी वापस लेना है और आज पूर्ण जम्मू कश्मीर वापस लेने का सर्वश्रेष्ठ समय है.
उद्घाटन सत्र में श्री आशुतोष भटनागर ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विषय में भ्रामक प्रचार को दूर कर भारत को गिलगित, बाल्टिस्तान, मीरपुर, मुजफ्फराबाद (जो पाक और चीन के कब्जे में है ) पर अपना दावा मजबूत करना चाहिये.
सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध एडवोकेट श्री राजीव पांडेजी ने अनुच्छेद 370 की वास्तविकता बताते हुए कहा कि उसमें कहीं भी जम्मू कश्मीर के लिये विशेष राज्य का प्रावधान नहीं है. यह केवल भारतीय संविधान का उल्लंघन है.
मध्य एशिया स्टडीज़ इंडियन फाउंडेशन के निदेशक कैप्टन आलोक बंसल ने कहा कि मात्र कश्मीर के 5 जिले जहाँ आतंकवादी वारदात होती हैं जो कश्मीर का केवल 15 % है बाकि 85 % कश्मीर पूर्णरूप से शांत है. पाक अधिकृत कश्मीर में भी पाकिस्तान के विरुद्ध रोष है.
वरिष्ठ पत्रकार एवं जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के मागर्दशक श्री जवाहर क़ौलजी ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर जैसी ही समस्या चीन अधिकृत कश्मीर की है, जिसकी चर्चा नहीं होती वह भी होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि भारत के लिये अब सहनशीलता एवं मर्यादा का उल्लंघन करने का समय आ गया है.
इस अवसर पर गुजरात प्रांत प्रचारक श्री चिंतनभाई उपाध्याय, वीर नर्मद यूनिवर्सिटी के उपकुलपति डॉ. दक्षेसभाई ठाकर, प्रसिद्ध विचारक श्री डी. के. राय, मेजर श्री जितेंद्र चौहान सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.