शिमला (विसंकें). हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति को जानने के लिए संस्कृत का ज्ञान बेहद जरूरी है. कुलपति संस्कृत भारती के दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण आवासीय शिविर के समापन अवसर पर संबोधित कर रहे थे. शिविर सरस्वती विद्या मंदिर कन्या उच्च विद्यालय विकासनगर में 1 से 10 जनवरी तक आयोजित किया गया. शिविर का शुभारंभ संस्कृत भारती के उत्तर क्षेत्र संगठन मंत्री प्रताप सिंह ने किया था. शिविर में 90 शिक्षार्थियों द्वारा भाग लिया, जिसमें 30 युवतियां भी शामिल रहीं. शिविर में पूरे सत्र के दौरान सभी शिक्षार्थियों एवं प्रशिक्षकों द्वारा संस्कृत में ही वार्तालाप किया गया, जिससे शिविर में आने वाला प्रत्येक शिक्षार्थी संस्कृत में धारा प्रवाह बातचीत कर पाया. समापन अवसर पर बोलते हुए कुलपति ने कहा कि यह संस्कृत के उषाकाल का समय है. इसका कारण विश्वस्तर पर संस्कृत भाषा पर होने वाला शोध है. वे हाल ही में इंग्लैंड के दौरे पर गये थे, जहां पर ट्रिनिटी विश्वविद्यालय में संस्कत पर हो रहे शोधों से काफी प्रभावित हुए. इस अवसर पर संस्कृत भारती हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. भक्तवत्सल् ने कहा कि संस्कृत भाषा में कई महत्वपूर्ण ग्रंथ जैसे चरक-संहिता, आयुर्वेद और योगवशिष्ठ आदि पुस्तकें लिखी गई हैं, जिससे मानवता का कल्याण हो सकता है. इसके लिए संस्कृत का ज्ञान नितांत आवश्यक है.
शिविर के बारे में वर्ग मुख्य शिक्षक कमल गौतम ने बताया कि ऐसे शिविरों का उद्देश्य संस्कृत भाषा को जनभाषा के रूप में लोकप्रिय बनाना है. शिविर में हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों के शिक्षार्थियों और संस्कृत प्रेमियों ने भाग लिया है. इनमें बिलासपुर, कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला से आये संस्कृत प्रेमी विशेष रहे. यहां पर ऐसी लघु पुस्तिकाएं भी रखी गयी हैं, जिसमें रोजमर्रा की वस्तुओं के संस्कृत नाम प्रदर्शित किये गये हैं. यहां पर आने वाले शिक्षार्थी एवं संस्कृत प्रेमी संस्कृत भाषा में बातचीत करते हुए बेहद उत्साहित नजर आ रहे थे.