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‘लोकसभा – विधानसभा के एक साथ चुनाव कितने व्यावहारिक?’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

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देहरादून (विसंकें). श्री गुरु राम राय विवि एवं विश्व संवाद केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में ‘लोकसभा – विधानसभा के एक साथ चुनाव कितने व्यावहारिक?’ विषय पर विवि परिसर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे विवि के कुलपति डॉ. पी.पी. ध्यानी जी ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि अगर हमारे देश में एक मजबूत राजनीतिक दृष्टिकोण हो तो एक देश एक चुनाव सम्भव हो सकता है.

कार्यक्रम के वक्ता प्रो. एम.एम. सेमवाल जी (हे.न.ब. गढ़वाल विवि) ने कहा कि राजनीति का अपराधीकरण एवं राजनीतिक पार्टियों का चुनावी व्यय सीमित होना चाहिए. साथ ही राज्यों में बार-बार
चुनाव होने से जातीय टकराव एवं भ्रष्टाचार बढ़ता है. एक देश, एक चुनाव का समर्थन करते हुए कहा कि पूर्व में भी 1952 से 1967 तक लोकसभा – विधानसभा के चुनाव एक साथ हो चुके हैं. कार्यक्रम के दूसरे वक्ता कुशल कोठियाल जी (सम्पादक, दैनिक जागरण, देहरादून) ने कहा कि विषय की चर्चा से पूर्व इसकी संवेदनशीलता को समझना जरूरी है. एक देश, एक चुनाव का विषय एक विशेष विचारधारा के लिए परेशानी का पर्याय बन गया है. यह वही विचारधारा है जो चीन के थियानमिन चौक पर छात्रों पर टैंक चढ़वा सकती है. जे.एन.यू में देशविरोधी नारे लगाती है तथा जिसे राष्ट्रवाद से परेशानी है. उन्होंने प्रो. एम.एम. सेमवाल की बात का समर्थन करते हुए कहा कि जब पूर्व में लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा चुके हैं तो वर्तमान समय में भी यह सम्भव है.

संगोष्ठी के विशेष अतिथि विजय कुमार जी ने कहा कि देश में सूची प्रणाली द्वारा चुनाव कराए जाने चाहिए. इस प्रणाली में व्यक्ति विशेष नहीं, अपितु पार्टी की नीति एवं विचारधारा चुनाव लड़ती है तथा इससे
उपचुनाव जैसी व्यवस्था भी समाप्त हो जाएगी. इस विधि से चुने गए जन प्रतिनिधि सम्पूर्ण देश व राज्य के प्रतिनिधि होंगे.

संगोष्ठी का समापन करते हुए प्रो. वी.ए. बौड़ाई जी (प्राचार्य, एस.जी.आर.आर. पी.जी कॉलेज, देहरादून) ने राजनीति एवं अर्थशास्त्र का एक तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया. सुरेंद्र मित्तल जी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया.

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