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शिक्षा से ही बेहतर मनुष्यों का निर्माण संभव – सरसंघचालक श्री मोहन भागवत

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नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परमपूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने कहा है कि शिक्षा से ही श्रेष्ठ मनुष्यों का निर्माण संभव होता है, अतः ऐसा नया स्वदेशी मॉडल विकसित करना चाहिये जो सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करने में समर्थ हो. उन्होंने यह भी कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली से कोई भी प्रसन्न नहीं है. हमें दृढ़ता से अपने सीखने और सिखाने के तौर-तरीके बदलने होंगे. नई दिशा प्रदान करने के लिये आज सम्पूर्ण विश्व भारत की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहा है, क्योंकि शताब्दियों से भारत शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और अपने उस गौरवपूर्ण स्थान को हमें पुनः प्राप्त करना है.

Sarsanghchalak jiसंघ प्रमुख यहां रेशमबाग स्थित मुख्यालय में “राष्ट्रवादी शिक्षा:संकल्पना और संरचना” विषय पर बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों संबोधित कर रहे थे. इस विचार विमर्श में आठ कुलपतियों सहित 250 से अधिक शिक्षाविदों ने भाग लिया. उन्होंने कहा कि “परिवर्तन बहुत जरूरी भी है, क्योंकि शिक्षा ही अगली पीढ़ी को आकार देती है, जिसका प्रभाव सम्पूर्ण मानवता पर होता है, अतः उस पर चिंतन होना चाहिये. अलग-अलग विचारधाराओं को मानने वाले अनेक चिन्तक इस दिशा में सचेष्ट हैं. हम पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि सम्पूर्ण विश्व को आशा है कि भारत शांतिपूर्ण और संघर्ष रहित जीवन के लिये बेहतर मार्ग दिखा सकता है.“

डॉ. भागवत ने कहा कि “इस प्रकार का कोई भी प्रयास सर्व स्वीकार्य, व्यापक और सार्वभौमिक होना चाहिये. विद्यापीठ कोई ऐसा तंत्र विकसित करे जो संघ परिवार के आलोचकों को भी स्वीकार्य हो. इसके लिये सभी विचारधाराओं व सभी वर्गों को समाहित कर विचार-विमर्श का दायरा व्यापक किया जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया संकुचित दृष्टिकोण की नहीं वरन एक सामाजिक आंदोलन से भी बढ़कर होनी चाहिये .

उन्होंने कहा कि “सर्वप्रथम अपना लक्ष्य निर्धारित हो, फिर अपेक्षित दृढ़ संकल्प के साथ उसे प्राप्त करने का प्रयत्न हो. किन्तु उसके साथ यह भी सुनिश्चित होना चाहिये कि नया तंत्र व्यवहारिक भी हो. प्रक्रिया में अशिक्षित और अविकसित मानस की सहभागिता का भी ध्यान रखा जाना चाहिये.

सरसंघचालक जी ने यह भी स्पष्ट किया कि नया मॉडल समग्र दृष्टिकोण के साथ शिक्षा प्रणाली में सुधार करने वाला हो. मॉडल ऐसा होना चाहिये कि लोग उसे स्वेच्छा से अपनायें, किसी को ऐसा न लगे कि उन्हें विवश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिना किसी शासकीय सहयोग के गैर सरकारी प्रक्रिया द्वारा बनाया गया यह मॉडल इतना श्रेष्ठ होना चाहिये कि बेहतर मॉडल के शोध में लगी अन्य संस्थाओं की भी इच्छा उसे अपनाने की जागे.

मंगलवार को प्रारम्भ हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में सहसरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी का भी उद्बोधन हुआ. संघ कार्यकर्ता इंदुमती कतदारे की अध्यक्षता वाली अहमदाबाद-आधारित पुनरुत्थान विद्यापीठ (रिवाइवल विश्वविद्यालय) कार्यक्रम की आयोजक है . इस कार्यक्रम का उद्देश्य आम सहमति से प्राचीन भारतीय जीवन मूल्यों और ज्ञान पर आधारित एक स्वदेशी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी है. इस्कॉन के गोविंद प्रभु ने समारोह की अध्यक्षता की.

(स्रोत: विसंके-भोपाल)

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