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संस्कृत भाषा आधुनिक और सार्वभौमिक है – सुषमा स्वराज

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123456नई दिल्ली. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि संस्कृत भाषा आधुनिक और सार्वभौमिक है. संस्कृत भाषा की परंपरा गंगा नदी के तुलनीय है. संस्कृत मनुष्य के मस्तिष्क को शुद्ध करती है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार गंगा नदी गोमुख से गंगा सागर तक की यात्रा में पवित्र बनी रहती है तथा यात्रा के दौरान संपर्क में आने वाली अन्य सहायक नदियों को भी पावन (पवित्र) किया है. उसी प्रकार देववाणी संस्कृत भी स्वयं तो पवित्र है ही, अपने संपर्क में आने वाली अन्य भाषाओं को भी पवित्र बनाया है. संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, यह पूरे विश्व को पवित्र करेगी. विदेश मंत्री बैंकाक में 16वें विश्व संस्कृत सम्मेलन के शुभारंभ अवसर पर संस्कृत विद्वानों को संबोधित कर रही थीं. पांच दिनों तक चलने वाले सम्मेलन में 60 देशों के संस्कृत विद्वान भाग ले रहे हैं. रविवार से शुरू हुए सम्मेलन में 600 से अधिक विद्वानों के समक्ष सुषमा स्वराज ने देववाणी की महत्ता पर प्रकाश डाला, विशेषता यह रही कि उन्होंने अपना पूरा संबोधन संस्कृत में दिया.

सुषमा स्वराज ने कहा कि संस्कृत की पवित्र गंगा में स्नान करने वाले आप विद्वान सौभाग्यशाली हैं. संस्कृत को पूरे विश्व में प्रचारित प्रसारित किया जाना चाहिए, जिससे यह मानवजाति के मस्तिष्क को शुद्ध करे. उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (संस्कृत) का पद सृजित किया गया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वैज्ञानिकों का भी मत है कि अनुवाद, भाषा पहचान, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम खुफिया सेवा क्षेत्रों के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए संस्कृत भाषा अति-उत्तम है. संस्कृत भाषा का ज्ञान व प्रसार विश्व को विभिन्न समस्याओं के समाधान तक ले जाने में समर्थ है.

SushmaSwarajSanskrit1संस्कृत के एक  श्लोक का उल्लेख करते कहा कि तुच्छ मानसिकता के लोग कुछ को अपना और कुछ को दूसरे ग्रह से आए व्यक्ति के तौर पर भेद करते हैं, जबकि व्यापक सोच वाले लोग पूरे ब्रह्मांड को अपना मानते हैं. कहा कि ‘हमारा प्रयास शास्त्र और विज्ञान के अध्ययन में अंतर को कम करना है. ‘संस्कृत की प्रशंसा करना और इसके गुणों का बखान पर्याप्त नहीं है. संस्कृत विद्वानों को भाषा के विकास को लेकर भी चर्चा करनी चाहिए. संस्कृत में शोध अधिक कार्यात्मक होने चाहिए.’

संस्कृत भारती की भूमिका की सराहना करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि यह संस्था न सिर्फ भारत, बल्कि विश्व के कई देशों में बोलचाल से संबंधित पाठ्यक्रमों का संचालन करके संस्कृत को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने संस्कृत के विद्वानों से संस्कृत की पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार और इसे आकर्षक बनाने का आग्रह किया. यह पहली बार है कि विश्व संस्कृत सम्मेलन में भारत सरकार से वरिष्ठ स्तर का कोई केंद्रीय मंत्री शामिल हुआ है.

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