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साहित्यकार को समाज के सुख और दुःख को अपना समझना चाहिए

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जबलपुर (विसंकें). छह दिवसीय 08वें कटनी पुस्तक मेला एवं साहित्य महोत्सव का आयोजन 26 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक हुआ. मेले का उद्घाटन 26 दिसंबर को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र जी, मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार गिरीश उपाध्याय जी की उपस्थिति में हुआ. गिरीश उपाध्याय जी ने कहा कि पहले लोग बांह फैलाकर अखबार पढ़ा करते थे और आज वह समेट कर उंगलियों में मोबाइल में रह गया है. गूगल पर हमारी निर्भरता इतनी बढ़ गयी है कि आने वाले समय में गूगल जो दिखाएगा, वही सही माना जाएगा.

साहित्य महोत्सव के पाँचवे दिन 30 दिसंबर को बाल साहित्य का रचना क्रम व दिशा बोध विषय पर देवपुत्र पत्रिका इंदौर के संपादक डॉ. विकास दवे जी ने विचार रखे. अन्य सत्रों में  विभिन्न कहानी लेखन एवं भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गई. बाल साहित्य महोत्सव में लगभग 50 स्कूलों के बच्चों ने सहभागिता की.

साहित्य महोत्सव के समापन पर प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंद कुमार जी उपस्थित थे. उन्होंने बाल साहित्य और संस्कार विषय पर कहा कि बच्चों को पंचतंत्र की कहानियां पढ़ाना आज बहुत आवश्यक है, जब उसको पढ़कर तीन मंदबुद्धि राजकुमार होशियार हो सकते हैं तो आज हमारे घरों के होशियार बच्चे न जाने कितने आगे बढ़ जाएंगे. प्रत्येक साहित्यकार को समाज के सुख और दुःख को अपना समझना चाहिए, उसका व्यक्तिगत कुछ नहीं होता.

छह दिवसीय पुस्तक मेले का समापन 31 दिसम्बर को भव्य सांस्कृतिक संध्या के साथ हुआ. पुस्तक मेले में देश भर से 44 स्टालों ने सहभागिता की. जिसमें 20 स्टॉल साहित्य, 24 स्टॉल स्वदेशी उत्पादों के थे. पुस्तक मेले में लगभग एक लाख लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.

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