करंट टॉपिक्स

01 जुलाई / जन्मदिवस – श्रमिक हित को समर्पित राजेश्वर दयाल जी

Spread the love

rajeshwar ji, bmsनई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यह विशेषता ही है कि उसके कार्यकर्त्ता को जिस काम में लगाया जाता है, वह उसमें ही विशेषज्ञता प्राप्त कर लेता है. राजेश्वर जी भी ऐसे ही एक प्रचारक थे, जिन्हें भारतीय मजदूर संघ के काम में लगाया गया, तो उसी में रम गये. कार्यकर्त्ताओं में वे ‘दाऊ जी’ के नाम से प्रसिद्ध थे.

राजेश्वर जी का जन्म एक जुलाई, 1933 को ताजगंज (आगरा) में पण्डित नत्थीलाल शर्मा जी तथा चमेली देवी के घर में हुआ था. चार भाई बहनों में वे सबसे छोटे थे. दुर्भाग्यवश राजेश्वर जी के जन्म के दो साल बाद ही पिता जी चल बसे. ऐसे में परिवार पालने की जिम्मेदारी माताजी पर ही आ गई. वे सब बच्चों को लेकर अपने मायके फिरोजाबाद आ गयीं.

राजेश्वर जी ने फिरोजाबाद से हाईस्कूल और आगरा से इण्टर, बीए किया. इण्टर करते समय वे स्वयंसेवक बने. आगरा में उन दिनों ओंकार भावे जी प्रचारक थे. कला में रुचि के कारण मुम्बई से कला का डिप्लोमा लेकर राजेश्वर जी मिरहची (एटा, उत्तर प्रदेश) के एक इण्टर कॉलेज में कला के अध्यापक बन गए. वर्ष 1963 में उन्होंने संघ का तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण पूर्ण किया और वर्ष 1964 में नौकरी छोड़कर संघ के प्रचारक बन गये.

प्रारम्भ में उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मेरठ जिलों में भेजा गया. शीघ्र ही इस क्षेत्र में समरस हो गये. उन्हें तैरने का बहुत शौक था. पश्चिम के क्षेत्र में नहरों का जाल बिछा है. प्रायः वे विद्यार्थियों के साथ नहाने चले जाते थे और बहुत ऊंचाई से कूदकर, कलाबाजी खाकर तथा गहराई में तैरकर दिखाते थे. इसी क्रम में उन्होंने कई कार्यकर्ताओं को तैरना सिखाया. इसके बाद वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के बांदा और हमीरपुर में भी प्रचारक रहे.

वर्ष 1970 में उन्हें भारतीय मजदूर संघ में काम करने के लिए लखनऊ भेजा गया. तब दत्तोपन्त ठेंगड़ी जी केन्द्र में तथा उत्तर प्रदेश में बड़े भाई कार्यरत थे. बड़े भाई ने उनसे कहा कि इस क्षेत्र में काम करने के लिए मजदूर कानूनों की जानकारी आवश्यक है. जिसके बाद उन्होंने विधि स्नातक की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली. भारतीय मजदूर संघ, उत्तर प्रदेश के सहमन्त्री के नाते वे आगरा, कानपुर, प्रयाग, सोनभद्र, मुरादाबाद, मेरठ आदि अनेक स्थानों पर काम करते रहे. वर्ष 1975 के आपातकाल में वे लखनऊ जेल में बन्द रहे.

राजेश्वर जी पंजाब तथा हरियाणा के भी प्रभारी रहे. इन क्षेत्रों में कार्य विस्तार में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा. वे सन्त देवरहा बाबा, प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, श्री गुरुजी, ठेंगड़ी जी तथा बड़े भाई से विशेष प्रभावित थे. उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें ‘उत्तर प्रदेश में भारतीय मजदूर संघ’ तथा‘कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग में मा. ठेंगड़ी जी के भाषणों का संकलन’ विशेष हैं.

स्वास्थ्य खराबी के बाद वे संघ कार्यालय, आगरा (माधव भवन) में रहने लगे. आध्यात्मिक रुचि के कारण वे वहां आने वालों को श्रीकृष्ण कथा मस्त होकर सुनाते थे. 10 जून, 2007 को अति प्रातः सोते हुए ही किसी समय उनकी श्वास योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में लीन हो गयी.

राजेश्वर जी के बड़े भाई रामेश्वर जी भी संघ, मजदूर संघ और फिर विश्व हिन्दू परिषद में सक्रिय रहे. 1987 में सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्त कर वे विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय कार्यालय, दिल्ली में अनेक दायित्व निभाते रहे. राजेश्वर जी के परमधाम जाने के ठीक तीन वर्ष बाद उनका देहांत भी 10 जून, 2010 को आगरा में अपने घर पर ही हुआ.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *