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डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्र को अपनेपन का अमृत देने का कार्य किया– डॉ. मोहन भागवत

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मुंबई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्र को अपनेपन का अमृत देने का कार्य किया. इस कार्य का नाम है संघ. संघ प्रत्येक स्वयंसेवक की प्राण, आत्मा है. स्वयंसेवक संघ के हाथ पैर बन कर कार्य करते हैं. संघ का अर्थ है संकल्पना के स्तर पर संपूर्ण हिंदू समाज. स्वयंसेवक अपनेपन से समाज के लिये संभवनीय सर्व कार्य करता है. रमेश पतंगे के विविधांगी कार्य में इसी अपनेपन का प्रकटीकरण हुआ है.

साप्ताहिक विवेक के पूर्व संपादक और हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष रमेश पतंगे के अमृत महोत्सव पर विवेक समूह द्वारा मुंबई के रवींद्र नाट्यमंदिर में विशेष समारोह का आयोजन किया गया. सरसंघचालक समारोह में विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित थे. डॉ. अशोक कुकडे और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे.

सरसंघचालक ने कहा कि संविधान जैसे विषय पर सामान्य नागरिक समझ सके ऐसी भाषा में उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं. संघ का अपनापन ही इसके पीछे है. उस अपनेपन का यह अमृत है और इसीलिये यह अमृत महोत्सव विशेष है. पिछले कई वर्षों से स्वयंसेवक अपना स्वत्व भूल कर हिंदुत्व को साकार रूप देने के लिये कार्य कर रहे हैं. इस कार्य का रमेश पतंगे जी एक महत्त्वपूर्ण ध्रुव हैं. प्रेम के ढाई अक्षर संघ का बीज रूप है. डॉ. हेडगेवार से प्रेरित होकर जीवन व्यतीत करने वाले सभी लोग इस शुद्ध सात्त्विक प्रेम का प्रकटीकरण अपनी कृति द्वारा करते आए हैं. इस कार्य के लिये पुरुषार्थ करना पड़ता है. ऐसा पुरुषार्थ रमेश पतंगे ने किया है.

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि संविधान के तत्त्व जनता के लिये उपलब्ध करने का महत्त्वपूर्ण कार्य रमेश पतंगे ने किया. लोकतंत्र को कमजोर करके देश में अस्थिरता निर्माण करने के अनेक प्रयास आज चल रहे हैं. ऐसे काल में लोकतांत्रिक मूल्यों का उजागर करने का कार्य करने वाले व्यक्तियों में रमेश पतंगे एक हैं.

संविधान में समता का तत्त्व है, समरसता का नहीं. ऐसा अनेक लोग कहते है. परंतु, समरसता यह समता तक पहुंचने का मार्ग है.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति कार्यालय, से प्राप्त शुभेच्छा संदेश का वाचन कार्यक्रम में किया गया.

अपने कार्य की उर्जा का रहस्य बताते हुए रमेश पतंगे ने कहा, डॉ. हेडगेवार मेरे जीवन की प्रेरणा है. मेरे सामने खड़े प्रश्न में अंतःकरण पूर्वक उन्हें पूछता हूँ और वे मुझे उनका उत्तर भी देते हैं. कार्यक्रम में मधुरा पतंगे जी का सत्कार किया गया. विमल केडिया और दिलीप करंबेळकर ने रमेश पतंगे से ४० वर्षों का अपना स्नेह प्रकट किया.

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