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फिल्म जगत में भारतीयता की स्थापना भारतीय चित्र साधना का उद्देश्य

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भोपाल. भारतीय चित्र साधना ने अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि जब दादा साहब फाल्के ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आने का निर्णय लिया तो उनकी पहली फिल्म सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर आधारित थी. उन्होंने एक ऐसा जीवन दर्शकों के सामने रखा, जिससे सत्य, संस्कार और प्रजा के प्रति एक राजा के धर्म का सत सन्देश लोगों के बीच जाए. गुजरते समय के साथ फिल्म जगत में कई सारे परिवर्तन आए, आज फिल्मों में एक तरह की फूहड़ता और भारतीय संस्कृति के प्रति दुर्भावना दिखती है. फिल्म जगत में दोबारा भारतीयता की स्थापना एवं युवाओं को इसके लिए समर्थ बनाना ही भारतीय चित्र साधना का उद्देश्य है. वे भोपाल में चित्र भारती फिल्मोत्सव की जानकारी प्रदान करने के लिए आयोजित प्रेस वार्ता में बोल रहे थे.

भारतीय चित्र साधना के प्रतिष्ठित ‘चित्र भारती फिल्मोत्सव-2022 (सीबीएफएफ-2022)’ का आयोजन 18 से 20 फरवरी, 2022 तक भोपाल में किया जा रहा है. भारतीय चित्र साधना के राष्ट्रीय फिल्म उत्सव का यह चौथा संस्करण है. सांस्कृतिक राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित भोपाल में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय फिल्मोत्सव में देशभर से प्रख्यात फिल्मकार एवं कलाकार जुटेंगे, जो फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आ रही नयी पीढ़ी का मार्गदर्शन करेंगे. इस अवसर पर विभिन्न श्रेणियों में फिल्मों को पुरस्कृत भी किया जाएगा. 17 मार्च को दिल्ली में सुप्रसिद्ध अभिनेत्री एवं सांसद हेमामालिनी ने ‘सीबीएफएफ-2022’ की घोषणा की थी. भोपाल में आयोजित होने जा रहे सीबीएफएफ-2022 के चौथे संस्करण के लिए एक आयोजन समिति का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष दिलीप सूर्यवंशी और सचिव सामाजिक कार्यकर्ता अमिताभ सोनी हैं.

भारतीय चित्र साधना फिल्म क्षेत्र में भारतीय विचार के लिए कार्य करने वाली समर्पित संस्था है, इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. बीके कुठियाला हैं. यह संस्था प्रति दो वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर ‘चित्र भारती फिल्मोत्सव’ का आयोजन करती है. इसके अतिरिक्त वर्षभर विविध प्रकार की गतिविधियां एवं स्थानीय स्तर पर फिल्म समीक्षा, फिल्म प्रदर्शन, विमर्श, प्रशिक्षण एवं लघु फिल्म फेस्टिवल के आयोजन संस्था की ओर से किये जाते हैं. प्रत्येक दो साल पर होने वाले राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन इस बार मध्यप्रदेश की राजधानी एवं झीलों के शहर भोपाल में 18 से 20 फरवरी, 2022 तक होना तय है.

अतुल गंगवार जी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के लिए महत्वपूर्ण बात है कि सीबीएफएफ छह साल के अंतराल के बाद प्रदेश में लौट रहा है. चित्र भारती के प्रतिष्ठित फिल्मोत्सव की शुरुआत ही मध्यप्रदेश की भूमि से हुई है. यह पहली बार वर्ष 2016 में राज्य के बहु-सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केंद्र इंदौर में आयोजित किया गया था. वर्ष 2016 में राजपाल यादव, मनोज तिवारी, मधुर भंडारकर, केवी विजयेंद्र प्रसाद जैसी हस्तियों ने प्रतिभागियों और दर्शकों के साथ अपने अनुभव साझा किए थे. उसके बाद दूसरा चित्र भारती फिल्मोत्सव 2018 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित हुआ, इस फिल्मोत्सव में 700 से अधिक प्रविष्टियाँ आयीं थीं. वहीं, सीबीएफएफ-2020 का आयोजन कर्णावती, गुजरात में हुआ, जिसमें अन्य दिग्गजों के साथ सुभाष घई और अब्बास-मस्तान जैसे प्रख्यात फिल्म निर्देशकों की भी मास्टर क्लास थी.

कोरोना महामारी ने फिल्म और टेलीविजन उद्योग सहित समाज जीवन के सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है. परन्तु, कोरोना वायरस भारतीय लोगों की जीवटता को प्रभावित नहीं कर सका. यही कारण है कि हम विश्व में सबसे बेहतर ढंग से महामारी का मुकाबला कर पा रहे हैं. लॉकडाउन अवधि के दौरान फिल्म निर्माण गतिविधि को सक्रिय रखने की आवश्यकता को महसूस करते हुए और कोरोना स्वास्थ्य प्रोटोकॉल पर जागरूकता को बढ़ावा देने के लिहाज़ से भारतीय चित्र साधना ने एक ऑनलाइन कोविड-19 लघु फिल्म समारोह का आयोजन भी किया था. इस आयोजन में लोगों ने 250 से अधिक प्रविष्टियाँ भेजीं थीं. इन फिल्मों के माध्यम से कोरोना के प्रति जन-जागरूकता का सन्देश दिया गया था.

भारतीय चित्र साधना भारत की परंपराओं और विविधता का सम्मान करती है और मानती है तथा ऑडियो-विजुअल क्षेत्र में भी इसे संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है. सीबीएफएफ का प्रत्येक संस्करण सामाजिक और राष्ट्रीय प्रासंगिकता के विषयों पर प्रविष्टियां आमंत्रित करता है. यह वर्ष भारत की स्वतंत्र के 75 वर्ष को याद करने का है. इसलिए ‘भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष’ और ‘स्वाधीन भारत के 75 वर्ष’ जैसे विषयों पर भी प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गई हैं.

चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल 2022 के आयोजन समिति के अध्यक्ष दिलीप सूर्यवंशी ने कहा कि चित्र भारती के आयोजन से भोपाल और समूचे मध्यप्रदेश में फिल्म निर्माण का एक वातावरण बनेगा. फिल्म निर्माण के लिए मध्यप्रदेश सबसे अच्छे शहरों में से एक है. चित्र भारती के इस आयोजन के माध्यम से मध्यप्रदेश के युवाओं को अवसर, प्रोत्साहन और मार्गदर्शन प्राप्त होगा, ऐसा विश्वास व्यक्त किया जा सकता है. आज का सिनेमा पश्चिम की नकल कर रहा है. सिनेमा में भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. भारतीय चित्र साधना भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाले सिनेमा को बढ़ावा दे रहा है. सिनेमा तेजी से लोगो को रोजगार उपलब्ध करवाने वाली इन्डस्ट्रीज है. बदलते समय में ओटीटी जैसे नया प्लेटफॉर्म भी युवाओं को सिनेमा से जोड़ने में कारगर साबित हुआ है. ओटीटी प्लेटफार्म के लिए सार्थक सिनेमा बनाने के लिए बहुत संभावनाएं हैं.

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