करंट टॉपिक्स

कोरोना वायरस के इलाज में आयुर्वेदिक दवाइयों के क्लिनिकल ट्रायल के सकारात्मक परिणाम

Spread the love

नई दिल्ली. भारत में कोविड-19 को हराने के लिए ICIR और ICMR के तकनीकी सहयोग से व्यापक स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है. प्रसन्नता की बात है कि आयुर्वेदिक पद्धति से किए जा रहे क्लीनिकल ट्रायल के परिणाम सकारात्मक पाए गए हैं. मीडिया से बातचीत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आयुर्वेदिक दवाइयों के क्लिनिकल ट्रायल को ऐतिहासिक कदम बताया है.

कोविड-19 वायरस को खत्म करने के लिए कई देशों की रिसर्च लैब में लगातार परीक्षण चल रहे हैं. लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है. भारत में कोविड-19 वायरस को लेकर चल रहे आयुर्वेदिक परीक्षण के परिणाम काफी सकारात्मक हैं. स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि भारत की तीनों स्वास्थ्य संस्थाएं ICMR के तकनीकी सहयोग से आयुर्वेद की अश्‍वगंधा, यष्टिमधु, गुडूची पिप्पली, आयुष-64 दवाइयों का क्लिनिकल ट्रायल कर रही हैं. इसके द्वारा यह समझने का प्रयास किया जाएगा कि इन दवाओं की क्या भूमिका हो सकती है.

प्रमुख रूप से कोविड-19 टीके के विकास पर परीक्षण हो रहा है, इसमें के दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. इसके अलावा पहली जड़ी-बूटी आधारित (फाइटोफार्मास्युटिकल) दवा एसीक्यूएच का दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है.

आयुष मंत्रालय के अनुसार अश्वगंधा बैक्टीरिया के संक्रमण में घाव भरने, प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने, मधुमेह, मोतियाबिंद के इलाज में काम आने के साथ शक्तिवर्धक दवा है. इसी तरह यष्टिमधु (मुलेठी) बदहजमी, पेट में सूजन, सीने में जलन, पाचन संबंधी रोगों में फायदेमंद होती है. गुडूची पिप्पली का उपयोग बुखार, गैस, कब्ज, कफ, डायबिटीज, कैंसर, आंखों संबंधी है.

सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जो पारंपरिक उपचार अपनाया जा रहा है, उसके मुकाबले आयुर्वेद का प्राकृतिक उपचार 30 से 60 प्रतिशत सुधार कोरोना मरीजों में देखने को मिले हैं.

भारत के जिन अस्पतालों में आयुर्वेदिक परीक्षण किये गये हैं, उनमें लोकमान्य अस्पताल पुणे (महाराष्ट्र), पारुल सेवाश्रम अस्पताल बड़ोदरा (गुजरात), गवर्नमेंट मेडिकल अस्पताल श्रीकाकुलम (आन्ध्रप्रदेश) शामिल हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *