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सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, पूर्व मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ साजिश की आशंका को नकारा नहीं जा सकता

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नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने आज पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में कहा कि इस मामले में साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता. जस्टिस गोगोई ने CJI रहते हुए कुछ कड़े फैसले किए जो साजिश को बल देते हैं. रिपोर्ट में एक इंटेलिजेंस ब्यूरो के इनपुट का हवाला भी है. इसमें बताया गया है कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) को आगे बढ़ाने की वजह से कई लोग जस्टिस गोगोई से नाखुश थे.

सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की गई सुनवाई आज बंद कर दी. न्यायालय ने कहा कि पूर्व जस्टिस एके पटनायक की जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. उनकी रिपोर्ट के आधार पर यह केस बंद किया जा रहा है. उन्हें साजिश की जांच करने का काम सौंपा गया था.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केस को दो साल बीत चुके हैं, ऐसे में साजिश की जांच के लिए जरूरी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल करने की संभावना बहुत कम रह गई है. पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन भी शामिल थे.

शीर्ष अदालत ने खुफिया ब्यूरो के निदेशक की चिट्ठी का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि चूंकि न्यायमूर्ति गोगोई ने असम में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनआरसी) सहित अन्य कई मुश्किल फैसले सुनाए हैं, इसलिए संभवत: उन्हें फंसाने की साजिश की जा रही है. न्यायमूर्ति पटनायक के हवाले से पीठ ने कहा कि यह मानने के ठोस कारण हैं कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश गोगोई को फंसाने की साजिश की गई होगी.

करीब दो साल पहले शुरू हुई थी सुनवाई

मामले की अंतिम सुनवाई 25 अप्रैल, 2019 को जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने की थी. तब अदालत ने इसकी जांच करने का फैसला किया था कि ये आरोप CJI और न्यायालय की गरिमा को नुकसान पहुंचाने की साजिश तो नहीं है.

सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला 2018 में जस्टिस गोगोई के आवास पर बतौर जूनियर न्यायालय असिस्टेंट पदस्थ थी. महिला का दावा था कि बाद में उसे नौकरी से हटा दिया गया था.

महिला ने अपने हलफनामे की कॉपी 22 जजों को भेजी थी. इसी आधार पर चार वेब पोर्टल्स ने चीफ जस्टिस के बारे में खबर प्रकाशित की. अप्रैल 2019 में मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई थी.

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