नई दिल्ली. पाकिस्तान, तुर्की व अन्य मुस्लिम देश और संस्थाएं मुस्लिमों के हितैषी होने का दावा करते हैं. भारत में छोटी सी घटना पर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को घेरने का प्रयास करते हैं, लेकिन चीन में मुस्लिमों पर निरंतर हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साध लेते हैं. मानो उन्हें सांप सूंघ गया हो. पाकिस्तान के जिगरी यार चीन ने अपने कई प्रांतों में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार की सारी हदें पार कर दी हैं. उइगर शिविरों से आए दिन दिल दहला देने वाली खबरें सामने आती हैं. पर, मजाल है कि पाकिस्तान या मुस्लिम देशों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई आवाज उठाई हो. स्पष्ट है मुस्लिम हितों से उनका कोई लेना देना नहीं है, उन्हें केवल भारत विरोधी राजनीति करनी है.
दूसरी ओर उइगरों पर अत्याचार को लेकर चीन की छवि दुनियाभर में खराब हो चुकी है, लेकिन चीन है कि इसे मानने को ही तैयार नहीं.
दरअसल, चीन ने प्रशिक्षण केंद्र की आड़ में उइगरों पर जुल्म ढाने का एक नया ठिकाना ढूंढ लिया है. इसका खुलासा तब हुआ जब एक प्रशिक्षण केंद्र में कैद लोगों को पढ़ाने गई शिक्षिका ने यातना का ये सितम खुद अपनी आंखों से देखा. शिक्षिका ने बताया कि प्रशिक्षण केंद्रों में उइगर मुस्लिमों को बांधकर कर रखा जाता है. महिला ने बताया कि इन केंद्रों में महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म आम बात होती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन के शिनजियांग स्थित दो प्रशिक्षण केंद्रों में एक शिक्षिका क्विलबिनर सिदिक ने एक महिला को स्ट्रेचर पर केंद्र से बाहर ले जाते हुए देखा था. महिला की स्थिति बहुत ही दयनीय थी. महिला के बारे में पता चला कि वो मर चुकी है. मौत का कारण जानना चाहा तो, कुछ भी कहने से मना कर दिया. शिक्षिका ने बताया कि उसे 2017 में बिना उसकी अनुमति के दो प्रशिक्षण केंद्रों में तैनात कर दिया था.
शिक्षिका ने बताया कि इन केंद्रों पर हर वक्त चीनी सुरक्षाकर्मियों का पहरा रहता है. उसके इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है, लेकिन उसकी बयान उन महिलाओं से पूरी तरह से मिलते हैं, जो यहां मिलने वाली यातनाओं का कई बार आरोप लगा चुकी हैं.
पहले भी उइगर मुस्लिमों के प्रति काफी बर्बर व्यवहार के सबूत मिले हैं. चीन के व्यवहार को लेकर अब दुनियाभर से सवाल खड़े होने लगे हैं.
अमेरिका में रहने वाली उइगर लेखक रेयान असत ने बड़े खुलासे किए हैं. असत के अनुसार, चीन उइगर समुदाय की महिलाओं को जबरदस्ती बांझ बना रहा है और समुदाय की आबादी ने बढ़े इसलिए इन पर नजर रखी जा रही है.