करंट टॉपिक्स

वर्तमान में लागू विमुद्रीकरण कुछ परेशानी पूर्ण तो है, परन्तु लम्बी अवधि के लिए फायदेमंद – डॉ. अश्विनी महाजन जी

Spread the love

जोधपुर (विसंकें). स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन जी ने कहा कि भारत देश उद्यमियों का देश है, जहां किसी युवा को सौ रूपये दिए जाएं तो वह इन सौ रूपयों से कितनी जल्दी हजार, लाख और दस लाख बना लेता है, यह आश्चर्यचकित करने की बजाय आशान्वित होने की बात है. क्योंकि भारत देश में उद्यमिता नैसर्गिक रूप से रची बसी है. अमेरिका जैसे देश में तैयार की गई ग्लोबलाईजेशन की नीतियों ने भारतीय गरीबों पर अधिक प्रभाव डाला है. इसी का कारण है कि ग्लोबलाईजशन गरीबों पर अधिक हावी हुआ है. पिछले 25 वर्षों से भारत में लागू आर्थिक नीतियों का आंकलन यही बताता है कि भारत के गरीब और अधिक गरीब होते जा रहे है तथा अमीर और अधिक अमीर होते जा रहे है. अश्विनी जी की स्वदेशी जागरण मंच जोधपुर महानगर इकाई द्वारा शुक्रवार को जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय वाणिज्य संकाय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित स्वदेशी स्टडी सर्कल में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि ग्लोबलाईजशन से पहले मजदूरों की मजदूरी एवं अन्य खर्चों पर 78 प्रतिशत खर्च होता था और उद्योग मालिकों को 19 प्रतिशत लाभ मिलता था. वैश्वीकरण के पश्चात आज उल्टा हो गया है, जहां मजदूरों की मजदूरी व अन्य खर्चों पर 41 प्रतिशत, तो उद्योग मालिकों का लाभ 51 प्रतिशत हो गया है. लघु उद्योग धंधों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है. वे धीरे-धीरे बन्द होते जा रहे हैं. ग्लोबलाईजेशन से  भारत में बीपीओ आदि सर्विस से उत्पन्न रोजगार सेवाएं अमेरिका के गले नहीं उतर रही है. वैश्विक दबाव के चलते 2005 में हमारे पेटेन्ट कानूनों में किए गए बदलाव से दवाईयों व अन्य वस्तुओं को महंगा एवं आमजन की पहुंच से दूर किया है. भारतीय पेटेन्ट कानून में डाली गई 3डी धारा आज भी वैश्विक कम्पनियों के अंधे शोषण के विरूद्ध एक बड़ा हथियार साबित हो रही है. लगातार बढ़ रहे आयात से हमारी आर्थिक प्रगति प्रभावित हो रही है. भारतीय कृषि सक्षम है, परन्तु इसको सरकारों द्वारा हाशिए पर डाल देने से हमारी खाद्यान्न आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है. वर्तमान में लागू विमुद्रीकरण कुछ परेशानी पूर्ण तो है, परन्तु लम्बी अवधि के लिए यह अवश्य फायदेमंद रहेगी. भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए यह निर्णय कारगर सिद्ध होगा.

इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. बीके शर्मा जी ने कहा कि वैश्वीकरण से बाजारीय प्रतिस्पर्धा बढ़ी है. जिससे संसाधनों एवं सामानों की उपलब्धता ज्यादा हुई है. इसकी तुलना में रोजगार सृजन व प्रतिव्यक्ति आय तथा निम्न व माध्यम वर्गीय लोगों के जीवन स्तर में बढ़ोतरी नहीं हो सकी है. स्वदेशी जागरण मंच के महानगर संयोजक अनिल माहेश्वरी ने बताया कि मंच द्वारा स्वदेशी स्टडी सर्कल में वैश्विकरण के 25 वर्ष एवं विमुद्रीकरण पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता वाणिज्य एवं प्रबन्ध अध्ययन संकाय के डॉ. बीके शर्मा ने की. स्वदेशी जागरण मंच के प्रदेश संयोजक धर्मेन्द्र दुबे मुख्य अतिथि, डॉ. रमन दवे, डॉ. आरसीएस राजपुरोहित, कृष्णगोपाल वैष्णव विशिष्ट अतिथि थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *