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कारगिल विजय के नायक – अमर बलिदानी मेजर विवेक गुप्ता

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कारगिल युद्ध के नायकों की प्रथम पंक्ति में अमर बलिदानी मेजर विवेक गुप्ता का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है. युद्ध के दौरान मेजर विवेक गुप्ता ने अदम्य साहस का परिचय दिया था.

कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन ने सामरिक द्ष्टि से सबसे अहम चोटी तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया था. भारतीय सेना के सामने इस चोटी को दुश्मन के कब्जे से मुक्त कराने का पहला लक्ष्य था. कमांड अधिकारी ने मेजर विवेक गुप्ता को तोलोलिंग पहाड़ियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बाहर करने और वहां दोबारा अधिकार करने का आदेश दिया. सैन्य नजरिए से यह काम बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मेजर विवेक गुप्ता और उनके साथियों ने इसे सहर्ष स्वीकार किया.

पाकिस्तान के लिए खौफ का दूसरा नाम था मेजर विवेक गुप्ता

दूसरी राजपुताना राइफल्स के मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में 12 जून की रात को तोलोलिंग चोटी पर विजय प्राप्त करने के लिए कंपनी रवाना हुईं. मेजर विवेक का दुश्मनों से आमना-सामना हुआ. ऊंचाई पर बैठे दुश्मन ने हमला किया, जिसमें मेजर गुप्ता को दो गोलियां लगीं, लेकिन घायल हालत में भी मेजर गुप्ता ने तीन दुश्मनों को ढेर कर बंकर पर कब्जा कर लिया. मेजर विवेक गुप्ता ने वहां पर तिरंगा लहराया.

मेजर गुप्ता गंभीर रुप से घायल होने के बाद भी अंतिम सांस तक दुश्मनों से लोहा लेते रहे. उनके सैन्य कौशल के बड़ा क्षेत्र भारतीय सेना के कब्जे में आ गया.

कपिल देव ने भारत-पाक मैच बंद करने को कहा था

साल 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध चल रहा था. उन्हीं दिनों क्रिकेट वर्ल्ड कप चल रहा था. समाचार-पत्रों और टेलीविजन पर जब कारगिल युद्ध के मैदान में शहीद हुए देश के वीर-सपूतों की बहादुरी की ख़बरें आतीं तो लोग भावुक हो जाते. इसी दौरान समाचार पत्रों में एक ऐसी तस्वीर छपी, जिसे देखने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव अपने आंसु नहीं रोक पाए. वो तस्वीर थी मेजर विवेक गुप्ता की शहादत की. कपिल देव को पाकिस्तान की इस हरकत पर ऐसा गुस्सा आया कि उन्होंने भारत सरकार से कहा कि बहुत हुआ, अब बंद करो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना, नहीं चाहिए हमें पाकिस्तान से खेल की कमाई.

मेजर विवेक गुप्ता का पार्थिव शरीर जब दिल्ली पहुंचा तो उनके अंतिम दर्शनों के लिए आम लोगों की भीड़ उमड़ी. हर कोई अपने नायक को अंतिम सलाम करना चाहता था. बारी-बारी से सभी ने उन्हें श्रद्धांजिल दी. मेजर विवेक गुप्ता की पत्नी कैप्टन जयश्री भी सेना की ड्रेस में वहां पहुंची और अपने अमर शहीद पति को सेल्यूट किया. इस घटना को कपिल देव भी ने भी देखा. जैसे ही कैप्टन जयश्री ने सैन्य धुन पर सलामी दी कपिल देव टीवी के सामने खड़े हो गए और रोने लगे. ये दोनों तस्वीरें जब मीडिया में प्रसारित हुईं तो देशवासियों का आक्रोश बढ़ गया.

महावीर चक्र

मेजर विवेक गुप्ता का जन्म 1970 में देहरादून में हुआ था. उनके पिता कर्नल बीआरएस गुप्ता भी सेना में थे. रण क्षेत्र में महान पराक्रम और असाधारण वीरता दिखाने के लिए मेजर विवेक गुप्ता को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.

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