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प्रजातंत्र में अधिकार व कर्तव्य का साथ-साथ होना आवश्यक है – सुमित्रा महाजन जी

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रांची (विसंकें). लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन जी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश है. सभी के मन में मेरा राष्ट्र का भाव जरूरी है, नहीं तो प्रजातंत्र का लक्ष्य समाप्त हो जाएगा. प्रजातंत्र में अधिकार व कर्तव्य का साथ साथ होना आवश्यक है. हर नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह देश के लिए कुछ करे. हमें देश के प्रति जागरूक रहना होगा. प्रजातंत्र जनता का, जनता के लिए व जनता के द्वारा शासन है. इसलिए सरकार के साथ साथ जनता की भी भागीदारी आवश्यक है.

वे खेलगांव में आयोजित लोकमंथन कार्यक्रम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि जब हम देश व अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक नहीं थे, हमारे देश को लूटा गया. इंग्लैंड के म्यूजियम में आज भी हमारे देश से ले जाए गए बेशकीमती समान रखे हुए हैं. प्रजातंत्र में सरकार की आलोचना जरूरी है. लेकिन आलोचना से सकारात्मक सोच आनी चाहिए. देश में सामाजिक समरसता के लिए आत्मचिंतन, आत्म निरीक्षण जरूरी है. आजादी के 70 साल के बाद हम कहां पहुंचे हैं, इसका चिंतन जरूरी है. लोकमंथन विचारों का कुंभ है. इसमें देश, काल व स्थिति पर तीन दिन मंथन हुआ है. प्रज्ञा प्रवाह की परिकल्पना वाद और संवाद है. संवाद से समाज के लिए भविष्य की दिशा तय होती है.

मुख्यमंत्री रघुवर दास जी ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वालों ने हमारे महापुरुषों के साथ भेदभाव वाला रवैया रखा. जिन लोगों ने देश के लिए कुर्बानी दी उन्हें भी इतिहास में उचित स्थान दिलाना जरूरी है. सरदार पटेल, नेताजी, शहीद भगत सिंह से लेकर सुखदेव, राजगुरु जैसे वीर सपूतों को वैसा सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे. इसी प्रकार झारखंड के वीर शहीद भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, सिदो-कान्हू समेत सभी शहीदों के योगदान को कमतर दिखाया गया. मार्टिन लुथर किंग की तरह ही बाबा साहब ने वंचितों के लिए लड़ाई लड़ी. देश को संविधान दिया. लेकिन उन्हें भारत रत्न के लायक नहीं समझा गया. श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने उन्हें भारत रत्न दिया, जो उन्हें काफी पहले मिल जाना चाहिए था. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश में मुट्टीभर लोग राष्ट्रवाद, भारत की मुख्य भावनाओं को जीवित रखने के बजाए इसे कमजोर करने की कोशिश रहे हैं. वामपंथी इतिहासकार दुनिया भर में भारत की गलत छवि पेश कर रहे हैं. ऐसे समय में लोक मंथन में चिंतन से निकला अमृत देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को नई दिशा देगा. हमारे देश में कई धर्म, कई संस्कृति के लोग रहते हैं. इसलिए हम सर्वधर्म सद्भाव को मानते हैं. हमारे लिए सभी धर्म एक जैसे हैं. हम सभी धर्मों में विश्वास करते हैं. हमारी संस्कृति सभी को साथ लेकर चलने वाली संस्कृति है. हम धरती को माँ कहते हैं, धरती के साथ माँ और बेटे का संबंध सिर्फ भारत में ही है. इसलिए लोकमंथन के माध्यम से पूरे विश्व में भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम को विस्तार देने की जरूरत है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड का लोक जीवन नृत्य, गीत एवं संगीत से परिपूर्ण है. आदिवासियों का इतिहास हजारों साल पुराना है. सदियों से हमारी संस्कृति को संभालकर राष्ट्र की मूलभूत धारा को समृद्ध करने में जनजाति समाज का बहुत बड़ा योगदान है. विकास की दौड़ में सम्मिलित होने के लिए आदिवासी समाज सजग हो गया है. आज समाज को तोड़ने वाली शक्तियां सक्रिय हैं, उन्हें परास्त कर हमें समाज को परम वैभव तक ले जाना है. सारा समाज मेरा अपना है – यह भाव जगाना है.

उन्होंने कार्यक्रम में आए सभी लोगों व आयोजन में लगे सभी कार्यकर्ताओं को स‍‍फल आयोजन के लिए बधाई और धन्यवाद दिया. कार्यक्रम में गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

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