आगरा. राष्ट्र निर्माण में मीडिया की सकारात्मक भूमिका की दृष्टि से स्वर्गीय अधीशजी ने सजीव, सटीक, संभ्रान्त, सदभाव एवं समन्वय रूप से उचित और सही कार्य किया. उन्होंने मीडिया की सकारात्मक भूमिका की पहल की. उनका मानना था कि संवाद और सबंध ही राष्ट्रीय जीवन है. मीडिया मित्र है, उससे दूरी के स्थान पर निकटता बनाये रखनी चाहिये.
उक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार, राज्यसभा सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने यहां व्यक्त किये. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख स्वर्गीय अधीशजी की जन्मतिथि पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. विचार गोष्ठी का आयोजन सरस्वती विद्या मन्दिर कमला नगर आगरा में विश्व संवाद केन्द्र बृज प्रांत द्वारा किया गया. जिसका विषय था “राष्ट्र निर्माण में मीडिया की सकारात्मक भूमिका”. विचार गोष्ठी में बड़ी संख्या में चिकित्सक, वकील, सी.ए.जनप्रतिनिधि सांसद विधायक और संघ के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
विचार गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ चार्टर्ड एकांउटेन्ट मनोज खुराना ने की. इस अवसर पर केशव धाम वृंदावन के निर्देशक पदमजी एवं केंद्र के सचिव डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने स्वर्गीय अधीशजी के त्यागमय जीवन पर प्रकाश डाला. गोष्ठी के विषय की भूमिका रखी महानगर संघचालक श्याम किशोर ने तथा केंद्र के प्रमुख डॉ. नरेन्द्र सिसोदिया ने संचालन किया.
प्रभात झा ने कहा प्राचीन काल में देवर्षि नारद ऐसे पत्रकार थे, जिन्होंने देवताओं के मध्य तथा धरती और आकाश के बीच संवाद का कार्य किया और समाधान भी सुझाये. यूरोप में मार्ग के पत्थरों पर समाचार लिखे जाते थे, उन्होंने कहा है कि मीडिया समाज से अलग नहीं है. यदि समाज में गिरावट आती है तो मीडिया में गिरावट आना स्वाभाविक है. मीडिया नकारात्मक है ही नहीं, उसका उद्देश्य शिक्षात्मक, सूचनात्मक, प्रेरणात्मक एवं मनोरंजनात्मक है. इसलिये वह सदैव प्रभावशाली रहा है और आगे भी रहेगा. आज समाज को जैसा चाहिये, उसे प्रिंट और दृश्य दोनों ही तरीके से परोसा जा रहा है.
जिस राष्ट्र की कल्पना श्री गुरूजी ने की थी, क्या आज वैसा है. वास्तविकता तो यह है कि हम आज भी संपूर्ण राष्ट्र निर्माण में अधूरे हैं और इसके लिये मीडिया की भी सकारात्मक भूमिका चाहिये.श्री झा ने ने हाल ही में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के जीवन और उनके व्यक्तित्व के संम्बन्ध में एक चैनल द्वारा प्रस्तुत करने को सकारात्मक कदम बताया. उन्होंने कहा कि अच्छे नागरिक से समाज की सकारात्मक सोच होती है, उसके अन्दर नागरिक भाव पैदा करने की आवश्यकता है जो अब तक नहीं किया गया है.
जब तक हमारा-मेरा भाव नहीं जागेगा, तब तक सकारात्मक की बात करना व्यर्थ है और इसके लिये मीडिया बिल्कुल दोषी नहीं है. उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि मीडिया पर व्यक्तित्व का प्रभाव होना स्वाभाविक है. महात्मा गांधी द्वारा आधी धोती पहनना, कमर पर घड़ी लटकाना, बकरी का दूध पीना, डोरी वाला चश्मा पहनना, चरखे से कते सूत की खादी पहनना, हरिजनों के घर भोजन करना-ऐसा मीडिया ने देखा है. गांधी द्वारा नमक जैसे आन्दोलन की लड़ाई से आम लोगों में जज्बा पैदा करना और उन्होंने जीवन कैसे जीया यह भी मीडिया ने देखा है. इन विशेषताओं के कारण मीडिया भी सकारात्मक रहा है और ऐसे लोगों को पहले पेज पर सदैव जगह मिलती रही है.
हम शक्तिशाली होंगे तो समाज शक्तिशाली होगा, ऐसे में नकारात्मक चीजें मीडिया की भूमिका कभी नहीं हो सकेगी. जनमत के स्वर को जनतन्त्र में कोई दबा नहीं सकता. आज मीडिया ही नहीं जनमत के आगे न्यायपालिका को भी सोचना पड़ता है. आवश्यकता है मीडिया के प्रति सर्तक रहने की. सनसनी पूर्ण समाचार कभी भी खबर नहीं हो सकते. यह मीडिया के कुछ लोगों की विकृत मानसिकता के कारण ही होता है.
प्रभाव झा ने कहा कि सेना और जनता के मनोबल के उत्साह-वर्धन हेतु मीडिया की सकारात्मक भूमिका की महती आवश्यकता होनी चाहिये, जैसी पहले के युद्ध में देखी गई. यदि समाज में नैतिक बल होगा तो मीडिया आप पर कभी हावी नहीं हो सकती. देश के उजागर अनेक घोटालों में मीडिया की सकारात्मक भूमिका रही है. विचार गोष्ठी में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक आलोक, क्षेत्र सह-प्रचारक प्रमुख जगदीश, क्षेत्र सेवा प्रमुख गंगाराम, प्रांत प्रचार प्रमुख शिवेन्द्र, भाजपा सांसद बाबूलाल, विधायक योगेन्द्र उपाध्याय आदि अनेक सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं बुद्धजीवी उपस्थित थे.