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अपनी योग्यता से सफलता हासिल कर सकती है भारतीय महिला – प्रभा राव

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नई दिल्ली. भारत की महिला किसी भी परिस्थिति में अपनी योग्यता से सफलता हासिल कर लेती है और ये साबित कर देती है कि उसमें बहुत कुछ करने की क्षमता है.. पुरूष की तरह महिला भी मानव है..जो पुरूष से भिन्न है..ये प्रकृति का नियम है..

नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित विचार गोष्ठी में संबोधित कर रही थीं. गोष्ठी का विषय था Inside The Mind of An Indian Women… प्रभाराव ने कहा कि मेरे समय में कई देशों में पितृसत्ता को लेकर नारीवाद आंदोलन शुरू हुआ.. लेकिन भारत में ऐसा नहीं था क्योंकि पितृसत्ता भारतीय संस्कृति में नहीं आती.. हम क्या पहनें, कहां जाएं, क्या करें? ऐसी सोच हमें बचपन से ही परिवार से मिलती है..उसी के अनुरूप में बन जाते हैं, आधुनिक भारत में पैडमैन जैसी फिल्में पितृसत्ता की प्रतीक हैं…सेनेटरी पैड मुहिम को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाए….

रियो पैरालाम्पिक में पदक जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी दीपा मलिक ने कहा कि आज स्थिति बदल गई है.. स्त्री की क्षमता, ज्ञान का आंकलन कम होकर उसके देहपिंड का आकर्षण अधिक हो गया है.. जिसके कारण महिला घर, बाजार और कार्यस्थल सहित सभी स्थानों पर मानसिक व शारीरिक हिंसा और प्रताड़ना झेलने को मजबूर है…दीपा मलिक ने बताया कि संपन्नता, उच्च वर्ग होने के बाद भी मुझे बहुत कुछ सहना पड़ा…मेरे ऊपर सवाल उठाए गए, तंज कसे गए, लोगों ने कहा कि मेरे शरीर को लकवा मारा है.. मैंने जवाब दिया – लकवा मेरे शरीर को है, मेरी आत्मा व बुद्धि को नहीं..जब मेरी सफलता दुनिया के सामने आई तब लोगों को अहसास हुआ कि भारत की महिला की सोच कितनी सशक्त है..

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