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अपने घरोंदों को लौट रहे प्रवासी श्रमिकों को स्नेह की छांव दे रहा समाज

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प्रवासी श्रमिकों की सहायता में सामाजिक संस्थाएं, दिख रही अपनेपन की भावना

आपदा के इस दौर में मिट गई गरीब-अमीर, जात-पात की खाई

नरेंद्र कुंडू

हरियाणा. भारत की संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ में विश्वास रखने वाली संस्कृति है. भारत के लोग पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं. देश में जब भी कोई आपदा आई है तो भारत के लोगों ने पीठ दिखाने की बजाय हमेशा डट कर उसका मुकाबला किया है. पूरा विश्व भारत की तरफ उम्मीद की नजरों से देख रहा है. चाहे कोरोना महामारी के चलते देश में हुए लॉकडाउन के दौरान फंसे हुए जरुरतमंद, गरीब व प्रवासी श्रमिकों की सहायता करने या अन्य देशों का सहयोग करने की बात हो, भारत के समाज ने अपनी दरियादिली दिखाई है. लॉकडाउन के दौरान मजबूरीवश कुछ स्थानों से प्रवासी श्रमिकों ने पैदल ही अपने गंतव्य का रुख किया तो वहां लोगों ने अपने इन असहाय भाइयों का साथ नहीं छोड़ा. सामाजिक संस्थाओं व एनजीओ, समाज ने पैदल ही अपने घरोंदों की ओर चल पड़े श्रमिकों को स्नेह की छांव प्रदान की. पैदल यात्रा के दौरान कोई भी प्रवासी श्रमिक भूखा न रहे इसके लिए लोग स्वतः आगे आए. जगह-जगह इनके खाने-पीने के लिए उचित व्यवस्था की. आपदा के इस दौर ने अमीर-गरीब, जात-पात व धर्म की खाई को पाट दिया. मदद के लिए आगे आए लोगों में मजबूरी में फंसे इन प्रवासी श्रमिकों के लिए अपनेपन की भावना साफ नजर आ रही थी. जिस-जिस शहर से इन लोगों के पैदल जत्थे निकल रहे थे, उस शहर के लोग इनकी मदद के लिए निरंतर अपने हाथ आगे बढ़ा रहे थे.

हरियाणा के सबसे बड़े औद्योगिक शहर गुरुग्राम, रेवाड़ी, फरीदाबाद, पानीपत, अम्बाला जैसे शहरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सेवा भारती, विश्व हिंदू परिषद्, श्री सिद्धेश्वर मंदिर समिति गुरुग्राम, श्री राम जानकी लीला समिति बादहशाहपुर, नमो रसोई गुरुग्राम, रोटी बैंक, स्माइल बीट्स, सनातन धर्म हनुमान मंदिर ट्रस्ट, गुरुद्वारा सिंह सभा, संत निरंकारी भवन, गोशाला सेवा समिति, बुधला संत मंदिर, जनता रसोई सहित अन्य अनेक संस्थाएं इन लोगों की मदद के लिए तत्पर हैं. पुरुष ही नहीं मातृ शक्ति भी जरुरतमंदों की मदद के लिए पीछे नहीं थी.

म्हारा देश-म्हारी माटी पत्रिका ने बिहार में फंसे श्रमिकों को मुहैया करवाई मदद

भारत सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्य में भेजने के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं. गत 13 मई को रोहतक जंक्शन से भी एक श्रमिक ट्रेन कटिहार के लिए रवाना हुई थी. इस ट्रेन में लगभग 65 श्रमिकों का एक समूह बिहार के लिए रवाना हुआ था. ट्रेन में मौजूद श्रमिकों को सफर के दौरान पढ़ने के लिए हरियाणा की मासिक पत्रिका म्हारा देश-म्हारी माटी मुहैया करवाई गई थी. कटिहार पहुंचने के बाद जब वहां के स्थानीय प्रशासन द्वारा इन श्रमिकों को किसी तरह की मदद नहीं मिली तो इन श्रमिकों ने पत्रिका में प्रकाशित सम्पादक के नंबर पर फोन कर अपनी पीड़ा व्यक्त की. श्रमिकों की समस्या के निदान के लिए पत्रिका के सम्पादन मंडल के पदाधिकारियों ने तुरंत बिहार के स्वयंसेवकों को इसकी सूचना भेजी और वहां फंसे इन श्रमिकों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था करवाई.
पैदल ही मध्यप्रदेश के लिए निकले श्रमिकों के लिए साधन की व्यवस्था

जींद जिले के बधाना गांव में ठेकेदार के पास मध्यप्रदेश से काम के लिए आए प्रवासी श्रमिकों को जब लॉकडाउन के कारण काम नहीं मिला तो यह लोग वापस पैदल ही मध्यप्रदेश के लिए रवाना हो गए. दोपहर को जब यह लोग अनूपगढ़ गांव के खेतों में आराम कर रहे थे तो वहां से गुजर रहे विकास पोडिया नामक व्यक्ति ने देखा. विकास ने इन लोगों से बातचीत कर पीड़ा सुनी. श्रमिकों में महिलाएं भी शामिल थी. विकास ने पहले इन लोगों के लिए जलपान की व्यवस्था की और फिर प्रशासन को सूचित कर इनको गंतव्य तक भेजने की व्यवस्था करवाई.

दलबीर आर्य ने दिया मानवता का परिचय

पानीपत शहर के सैक्टर 25 निवासी दलबीर आर्य ने पंजाब से पैदल ही भूखे-प्यासे चल रहे प्रवासी श्रमिकों को भोजन करवाकर मानवता का परिचय दिया है. दलबीर आर्य वीरवार दोपहर लगभग तीन बजे शहर से कुछ जरुरी कार्य निपटाकर अपने निवास की तरफ आ रहे थे. इस दौरान उन्होंने रास्ते में पैदल चल रहे लगभग 23 प्रवासी श्रमिक मिले. दलबीर आर्य ने मानवता का परिचय देते हुए प्रवासी श्रमिकों से कुशल-क्षेम जाना और उनके गंतव्य के बारे में पूछा. प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि वह लुधियाना (पंजाब) से पैदल चलकर आए हैं और उन्होंने फतेहपुर (उत्तरप्रदेश) जाना है. लुधियाना से पैदल चलकर पानीपत पहुंचे प्रवासी श्रमिक बुरी तरह से थके हुए थे. उनके हालात देखकर दलबीर आर्य ने जब उनसे भोजन के बारे में पूछा तो प्रवासी श्रमिकों के मुंह से कोई शब्द नहीं निकला और वह एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे. प्रवासी श्रमिकों के हाव-भाव देखकर दलबीर आर्य सबकुछ समझ चुके थे. इसके बाद आर्य सभी प्रवासी श्रमिकों को अपने निवास पर ले गए और वहां सभी प्रवासी श्रमिकों को चाय-नाश्ता करवाया. इसके बाद सभी प्रवासी श्रमिक अपने गंतव्य की तरफ प्रस्थान कर गए.

एक्सप्रेस-वे पर प्रवासी श्रमिकों के लिए संजीवनी बने स्वयंसेवक

लॉकडाउन के कारण कामकाज बंद होने से प्रवासी श्रमिकों ने अपने प्रदेश की तरफ पलायन शुरू कर दिया है. हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्य में भेजने के लिए रेल व बसों की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद भी कई स्थानों पर प्रवासी श्रमिक पैदल ही अपने गंतव्य की तरफ रवाना हो रहे हैं. स्वयंसेवकों द्वारा पैदल चल रहे प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन व चाय-नाश्ते की व्यवस्था की जा रही है. कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे पर पिछले लगभग एक सप्ताह से सोनीपत जिले के स्वयंसेवक पैदल ही अपने गंतव्य की तरफ रवाना हो रहे श्रमिकों को भोजन व नाश्ता उपलब्ध करवा रहे हैं. खरखोदा खंड के स्वयंसेवक एक सप्ताह से पैदल चल रहे प्रवासी श्रमिकों के लिए खाना व जलपान की व्यवस्था कर रहे हैं. एक्सप्रेस-वे पर टीम सुबह व शाम को कुंडली बार्डर से लेकर बहादुरगढ़ तक जाकर रास्ते में मिलने वाले श्रमिकों को खाना देने के साथ-साथ उन्हें रास्ते के लिए भी जलपान देती है ताकि श्रमिकों को रास्ते में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आए.

गुरुग्राम में संघ व सामाजिक संगठनों ने संभाला मोर्चा

औद्योगिक नगरी गुरुग्राम में काफी संख्या में प्रवासी श्रमिक रहते हैं. कोरोना संक्रमण के कारण औद्योगिक नगरी गुरुग्राम पूरी तरह से लॉकडाउन है. प्रवासी श्रमिकों को कार्य नहीं मिल पा रहा. इस कारण प्रवासी श्रमिकों ने अब अपने राज्य का रुख करना शुरू कर दिया है. कुछ मजदूर तो अपने परिवार सहित पैदल ही अपने गंतव्य की तरफ चल पड़े हैं.

विभिन्न स्थानों पर इन श्रमिकों की सहायता के लिए सामाजिक संगठन, समाज जन आगे आ रहे हैं.
गुरुग्राम में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सेवा भारती, श्री सिद्धेश्वर मंदिर समिति, श्री राम जानकी लीला समिति बादहशाहपुर, नमो रसोई गुरुग्राम पैदल चल रहे प्रवासी श्रमिकों को खाने-पीने की सामग्री उपलब्ध करवाने का काम कर रहे हैं. संस्थाओं द्वारा गुुरुग्राम के राजीव चौक, सोहना रोड, केएमपी एक्सप्रेस-वे तथा ताऊडू में जगह-जगह पर स्टाल लगाकर खाद्य सामग्री वितरित की जा रही है.

चोरी-छीपे कैंटर में जा रहे श्रमिकों को प्रशासन ने ट्रेन से भेजा

पानीपत में रह रहे प्रवासी श्रमिकों को जब लॉकडाउन के चलते काम नहीं मिल रहा था तो इन श्रमिकों ने एक निजी कैंटर में वापस बिहार जाने की तैयारी की. प्रवासी श्रमिकों ने लगभग एक लाख रुपए किराये पर एक कैंटर किया और बिना प्रशासन की मंजूरी के चोरी-छीपे यहां से निकल पड़े. रास्ते में पुलिस कर्मियों ने इन्हें रोक लिया और परमिशन नहीं होने के कारण वापस पानीपत भेज दिया. जब यह मामला पानीपत प्रशासन के संज्ञान में आया तो प्रशासन ने इन श्रमिकों को श्रमिक ट्रेन से इनके गंतव्य पर भेजने की व्यवस्था की. इतना ही नहीं पानीपत प्रशासन द्वारा श्रमिकों को ट्रेन में बैठाते समय रास्ते में खाने-पीने के लिए खाद्य सामग्री भी मुहैया करवाई.

फरीदाबाद, पलवल व अम्बाला में भी सेवा

फरीदाबाद, पलवल व अम्बाला भी औदयोगिक क्षेत्र हैं. यहां पर भी काफी संख्या में प्रवासी श्रमिक रहते हैं. इन क्षेत्रों में प्रवासी श्रमिकों की संख्या को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सेवा भारती के अलावा काफी संख्या में सामाजिक संगठन व एनजीओ सेवा कार्यों में लगे हुए हैं. यहां से पलायन कर अपने घरों को लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक संस्थाओं द्वारा भोजन तथा रास्ते के लिए खाद्य सामग्री मुहैया करवाई जाती है ताकि सफर के दौरान श्रमिकों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.

 

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