इंदौर. विगत दिनों इंदौर की फास्ट ट्रेक जिला अदालत ने दो बंगलादेशी महिलाओं को दस- दस वर्ष की सजा सुनाई. ये महिलायें एक नाबालिग लड़की को कोलकाता से बहला- फुसला कर मुम्बई ले गईं तथा उसे जबरन वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया. रोहिया तथा मरियम नामक ये दोनों महिलायें मूलतः बंगलादेश के जोसार क्षेत्र के कौशलवाड़ा की रहने वाली थीं. ये दोनों महिलायें कोलकाता की एक सघन बस्ती में उक्त पीड़िता के पड़ोस में रहने पहुँच गईं थीं. पहले तो लड़की के परिवार से मेल-जोल बढ़ाया फिर मुम्बई की किसी संस्था द्वारा उसकी पढाई-लिखाई करवा कर उसे अपने पैरों पर खड़ा करने का सब्जबाग़ दिखाकर मुम्बई भेज दिया.जहां उस लड़की को जबरन वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया गया.
किसी प्रकार उनके चंगुल से बचकर वह लड़की इंदौर भाग आई. किन्तु पीछा करते- करते ये महिलायें वहां भी आ पहुँचीं तथा दोबारा लेकर जाने लगीं. रतलाम स्टेशन पर लड़की की भयभीत स्थिति देखकर सहयात्रियों को शंका हुई तथा उन्होंने पुलिस को जानकारी दे दी. पुलिस ने आकर महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया. मामला चूंकि नाबालिग लड़की की तस्करी से जुडा था, अतः मामला फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट में गया, जहां चार महीने में ही विद्वान् न्यायाधीश श्री प्रियदर्शन दास शर्मा ने अपराधियों को उनके किये की सजा सुना दी.
इस घटना से यह तथ्य स्पष्ट रूप से सामने आया है कि बंगलादेशी घुसपैठिये केवल रोजगार की तलाश में भारत नहीं आते, बल्कि वे पूर्णतः अपराधी गिरोह के रूप में काम करते हैं. उनका नेटवर्क अब महानगरों से लेकर छोटे-छोटे कस्बों तक में फैल चुका है. उन्हें अन्य प्रान्तों में पहुंचाकर नियोजित ढंग से बसाने व भारतीय समाज व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने के प्रयत्न जारी हैं.