टेरर फंडिंग केस में अलगाववादी मीरवाइज़ उमर फारूख एक बार फिर एनआईए के समन पर दिल्ली नहीं पहुंचे. ये दूसरी बार है, जब उमर फारूख ने एनआईए के समन को नहीं माना. उमर फारूख की मांग है कि पूछताछ दिल्ली नहीं श्रीनगर में की जाए. जिसके लिए एनआईए तैयार नहीं है.
एनआईए का दावा है कि उनके पास काफी सबूत हैं, जिनसे साबित होता है कि मीरवाइज़ टेरर फंडिंग केस में शामिल है. उम्मीद है उमर फारूख समेत बाकी 6 बड़े अलगाववादी नेताओं पर कार्रवाई की जा सकती है. इन नेताओं में मीरवाइज उमर फारूख के अलावा सैयद अली शाह गिलानी, मोहम्मद अशरफ खान, मसर्रत आलम, जफर अकबर भट के नाम शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक ये कार्रवाई अगले 2 महीनों के अंदर की जा सकती है.
जाहिर है अलगाववादियों पर फंदा कसता जा रहा है, लिहाजा एनआईए के खिलाफ एक नयी साजिश शुरू हो चुकी है. दरअसल घाटी में दावा किया जा रहा है कि अवंतिपोरा के रहने वाले 28 साल के रिजवान असद की मौत एनआईए की कस्टडी में हुई है. घाटी में अलगाववादियों ने प्रोपगैंडा शुरू कर दिया है. अलगाववादियों द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ दिन पहले एनआईए की टीम ने रिजवान असद को हिरासत में लिया था.
हालांकि एनआईए ने स्टेटमेंट जारी कर स्पष्ट किया है कि एजेंसी ने रिजवान असद को किसी भी केस में जांच के लिए नहीं बुलाया, न ही कोई पूछताछ की. ना ही उसे किसी दूसरी लोकेशन पर जांच के लिए बुलाया गया.
जांच के आदेश दिए गए हैं. पर, कोशिश की जा रही है कि एनआईए को विलेन के तौर पर पेश किया जा सके. इसके लिए अलगाववादियों ने फिर से घाटी बंद का ऐलान किया है. रिजवान की मौत के मामले में झूठा प्रोपगैंडा बनाकर टेटर फंडिंग केस में फंसे नेताओं को बचाने की कवायद शुरू हो चुकी है.