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उच्च शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षण की भूमिका विषय पर राष्ट्रीय परिचर्चा

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नई दिल्ली. कोरोना काल को देखते हुए उच्च शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया जाना आवश्यक है. अब पारम्परिक शिक्षा व्यवस्था बदलनी ही पड़ेगी. हमने यूजीसी को सुझाव दिया है कि आगामी शिक्षा सत्र में नवाचार को अपनाते हुए दो दिन ऑनलाइन तथा दो दिन शिक्षण संस्था में प्रत्यक्ष पढ़ाई से तथा एक दिन प्रोजेक्ट व प्रैक्टिकल के लिए निश्चित हो ताकि पुरानी रटन पद्धति बंद होकर विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करें व घर में प्रश्न और जिज्ञासा को निर्मित कर शिक्षा से विचारों का आदान-प्रदान करें. व्यवहारिक अनुभव प्रोजेक्ट से पूर्ण करें. इन्हीं प्रयोगों से विद्यार्थियों में चुनौती को अवसर में बदलने की परम्परा स्थापित होगी. महात्मा गाँधी नेभी हैंड, हेड और हार्ट के समन्वय की शिक्षा पद्धति की बात कही थी जो इस पद्धति से सम्भव है. इन सबसे चुनौती को अवसर में बदलने की परम्परा स्थापित होगी.

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय एवं भारतीय विश्वविद्यालय संघ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित परिचर्चा को  न्यास के राष्ट्रीय सचिव  अतुल कोठारी सम्बोधित कर रहे थे. उच्च शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षण” विषय पर आयोजित परिचर्चा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह ने कहा कि देश में उच्च शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था स्थापित करने के लिए नवाचार किए जा रहे हैं. उच्च शिक्षा के विभिन्न संस्थानों के माध्यम से शासन 20 से 40 प्रतिशत उच्च शिक्षा को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाए जाने का कार्य प्रगति पर है. देश के समस्त विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा के संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. ऑनलाइन शिक्षण में शिक्षकों की विशेष भूमिका रहेगी, इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उनके प्रशिक्षण का देशव्यापी कार्यक्रम बना रहा है.

नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी के महानिदेशक डॉ. विनीत जोशी ने कहा कि एनटीए ने इस अवधि को एक अवसर के रूप में लेकर स्वयं के स्वतंत्र पोर्टल बनाने पर कार्य कर रहा है. ऑनलाइन टेस्ट के विषय में अभी तक लोगों के मन में संशय था कि ऑनलाइन टेस्ट को केवल MCQ आधारित टेस्ट के लिए ही सीमित माना जाता था, परंतु तकनीक के माध्यम से आज पेन पेपर टेस्ट को भी ऑनलाइन मोड से मॉनिटर किया जा सकता है, हम इस तकनीक पर काम कर रहे हैं कि विद्यार्थी घर बैठ कर परीक्षा दे पाएगा. एनटीए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स आधारित असेसमेंट पर भी कार्य कर रहा है. तकनीकी संसाधनों के कारण परम्परागत परीक्षा पद्धति में होने वाला व्यय भी कुछ हद तक कम होगा. एनटीए ग्रामीण क्षेत्रों के कम्युनिटी सेंटर का टेस्ट प्रैक्टिस सेंटर के रूप में प्रयोग करने पर भी विचार कर रहा है.

परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए इग्नू के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में शिक्षा और शिक्षण दोनों में बदलाव का समय है. शिक्षक की भूमिका बदल रही है. ऑनलाइन शिक्षा से शिक्षक का महत्व कम नहीं हुआ है, बल्कि बढ़ा है, शिक्षक अब क्लास रूम के सीमित विद्यार्थियों के बजाय सुदूर तक शिक्षा देने का काम कर रहे हैं. अब हमें पुराने शिक्षकों को प्रशिक्षित करना होगा तथा नए शिक्षकों के लिए पाठ्यक्रम आधारित प्रशिक्षण करवाना होगा.

परिचर्चा को संबोधित करते हुए भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल ने कहा कि कोविड19 के बाद की स्थिति को ध्यान में रखते हुए हमें उच्च शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था को लागू करना आवश्यक है, किंतु इसके लिए सम्पूर्ण भारत में संसाधनों को संयोजित करना होगा. जी.एस.जे.एम. विश्वविद्यालय कानपुर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि आगामी योजनाओं हेतु हमें भवन निर्माण से ज़्यादा तकनीकी संसाधनों के मूलभूत ढाँचे की आवश्यकता होगी. परिचर्चा में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सचिव डॉ. वी.के. मल्होत्रा, इंदिरा गाँधी विवि, मीरपुर रेवाड़ी के कुलपति प्रो. सुरेंद्र, चौधरी बंसीलाल विवि भिवानी के कुलपति प्रो. आर.के. मित्तल, एनआइटी त्रिचि के डायरेक्टर प्रो. कन्निबरन जी, आईआईआईटी पुणे के निदेशक प्रो. अनुपम शुक्ला जी आदि ने सहभागिता कर उच्च शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए. परिचर्चा का संचालन इग्नू के सम-कुलपति रविंद्र कान्हेरे ने किया.

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