देहरादून. उत्तराखंड उत्थान परिषद प्रवासी उत्तराखण्डियों के माध्यम से प्रदेश के उजड़े गांवों को आबाद करने की योजना बना रही है. इसके लिये संगठन द्वारा छह गांवों का चयन किया गया है. जहां ग्राम देवता के मंदिर में ग्रामोत्सव के माध्यम से प्रवासी उत्तराखण्डियों को अपनी जड़ों से जोड़ा जायेगा . इस उद्देश्य के लिये उत्तराखंड उत्थान परिषद तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दोनों प्रयासरत हैं. इसी सिलसिले में एक समारोह आयोजित किया गया जिसमें वृक्षरोपण भी कराया गया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश तथा संचालक के रूप में महेन्द्र सिंह उपस्थित थे. कार्यक्रम में रामप्रकाश पैन्यूली के अलावा के.एन नौटियाल, जी. आर. चडढा़, सुरेन्द्र मित्तल सहित दर्जनों वरिष्ठ लोग उपस्थित थे. इसी अवसर पर श्री चड्ढा़ की कृति ‘‘खिलते फूल’’ का विमोचन डॉ.. हरीश ने किया.
डॉ. हरीश ने हरेला पर्व की चर्चा करते हुए कहा कि यह पर्व उत्तराखण्ड का सांस्कृतिक पर्व है, जिसके माध्यम से हम प्रकृति को सजाने-संवारने का काम करते है. उन्होंने यह भी कहा कि जून माह में काफी गर्मी होती है, ऐसे में वृक्षारोपण अभियान चलाए जाने से वृक्षों के जीवित रहने की संभावनायें कम हो जाती हैं, जबकि हरेला पर्व के समय गर्मी कम हो जाती है और निरंतर बरसात के कारण पेड़ों और पौधे को पनपने का मौका मिलता है. उन्होंने कहा कि हरेला पर्व के महत्व को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस पर्व को पर्यावरण दिवस के रूप में मनायेगा . इसी अभियान के तहत अगले वर्ष एक लाख पौधे लगाय़े जायेंगे.
प्रांत प्रचारक ने संघ से जुड़े तथा अन्य स्वयंसेवी संगठनों से आग्रह किया कि हरेला जैसे प्रकृति से जुड़े पर्व को आंदोलन के रूप में लें. आज की मांग है कि हम अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति को हराभरा बनायें. उन्होंने इस अवसर पर वैज्ञानिक अवधारणायें भी प्रस्तुत कीं तथा कहा कि उत्तराखंड में 5 जून के बजाय हरेला पर्व को पर्यावरण दिवस के रूप में प्रस्तुत किया जाये जो काफी प्रभावित साबित हो सकता है.
कार्यक्रम में उत्तराखंड उत्थान परिषद के संगठन मंत्री रामप्रकाश पैन्युली ने संगठन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उत्तराखंड उत्थान परिषद प्रवासी उत्तराखण्डियों के माध्यम से वीरान गांवों की आबाद करने की योजना बना रहा है. इसके प्रथम कड़ी के रूप में पूरे प्रदेश के छह गांवों में प्रवासियों के माध्यम से ग्राम देवता के मंदिर में विशेष कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को भावनात्मक रूप से गांवों से जोड़ा जा रहा है. इसके पीडे उददेश्य यह है कि पहाड़ के उजड़े गांव पुनः बसे तथा प्रवासी के साथ- साथ यहां रहने वाले सभी उत्तराखण्डी अपने गांवों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ें. इसीलिये प्रवासी पंचायत के माध्यम से लोगों को जोड़ने की कवायद जारी है.
जिन गांवों में इस बार आयोजन किया गया तथा प्रवासियों को जोड़ा गया उनमें मुंसी गांव तथा माख्टी चकराता क्षेत्र, नारायण बगड़ चमोली, चाई गांव पौड़ी, भिगुन गांव टिहरी तथा ऋषिधार, घुत्तु टिहरी गढ़वाल शामिल है. श्री पैन्युली ने कहा कि प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश के निर्देशन पर अगले बार हरेला पर्व पर एक लाख वृक्षों का रोपण किये जाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे क्षेत्र का पर्यावरण समृद्ध होगा.