अहमदाबाद (विसंके). कन्याकुमारी में विवेकानंद शिला स्मारक के सर्जक और विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के संस्थापक एकनाथजी रानाडे जन्मशती पर्व का यहां 15 नवंबर को मनाया गया.
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गुजरात की प्रांत कार्यकारिणी के सदस्य श्री अमृतभाई कड़ीवाला ने रानाडेजी के साथ अपने संस्मरण साझा किये. उन्होंने बताया, ” एकनाथजी की स्मरण शक्ति अदभुत थी. उनका व्यवहारिक और आध्यात्मिक जीवन उच्च कोटि का था. एकनाथजी कहते थे ” पवित्र बनो और तुम्हारे अंदर जो कुछ है उसका अन्य में सिंचन करो. वे कहा करते थे के सफलता के लिये 10 % प्रेरणा और 90 % परिश्रम जरूरी है. साथ ही, चित्त, वाणी और व्यवहार में एकरूपता होना जरूरी है.”
प्रांत संघचालक डॉ. जयंतीभाई भाडेसिया ने कहा कि एकनाथजी कोई भी कार्य पूर्ण उत्कृष्टता के साथ करते थे और उसमे सभी की सहभागिता रहती थी. उनके गुणों को अपने जीवन में उतारें – यही उनके शताब्दी वर्ष की सार्थकता होगी.
इस अवसर पर विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी की उपाध्यक्षा सुश्री निवेदिता भिड़े ने कहा कि एकनाथजी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जीवन की दिशा मिली. एकनाथजी कहते थे जीवन में श्रेष्ठता को खोजो. वे कभी भी समस्याओ से घबराते नहीं थे और कोई भी कार्य अत्यंत उत्कृष्टता के साथ करने का आग्रह रखते थे. एकनाथजी अत्यंत कुशल संगठक, किसी भी कार्य के प्रति पूर्वाग्रह व अहंकार से हमेशा पूर्णतया मुक्त थे. वे एक महामानव थे.
निवेदिता दीदी ने शिला स्मारक के निर्माण के समय आई बाधाओ तथा एकनाथजी द्वारा उन बाधाओं के कुशलतापूर्वक निराकरण का उल्लेख किया. दीदी ने कहाँ ” सेवा ही साधना” यही एकनाथजी का मूलमंत्र था. विवेकानंद केंद्र, गुजरात द्वारा एकनाथजी जन्मशती पर्व के अवसर पर प्रकाशित पांच पुस्तकों का विमोचन निवेदिता दीदी द्वारा किया गया. एकनाथज रानाडे जन्मशती पर्व के इस कार्यक्रम में डॉ. कमलेश उपाध्याय (मान.एकनाथजी जन्मशती पर्व, प्रमुख- गुजरात प्रांत) तथा श्री विनोदभाई त्रिवेदी (प्रांत संचालक, विवेकानंद केंद्र-गुजरात) सहित बड़ी संख्या में गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे.