अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ ‘एकात्म मानववाद’ के विशेष संदर्भ में आर्थिक विकास विषय पर सभी के लिये राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता आयोजित कर रही है. प्रतियोगिता के संयोजक डॉ. चन्द्र प्रकाश सिंह के अनुसार एक लाख रुपये के एकमात्र पुरस्कार वाली इस प्रतियोगिता में आलेख भेजने की अंतिम तिथि 15 जुलाई है. पुरस्कार की घोषणा आगामी 25 सितंबर को होगी.
डॉ. सिंह ने कहा है कि जहां संचार एवं सम्पर्क की दृष्टि से विश्व एक ग्राम बनता जा रहा है, वहीं, दूसरी ओर व्यक्ति का व्यवहार एवं कार्य स्वकेन्द्रित होते जा रहे हैं. सुख की खोज में अधिक से अधिक भौतिक साधनों की प्राप्ति ही मनुष्य के जीवन का उद्देश्य बन गया है. परिणाम स्वरूप मनुष्य के व्यक्तित्व, समाज तथा सम्पूर्ण विश्व में आन्तरिक विरोधाभास दिखलाई पड़ रहा है. हमारे प्राचीन चिंतकों ने मनुष्य के आन्तरिक व्यक्तित्व के पहलुओं तथा व्यक्ति समाज एवं सृष्टि के बीच गूढ़ सम्बन्धों पर गहन चिन्तन किया. उन्होंने ‘विश्वम् भवतु’ एक नीडम’ एवं ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ जैसे विचार दिये. इन विचारों के आधार पर पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने ‘एकात्म मानववाद’ के दर्शन का प्रतिपादन किया. उन्होंने मानव व्यक्तित्व के चार पहलुओं शरीर, मन, बुद्धि एवं आत्मा के साथ ही व्यक्ति, परिवार, समाज एवं सृष्टि के अन्तर्सम्बन्धों की भी विवेचना की तथा एक ऐसे आर्थिक विकास के प्रारूप की बात कही जो व्यक्ति के आन्तरिक व्यक्तित्व एवं परिवारए समाज तथा सृष्टि के साथ बाह्य सम्बन्धों में कोई संघर्ष उत्पन्न न करे. हमारे शास्त्रों में धर्म के साथ अर्थ को जोड़कर कामनाओं के पूर्ति की बात कही गई है, जिसका अन्तिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है. किन्तु अर्थोत्पादन आज जीवन का आवश्यक आधार नहीं अपितु सम्पूर्ण जीवन का लक्ष्य बन गया है. आज मनुष्य के जीवन का लक्ष्य और उसमें अर्थ का स्थान निश्चित न होने के कारण हम उस मार्ग का भी ठीक निर्धारण नहीं कर पा रहे हैं जिस पर चलकर सुख पूर्वक समृद्धि का उपभोग हो सके. पं. दीनदयाल उपाध्याय के अनुसार आर्थिक विकास के तीन लक्ष्य हैं. हमारी आर्थिक योजनाओं का प्रथम लक्ष्य राजनीतिक स्वतंत्रता की रक्षा का सामर्थ्य उत्पन्न करनाए दूसरा लक्ष्य प्रजातन्त्रीय पद्धति के मार्ग में बाधक न होना और तीसरा हमारे जीवन के कुछ सांस्कृतिक मूल्य जो राष्ट्रीय जीवन के कारण, परिणाम और सूचक हैं तथा विश्व के लिये भी उपादेय हैं, उनकी रक्षा करना होना चाहिये. यदि उन्हें गवांकर कर हमने अर्थ कमाया तो वह अनर्थकारी और निरर्थक होगा. अतः हमारी आर्थिक नीति इन कसौटियों पर आधारित होनी चाहिये. एक तरफ, पूंजी का स्वामित्व राज्य के हाथों में देकर संतोष करने वाली साम्यवादी अर्थव्यवस्था व्यक्ति की रुचि, प्रकृति एवं गुणों की विविधता को ध्यान न देने के कारण असफल सिद्ध हो चुकी है, तो दूसरी तरफ व्यक्ति को ही सब कुछ मानने वाली उपभोक्तावादी अर्थव्यवस्था उत्पादन के केन्द्रियकरण एवं एकाधिपत्य के कारण पूंजीवाद में परिवर्तित हो चुकी है, जिसमें व्यक्ति का स्थान एकदम गौण हो चुका है. पूंजीवादी एवं मार्क्सवादी व्यवस्थायें ‘एकात्म मानव’ के पूर्ण व्यक्तित्व तथा वास्तिविक इच्छाओं पर विचार करने में असफल सिद्ध हो चुकी हैं. आज हम वर्तमान आर्थिक संरचना से असंतुष्टि अनुभव करते हुए एक विकल्प की खोज कर रहे हैं. इन परिस्थितियों में ‘एकात्म मानववाद’ एक विकल्प के रूप में हमारे सामने है. उपरोक्त परिस्थितियों में एक राष्ट्रीय निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ के द्वारा किया जा रहा है, जिससे एकात्म मानववाद के आलोक में आर्थिक प्रारूप पर श्रेष्ठतम् विचार हमारे सम्मुख आ सकें.
प्रतियोगिता के नियम:
प्रतियोगिता में सभी सहभागी हो सकते हैं.
किसी भी निबन्ध के दो से अधिक सह लेखक नहीं हो सकते
किसी लेखक, सह लेखक के द्वारा भेजी गयी एक से अधिक प्रवृष्टियाँ स्वीकार नहीं की जायेंगी.
सहभागिता का प्रमाणपत्र लेखकों को ईमेल के माध्यम से प्रेषित किया जायेगा.
निबन्ध मौलिक तथा किसी भी प्रकार के प्रतिलिपिकरण से मुक्त होना चाहिये. लेखकों से यह अपेक्षा है कि वे सूचना के प्राथमिक स्रोत का उल्लेख करें.किसी आलेख में किसी भी प्रकार कॉपी राइट कानून का उल्लंघन नहीं होना चाहिये. ऐसा होने पर वह कॉपी राइट कानून का विषय होगा.
पूर्व प्रकाशित कोई भी सामग्री स्वीकार नहीं होगी.
परिणाम में बराबरी की स्थिति में ए.वी.ए.पी. कोर कमेटी का निर्णय अन्तिम होगा.
आलेख के किसी भी पृष्ठ पर नाम, संस्था का नाम या सम्पर्क आदि अंकित नहीं होना चाहिये.
लेख स्वीकार करने की अंतिम तिथि 15 जुलाई 2014.
परिणाम घोषित करने की तिथि 25 सितम्बर 2014.
इस प्रतियोगिता के लिए भेजे गये लेखों का सर्वाधिकार ए.वी.ए.पी. के पास होगा.
ऐसी किसी भी परिस्थिति के उत्पन्न होने पर जिनका इन नियमों में उल्लेख नहीं हैए.वी.ए.पी. कोर कमेटी का निर्णय अंतिम होगा.
ए.वी.ए.पी. कोर कमेटी के पास उपर्लिखित नियमों को उचित विचार के उपरान्त परिवर्तित कर सकती है.
प्रतियोगिता को निरस्त करने, परिवर्तित करने तथा दिनांक आदि के परिवर्तन का अधिकार भी अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ कोर कमेटी के पास सुरक्षित रहेगा.
प्रतियोगिता में किसी भी प्रकार के विवाद के उत्पन्न होने पर ए.वी.ए.पी. कोर कमेटी का निर्णय अन्तिम रूप से मान्य होगा.
सभी चुनी हुई प्रविष्टियों को ISBN के साथ प्रकाशित करने पर विचार किया जायेगा.
लेख अंग्रेजी के Times New Roman, 12 font तथा हिन्दी में ‘kruti dev’10 font; (MS Word) में होने चाहिये. संदर्भ तथा पुस्तक सूची लेख के अन्त में दिए जाने चाहिये.
विजेता के लिये पुरस्कार:
एक मात्र पुरस्कार: रुपये एक लाख.
शीर्ष 10 प्रविष्टियों को श्रेष्ठता प्रमाण-पत्र.
सभी प्रतियोगियों को प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र.
आलेख nationalthought@gmail.com पर मेल करने के साथ ही डाक के द्वारा तीनप्रतियों में तथा एक सीडी में निम्नलिखित पते पर भेजा जाना चाहिये.
डॉ.चन्द्र प्रकाश सिंह, संयोजक
अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ
महावीर भवन, 21/16 हाशिमपुर रोड, टैगोर टाउन
इलाहाबाद-211002; उत्तर प्रदेश,भारत
फोन एवं फैक्स. 0532. 2466563, मो0. 9453929211
E-mail- nationalthought@gmail.com
आलेख के साथ निम्न विवरण होने चाहिये:
प्राथमिक जानकारी के लिये सभी प्रतिभागियों से यह अपेक्षित है.
1. प्रतिभागी के नाम
2. विश्वविद्यालय या संस्थान का नाम
3. पद
4. सम्पर्क हेतु मोबाइल नम्बर,ई-मेल एवं पत्राचार के लिये पता.
सहयोगी पुस्तकें.
1. एकात्म मानववाद लेखक. पं. दीननदयाल उपाध्याय; सुरूची प्रकाशन, नई दिल्ली.
2. भारतीय अर्थनीति विकास की एक दिशा- लेखक. पं. दीननदयाल उपाध्याय, लोकहित प्रकाशन, लखनऊ.
3. राष्ट्र जीवन की दिशा. लेखक. पं. दीननदयाल उपाध्याय, लोकहित प्रकाशन लखनऊ.
4. एकात्म मानव दर्शन- एक अध्ययन- लेखक दत्तोपंत ठेंगडी; सुरुचि प्रकाशन, दिल्ली.
5. विकास का एक नया प्रतिमान- ‘सुमंगलम’- लेखक डॉ. बजरंगलाल गुप्ता; मूल अंग्रेजी,हिन्दी अनुवाद, ज्ञान पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली.
6. विकल्प- लेखक डॉ. मुरली मनोहर जोशी; सिद्धार्थ पब्लिकेशन्स, ओखला, नई दिल्ली.
7. Hindu Economics- H. Vinod, 2013