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एयर स्ट्राइक के पश्चात माओवंशी पत्रकारों को होने लगी समस्या

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मंगलवार (26 फरवरी) अल सुबह भारतीय वायु सेना ने आतंक के अड्डों पर हमला कर पुलवामा हमले का बदला ले लिया. साथ ही यह संदेश भी दे दिया कि हम मारेंगे और घर में घुसकर मारेंगे. भारतीय वायु सेना के मिराज 2000 विमानों ने पीओजेके में घुसकर जैश-ए-मुहम्मद द्वारा संचालित आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया. वायुसेना के जेट विमानों ने बालाकोट (पाकिस्तान), मुजफ्फराबाद (पीओके) और चाकोटी (पीओके) में आतंकी शिविरों को पूरी तरह नष्ट किया. जिसमें सैकड़ों की संख्या में प्रशिक्षित फिदायीन, कमांडर, ट्रेनर मारे गए हैं.

लेकिन जैसे-जैसे एयर स्ट्राइक की जानकारी आनी शुरू हुई. भरत में ही बैठे शहरी माओवादियों, माओवंशी पत्रकारों के गिरोह को समस्या होने लगी. एक पत्रकार ने सवाल किया कि भारतीय वायु सेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक में कितने आतंकी मरे? वे सबूतों की कमी को दूर करने के लिए ट्विटर का सहारा ले रहे थे. कहा कि चैनल कह रहे हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान हवाई हमलों में 300 आतंकवादी मारे गए हैं. जबकि पाकिस्तानी चैनल दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान में कोई हताहत नहीं हुआ है. दोनों दावों के प्रमाण कहाँ हैं? यह वही पत्रकार हैं जो आतंकी हमला होने पर टीवी चैनल पर बैठकर प्रसन्नता व्यक्त करते हैं, और कहते हैं कि दिन बन गया.

हालांकि, एयर स्ट्राइक के पश्चात हताहतों की आधिकारिक संख्या जारी नहीं की गई है, लेकिन विश्वसनीय स्रोतों के आधार पर काफी जानकारी सार्वजनिक की जा चुकी है. इसके बाद भी, माओ गैंग और तथकथित पत्रकार यह कहते है कि न तो दावों की पुष्टि की गई है और न ही सबूतों के सहारे बात रखी गई है, तो वे इस संभावना के लिए रास्ता बनाते हैं कि पाकिस्तानी दावा भी सच हो सकता है.

यह ठीक वैसा ही है जैसा 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हुआ था. कांग्रेस के कई नेताओं और इसी गैंग के पत्रकारों ने सर्जिकल स्ट्राइक पर संदेह व्यक्त किया था और सबूत मांगे थे. पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में एक अलग जगह पर ले जाकर ये साबित करने की कोशिश की थी कि कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई थी.

तब भी, लिबरल पत्रकारों और विपक्ष के नेताओं ने बड़ी चतुराई से कहा था कि वे भारतीय सेना पर व्यक्तिगत रूप से संदेह नहीं करते हैं, लेकिन यदि पाकिस्तान सबूत माँग रहा है, तो उसे प्रदान किया जाना चाहिए.

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