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कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक संस्कृत भाषा ही सभी को आपस में जोड़ती है: राज्यपाल

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देहरादून (विसंके). उत्तराखंड के राज्यपाल श्री अजीज कुरैशी ने कहा है कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत की यदि कोई सर्वमान्य भाषा हो सकती है तो वह संस्कृत है. उन्होंने संस्कृत के राष्ट्रव्यापी विस्तार के लिये राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति के कुलपति की अध्यक्षता में कुलपतियों की स्थायी समिति गठित करने का ऐलान किया. यह समिति संस्कृत के लिये राष्ट्रीय स्तर पर विजन-डॉक्यूमेंट तैयार करेगी, जिसके आधार पर आगे कार्रवाई की जायेगी.

राजभवन में तीन दिवसीय ‘अन्तरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन’ के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुये राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रति उनका बचपन से लगाव रहा है. देवभूमि उत्तराखंड संस्कृत भाषा के विकास में अग्रणी भूमिका निभाये, देश-विदेश में संस्कृत शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़े, इसके लिये उन्होंने आयोजन की पहल की. राज्यपाल ने विभिन्न सन्दर्भों और उदाहरणों का उल्लेख करते हुये कहा कि भोपाल की मुस्लिम रिसायत के स्कूल और कॉलेजों में करीब 240 साल तक संस्कृत पढ़ाई गई. इससे पता चलता है कि संस्कृत किसी धर्म या वर्ग विशेष तक सीमित नहीं है. उन्होंने वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में कहा कि यदि कालिदास वर्तमान परिवेश में मेघदूत की रचना करते तो वे उत्तराखंड के सुरम्य पर्वतों, सुहानी हवाओं, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के संदेश को पूरी दुनिया में फैलाते. साथ ही दुनिया भर से आतंकवाद, अत्याचार, शोषण को बटोरकर उसे गहरे समुद्र में दफन कर पूरे विश्व को शांति और अमन का पैगाम देते.

शिक्षा मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि गंगा और हिमालय के लिये जो प्रयास हो रहे हैं, वैसे ही प्रयास संस्कृत भाषा के विकास के लिये भी किये जायेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यपाल द्वारा संस्कृत भाषा के विकास के लिये जो पहल की गई है, उसे आगे बढ़ाया जायेगा.

 

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