देहरादून. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने केदारनाथ धाम का 1882 का स्वरूप बहाल करने के लिये व्यापक विचार-विमर्श प्रारम्भ कर दिया है. उन्होंने वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों से लगभग एक घंटा बातचीत की. इस दौरान उन्होंने केदारनाथ धाम के विकास को लेकर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि यहां के तीर्थ पुरोहितों के विचारों को समझकर उनका पूरी तरह ध्यान रखा जायेगा. उसके बाद मंदिर समिति, राज्य सरकार, संस्कृति, पर्यटन मंत्रालय के साथ वाडिया, एफआरआई जैसे संस्थान इस पर साथ मिलकर काम करेंगे.
उमा भारती ने केदारनाथ को लेकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), वन के साथ ही संस्कृति मंत्रालय और राज्य सरकार के साथ एकीकृत योजना तैयार किये जाने की बात दोहराई ताकि रोजगार बढ़े, तीर्थ पुरोहितों के लिये रोजगार बढ़े और मूल स्थान अपने पुराने स्वरूप में लौटे.
पीएम मोदी के ग्रोथ-एंप्लायमेंट मंत्र के बारे में बताते हुये उन्होंने कहा कि इसमें वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान, वन अनुसंधान संस्थान जैसे संस्थानों को मार्गदर्शक के रूप में अपनी भूमिका निभानी चाहिये. हिमनद प्राधिकरण को भी बेहद जरूरी बताया. इस दौरान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, प्रसिद्ध पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट की उपस्थिति उल्लेखनीय थी.