करंट टॉपिक्स

कैलाश यात्रियों ने तोड़ा कई सालों का रिकार्ड

Spread the love

k-1देहरादून. (विसंके) उत्तराखण्ड की तबाही और त्रासदी आखिरकार शिव भक्तों की आस्था के सैलाब को रोक नहीं पायी. कैलास मानसरोवर यात्रा में इस साल सर्वाधिक 18 दल और यात्रियों की संख्या ने पुराने सभी रिकार्ड तोड़ दिये हैं. 2013 में दो दलों में 106 यात्री ही केवल कैलास यात्रा पर गये थे, जबकि इस साल यात्रा 12 जून को शुरू हुई थी और आखिरी 18 वां दल इन दिनों यात्रा पर है. इस साल कुल 910 लोगों ने यात्रा की है. यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को 16 दिन भारतीय क्षेत्र और 8 दिन चीन के क्षेत्र में गुजारने होते हैं.

k-218 दलों में रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे

कुमांऊ मंडल विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक दीपक रावत ने बताया है कि इस वर्ष की यात्रा कई मायने में विशेष रही है. अब तक के सर्वाधिक 18 दलों में रिकार्ड 910 यात्री पहुंचे हैं. इससे पहले 2012 में 774 यात्रियों ने कैलास मानसरोवर यात्रा की थी. 1981 में उत्तराखण्ड से शुरू हुई यात्रा में अब तक 13,534 यात्री कैलास मानसरोवर पहुंचे हैं. प्रबंध निदेशक ने बताया कि उत्तराखण्ड में गत वर्ष की दैवीय आपदा के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए यात्रियों का विश्वास बढ़ाने के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने विशेष प्रयास किये हैं.

कुमाऊंनी व्यंजन के द्वारा शिव भक्तों का स्वागत

इस वर्ष की सफल यात्रा इसी का परिणाम है. यात्रियों को उनकी संस्कृति एवं परिवेश के अनुरूप यात्रा मार्ग पर भोजन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई. यात्रियों को उनके पारंपरिक भोजन के साथ कुमाऊंनी व्यंजन भी परोसे गये. पैदल मार्ग में प्रत्येक यात्री शिविर में डीएसपीटी फोन स्थापित किये गये. पुलिस प्रशासन के अतिरिक्त केएमवीएन के 125 अधिकारी एवं कर्मचारी लगातार यात्रियों की सुविधा एवं सुरक्षा में तत्पर हैं.

Kailash Mansarovarएक वैकिल्पक पैदल मार्ग भी तैयार

आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए जिला एवं पुलिस प्रशासन तथा एसडीआरएफ के जवान भी 24 घण्टे मुस्तैद हैं. प्रबन्धक निदेशक श्री दीपक रावत ने बताया कि प्रत्येक दिन यात्रियों एवं उनके परिजनों को यात्रा एवं मौसम से सम्बन्धित विभिन्न सूचनाएं ई-मेल के माध्यम से दी जाती रही हैं. कैलास मानसरोवर यात्रा उत्तराखण्ड के जिस मार्ग से होकर जाती है, वहां पिछले साल आपदा में काली नदी ने कहर ढाया था. सड़क मार्ग के साथ-साथ करीब आधा दर्जन पुल बह गये थे. भविष्य के किसी संभावित खतरे को देखते हुए इस साल सरकार ने एक वैकल्पिक पैदल मार्ग तैयार किया है, ताकि आने वाली किसी भी समस्या को रोका जा सके. शिव भक्तों की इस अस्था ने यात्रा को एक नये आयाम पर खड़ा कर दिया है. जिसकी आज सरकार को बहुत आवश्यकता है क्योंकि यह हमें अपने सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति जागृत करती है. यह हमारी आस्था की एक अनोखी यात्रा है जिसका प्रमाण पुराणों में भी मिलता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *