जबलपुर. देश के मुस्लिम समुदाय को पिछले 65 वर्षों से दगा ही दगा मिला है. यही कारण है कि वे किसी पर भी भरोसा नहीं कर पा रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में उसके भ्रम दूर हो रहे हैं. वह संघ को समझने में लगा हुआ है. यह कहना है राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के अखिल भारतीय संयोजक इन्द्रेश जी का.
विश्व संवाद केन्द्र के संपादक शिव कुमार कुशवाहा के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि 8 और 9 सितम्बर को मंच की एक बैठक दिल्ली में होगी जिसमें सरसंघचालक डा. मोहनजी भागवत के हिन्दुत्व संबंधी वक्तव्य पर चर्चा की जायेगी. यह पूछे जाने पर कि मुसलमान राष्ट्र की मुख्य धारा से क्यों नहीं जुड़ पा रहे, उन्होंने कहा कि राजनीति ने उन्हें अल्पसंख्यक बनाकर मुख्य धारा से काट दिया है. उन्होंने यह भी कहा, “बड़ी संख्या में होने के बावजूद अल्पसंख्यकवाद के कारण मुस्लिमों का भला नहीं हो पाया.”
मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा मदरसों के आधुनिकीकरण का विरोध किये जाने के संबंध में उन्होंने कहा कि देश के अंदर प्रायः मुसलमानों ने बुनियादी तालीम का स्वागत किया है. आधुनिकीकरण में जब हिन्दुस्थान और उसकी तालीम आयेगी तो अलगाववाद और कट्टरता खत्म होगी और ऐसा वे कट्टरपंथी नहीं होने देंगे. इसीलिये वे इसका विरोध कर रहे हैं. मुस्लिम समुदाय आधुनिक संस्कृति का भी पक्षधर है.
श्री इन्द्रेश ने बताया कि मुस्लिम मंच का कार्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार में अच्छा चल रहा है. जब उनसे यह पूछा गया कि आईएसआई के प्रति भारत के मुस्लिम समाज का दृष्टिकोण कैसा है तो उन्होंने कहा कि मुस्लिमों का बड़ा वर्ग आईएसआई से खुन्नस खाता है. धार्मिक सहिष्णुता बनाये रखना क्या सिर्फ हिन्दुओं की जिम्मेदारी है, के जवाब में मंच के संयोजक ने कहा कि समाज में कुछ लोग होते हैं जो कट्टरता दिखाते हैं. हमें दूसरे पंथों और धर्मों का भी सम्मान करना चाहिये. कोई भी धर्म कट्टरता का उपदेश नहीं देता. एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों में इजराइल के लिये गुस्सा है, इसीलिये वे उसके व्दारा बनाये गये उत्पादों का बहिष्कार करते हैं. जिन देशों से कटुता है उसे संवाद के जरिये खत्म करना चाहिये. आज जरूरत है मुसलमानों और इसाइयों से बातचीत करने की.
श्री इन्द्रेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ज्यादा दंगे होने के पीछे राजनीतिक पार्टियाँ दोषी हैं. जिन्होंने लम्बे समय तक प्रदेश में राज किया है, वे ही इन्हें एक नहीं होने देना चाहते हैं. इन पार्टियों ने मुसलमानों में फूट डालो और राज करो की नीति पर अमल किया. यही कारण है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में मुसलमानों ने भी स्थानीय पार्टियों को वोट नहीं दिया. उन्होंने कहा कि पार्टियों को पंथों के आधार पर वोट का चिंतन नहीं करना चाहिये, इसका चिंतन एक राष्ट्र के रूप में होना चाहिये.