भोपाल (विसंकें). सड़क पर भीड़ जमी है, गाँव के सैकड़ों लोग एक घर के बाहर खड़े हैं.. किसी तरह भीड़ को चीरते अन्दर तक पहुंचे तो घर की चौखट पर मातम पसरा है. परिवार के सभी सदस्य किसी तरह खुद को काबू कर रहे हैं.. हर तरफ रोने का शोर कानों को चीर देने वाला है, लेकिन उसके बावजूद लोगों की आँखों में डर साफ़ दिख रहा है. किसी तरह राजेश फूलमाली के भाई मनोज फूलमाली गहरी सांस लेते हुए कहते हैं “मेरे भाई को मुसलमानों ने मार डाला”… आँखें दोबारा से डबडबा जाती हैं और आगे कुछ और पूछने की हमारी हिम्मत नहीं बन पाई.
मध्यप्रदेश के खंडवा में 18 मई को “जिहादी भीड़” ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक राजेश फूलमाली के घर पर हमला कर दिया. उन्हें बेरहमी से पीटा गया और बचने की कोशिश करने पर उनकी बहन शीला और चाचा पर भी हमला किया. इस घटना में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए. राजेश को पास के सागर जिला चिकिस्तालय लाया गया, जहाँ से 19 मई को उन्हें इंदौर रेफर किया गया. जहाँ चले लम्बे इलाज के बाद भी राजेश हमले के जख्मों से उबर नहीं पाए और 31 मई को उनकी मौत हो गयी.
स्थानीय पुलिस प्रशासन का कहना है कि बकरी चराने की घटना को लेकर हुए विवाद के बाद स्थिति बिगड़ी और आपसी झगड़े में लगी चोटों के बाद राजेश की मौत हो गयी. पुलिस ने सरफराज, सलमान, शबीर, अरमान, शाकिर, आसिफ, अब्दुल, अमीन, बरकत, वहीद, रहमान, वहीद, सोनू, सादिक, इरशाद, परवेश, यूसुफ और सात अन्य लोगों को राजेश फूलमाली और उनके परिवार पर हमला करने के आरोप में हिरासत में लिया है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह यह है कि 02 जून रात तक भी पुलिस ने हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज नहीं किया है.
मामले को दबा रही पुलिस
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस मामले को छिपाने के लिए बकरी की झूठी कहानी गढ़ रही है. स्थानीय निवासी का कहना है कि यह कोई अचानक हुई घटना नहीं है, प्रायोजित तरीके से हमला करके राजेश की मॉब लिंचिंग की गयी है. “समुदाय विशेष” के कुछ लोगों द्वारा 22 अप्रैल को फेसबुक पर सीता माता को लेकर अश्लील टिपण्णी की गयी थी, जिसकी जानकारी लगते ही राजेश ने अपने कुछ साथियों के साथ 29 अप्रैल को स्थानीय थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. पहले तो पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी की, लेकिन उसके बाद 4 मुस्लिम युवकों को हिरासत में लिया. लेकिन पुलिस ने आरोपित युवकों को समझा कर छोड़ दिया और कोई कार्यवाही नहीं की. इसके बाद से इन युवकों ने हिन्दुओं को खुलेआम मारने की धमकी दी. आरोपी अमीन पहले भी सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करता रहा है, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.
राजेश के भाई मनोज फूलमाली बताते हैं कि मुसलमानों ने गाँव में पथराव किया, और लोगों पर लोहे के रॉड से हमला किया. उनका आरोप है कि रामनगर ठाणे के सब इंस्पेक्टर पीसी शिंदे ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण उनके भाई की मृत्यु हो गई. मनोज रोते हुए पूछते हैं कि ‘राजेश की 15 महीने की छोटी सी बिटिया है, ठीक से बोल भी नहीं पाती वो जब पूछेगी तो मैं क्या बताऊंगा….’.
ग्रामीण आरोपियों की जल्द गिरफ़्तारी और राजेश के परिवार के लिए सहायता की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों की मांग है कि परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी और उचित मुआवजा दिया जाए ताकि परिवार को आगे किसी मुश्किल का सामना न करना पड़े.
सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान भी हुई थी हिंसा
खंडवा जिले से ‘जिहादी भीड़’ द्वारा हिंसा का यह कोई पहला मामला नहीं है. पिछले साल सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान भी जिले में पत्थरबाजी और तोड़फोड़ की घटना हुई थी. जिले के इमलीपुरा क्षेत्र में पुलिस पार्टी पर पथराव किया गया था. दीपाला जहाँ राजेश को पीट पीट कर मार डाला गया और इमलीपुरा दोनों मुस्लिम बहुल इलाके हैं.
खंडवा लम्बे समय तक स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (सिमी) का गढ़ रहा है. इस दौरान अकिल खिलजी ने खंडवा जिले में सिमी का नेटवर्क तैयार किया था, वह मुस्लिम युवाओं को जिहाद का पाठ पढ़ा कर आतंकी गतिविधियों से जोड़ता था. आज भी खंडवा में सिमी के प्रभाव को पूरी तरह से नाकारा नहीं जा सकता है. 2002 में सरकार ने सिमी पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, उससे पहले इस जिले में सिमी ने कई बार दंगे भड़काए थे.