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खरखौदा कांड का मुख्य आरोपी सनाउल्ला गिरफ्तार

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salaulalla__1633408504मेरठ. उत्तर प्रदेश पुलिस ने खरखौदा के चर्चित धर्मपरिवर्तन और सामूहिक दुष्कर्म कांड के मुख्य आरोपी सनाउल्ला को गिरफ्तार कर लिया है. मेरठ परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक  के सत्यनारायण ने सनाउल्ला की गिरफ्तारी की पुष्टि की. सनाउल्ला पर धर्म परिवर्तन के लिये उकसाने और युवती के यौन शोषण का आरोप है. पुलिस ने इस प्रकरण में अभी तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन सनाउल्ला पुलिस की पकड़ से दूर था.

हिंदू संगठनों का आरोप था कि पुलिस राजनीतिक दबाव में सनाउल्ला को गिरफ्तार नहीं कर रही है. पूरे प्रकरण में घेरे में रही पुलिस पर यह भी आरोप था कि वह टुकड़ों-टुकड़ों में धर्म परिवर्तन और दुष्कर्म को नकार रही है और पूरे मामले को प्रेम प्रसंग में परिवर्तित करने का प्रयास कर रही है तो सनाउल्ला की घर की कुर्की का दिखावा क्यों किया जा रहा है. अभी मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और अन्य पुलिस अधिकारी सनाउल्ला की गिरफ्तारी पर मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं. सनाउल्ला पर आरोप है कि उसने ही युवती के तमाम मदरसों में रहने का इंतजाम कराया और मेरठ में उसके ऑपरेशन से लेकर धर्म परिवर्तन तक में उसकी अहम भूमिका रही है. अब प्रकरण में सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन अब तक की जांच में पुलिस मान रही है कि लड़की का न तो धर्म परिवर्तन हुआ और न सामूहिक दुष्कर्म हुआ है. ऐसे में देखना होगा कि पुलिस पूरे मामले को अब अदालत में किस तरह पेश करती है.

कुर्की की कार्रवाई की तैयारी थी

धर्मातरण के मुख्य आरोपी सनाउल्ला के किसी मदरसे में छिपे होने की आशंका थी. उसे पकड़ने की कवायद में पुलिस ने उस पर इनाम घोषित करने के बाद कुर्की की कार्रवाई के लिये अदालत में अर्जी डाल दी थी.

आरोपियों की लोकेशन जुटाने में पुलिस का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले सर्विलांस भी फेल हो गया था. सनाउल्ला की गिरफ्तारी के लिये बनाई गई सभी टीमों की मॉनीटरिंग खुद एसपी देहात कैप्टन मिर्जा मंजर बेग कर रहे थे. गुड़गांव से लेकर मुजफ्फरनगर, नोएडा, हापुड़ में सनाउल्ला की रिश्तेदारियों में दबिशें दी गईं.

सनाउल्ला को बचाने में पुलिस ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. पूरी तरह से सियासी दबाव में काम कर रही पुलिस ने सनाउल्ला की गिरफ्तारी को दर्शा दी, लेकिन इतने दिन तक सनाउल्ला की फरारी के बारे में कुछ नहीं कहा. सूत्रों का कहना है कि सनाउल्ला इस दौरान खुद को बीमार साबित करने में जुटा रहा और कैबिनेट मंत्री के संरक्षण में था. बचाव के कागजात दुरुस्त होने के बाद ही उसे जेल भेजा गया.

युवती की साथ गैंगरेप और धर्मांतरण के आरोपियों को बचाने के आरोप लंबे समय से लोग मेरठ के कैबिनेट मंत्री पर लगा रहे हैं. सनाउल्ला से दूर की रिश्तेदारी और लोकसभा चुनावों के दौरान सपा प्रत्याशी रहे इस कैबिनेट मंत्री के लिये काम करने के कारण ही उसका बचाव किया जाता रहा. भाजपा और हिंदू संगठनों के दबाव को भी दरकिनार करते हुए कैबिनेट मंत्री ने अपनी मर्जी से सनाउल्ला को पुलिस को सौंपा. पुलिस उसे पकड़ने के लिये छापे मारने की बात कहती रही और वह फरार होकर खुद को दिल्ली के अस्पताल में हार्ट पेशेंट दिखाकर भर्ती होने के कागजात बनवाता रहा. सूत्रों का कहना है कि सनाउल्ला पर मंत्री की कृपा के कारण पुलिस ने भी उसे मेहमान का दर्जा दिया. कोर्ट का समय निकलने के बाद ही उसे अदालत में पेश करके जेल भेजा गया. इसके साथ ही उसे पत्रकारों से भी दूर रखा गया.

पुलिस का दोहरा रवैया यहीं समाप्त नहीं हुआ. प्रेस वार्ता के दौरान एसएसपी ओंकार सिंह ने पीड़िता के बयानों को एक तरह से झूठा साबित करने की कोशिश की और मदरसों का भी बचाव किया. पीड़ितों के बयान के आधार पर पुलिस ने दौताई से लेकर, हापुड़, गढ़ और मुजफ्फरनगर के एक भी मदरसे पर कार्रवाई नहीं की.

एसएसपी ने सनाउल्ला को संवाददाता सम्मेलन में मीडिया के सामने प्रस्तुत नहीं किया और स्वयं ही उसकी बेगुनाही गिनाने में जुट गये. उन्होंने तो यह घोषणा कर डाली कि यदि पीड़िता ने अपने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के अंतर्गत दर्ज कराए बयान में 29 मई को अपहरण की बात कही हो तो वह यह साबित करने वाले को एक लाख रुपये देंगे.

पीड़ित युवती ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा कि 29 जुलाई को दर्द की दवाई लेने मेडिकल स्टोर जा रही थी. तभी ग्राम प्रधान नवाब और सनाउल्ला उठाकर ले गये. रात को सनाउल्ला के घर के कमरे में बंद रखा. बाद में हापुड़ मदरसे में ले गये. इसके बाद बुलंदशहर में गाड़ी में बैठाया और गढ़ की और जाने लगे. दोताई गांव के मदरसे में ले गये. वहां मदरसे के हाफिज ने कहा कि पहले लड़की का धर्म परिवर्तन कराओ. तत्काल शपथ पत्र तैयार कर मेरे हस्ताक्षर कर मेरा नाम बुशरा जन्नत रख दिया. फिर एक घर में ले जाकर बंद कर दिया. फिर बोले कि घबराओ मत तुम्हारे जैसी और लड़कियां भी है. तीन अगस्त को मैं मुजफ्फरनगर के मदरसे से भाग निकली. इसके बाद भी पुलिस पीड़िता को ही दोषी ठहराने की कोशिश में जुटी है.

पीडि़ता के परिजन बोले, सीबीआई जांच से ही मिल सकता है न्याय

मेरठ. जिस तरह से पुलिस गैंगरेप और जबरन धर्मांतरण के आरोपियों को बचाने के लिये प्रयत्नशील दिखाई दे रही है, उससे पीड़िता के परिजन पूरी तरह से निराश हैं. परिजनों का साफ कहना है कि पुलिस अधिकारी पूरी तरह से सियासी दबाव में काम कर रहे हैं. अब तो केवल सीबीआई जांच से ही न्याय मिल सकता है. उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की.

देश भर में गूंजने वाले खरखौदा की युवती से गैंगरेप और धर्मांतरण के मामले की सीबीआई जांच की मांग पहले भी उठाई जा चुकी है. भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने लोकसभा में और जेडीयू सांसद केसी त्यागी ने राज्यसभा में इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग उठाई थी. इसका कारण उत्तर प्रदेश की पुलिस पर किसी को विश्वास नहीं होना रहा.

अब जिस तरह से पुलिस ने इस मामले के मुख्य आरोपी सनाउल्लाह का बचाव किया है और खुद ही उसकी बीमारी के सुबूत पेश किये हैं, उससे यह आशंका सही साबित हो रही है. पीडि़ता के पिता ने कहा कि आरोपी सनाउल्ला को नेताओं का संरक्षण प्राप्त था. उसने राजनेताओं का सहारा लेकर ही दिल्ली के अस्पताल से फर्जी मेडिकल तैयार करा लिया, जबकि वह 29 जून को पीड़िता के साथ बुलदंशहर और हापुड़ रोड पर स्थित मदरसे में मौजूद था. पुलिस ने नवाब की लोकेशन भी मोबाइल के आधार पर गलत बताई है. पूरे मामले को दबाव के चलते रफादफा किया जा रहा है. नौकरी के लिये शपथ पत्र बनवाने की एसएसपी की कहानी को झूठा बताते हुए परिजनों ने कहा कि क्या वह मुजफ्फरनगर में नौकरी मांगने जायेगी? यदि पुलिस कलीम से प्रेम प्रसंग भी बता रही है तो उसे मुजफ्फरनगर में मदरसे के अंदर क्यों रखा गया, जहां से उसका सौदा कर बाहर के देशों में भेजने की तैयारी थी. यदि पीड़िता अपनी मर्जी से सबकुछ कर रही थी तो मुजफ्फरनगर से अकेली आरोपियों के चंगुल से भागकर क्यों आई?

पीडि़ता के मुल्जिम:  पुलिस के बेकसूर

1. ग्राम प्रधान नवाब

सामूहिक दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन: फर्जी शपथ पत्र बनाने का आरोप

2. मदरसे के हाफिज सनाउल्ला

धर्मांतरण और प्राइवेट पार्टस पर छेड़छाड: धर्मांतरण का शपथ पत्र बनाना

3. निशात

धर्मांतरण के लिए पीडि़ता को गुमराह करना: आरोपियों का सहयोग करना

4. समरजहां पत्नी सनाउल्ला

अपहरण के बाद पीडि़ता को घर में बंधक बनाकर रखना

5. गुल सनव्वर दोताई मदरसे के हाफिज

मदरसे में धर्मातरण के लिए शपथ पत्र बनाना

6. वकील अहमद निवासी दोताई

मदरसे में धर्मातरण के लिए शपथ पत्र बनाना

7. कलीम अहमद निवासी उलधन

पीडि़ता को मेडिकल कॉलेज में पत्नी दर्शाने का आरोपी

सवाल छोड़ गई पुलिस की विवेचना

सच्चाई क्या है, इसे इतनी आसानी से नहीं जाना जा सकता, लेकिन जांच की प्रक्रिया ये जरूर बता देती है कि सच्चाई जानने की कोशिश की जा रही है कि नहीं. खरखौदा प्रकरण में पुलिस के दावे अपनी जगह हैं, लेकिन पुलिस की जल्दबाजी और तौर-तरीके ने काफी सवाल खड़े किये हैं.

– सनाउल्ला की बीमारी को पुलिस ने जिस बेताबी के साथ हाथों-हाथ लिया,लेकिन युवती की मेडिकल रिपोर्ट और फोरेंसिक रिपोर्ट पर इतनी तेजी क्यों नहीं दिखाई.

-सप्ताह भर में दो बार प्रेस कांफ्रेंस कर जिस प्रकार एसएसपी ने मुद्दों को उलझा दिया. घटनाक्रम को क्रमवार समझाने के बजाय उसे टुकड़ों में उलझाया गया.

– घबराहट में पुलिस ने सनाउल्ला की ईसीजी रिपोर्ट को प्रेस के समक्ष पेश कर सनाउल्ला की बीमारी को स्थापित करने का प्रयास किया, किंतु आरोपी को पेश नहीं किया गया. मेरठ में ऐसी मेडिकल रिपोर्ट की ज्यादा विश्वसनीयता नहीं है, क्योंकि कई बार बचाव के रूप में इसका प्रयोग किया जा चुका है.

-प्रदेश के आलाधिकारियों ने तो पीड़िय युवती के बयान को किनारे करते हुए दुष्कर्म के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया. एसएसपी दूसरी बार प्रेस वार्ता में पेश हुये और कई बार वह अपने तर्को से आरोपी पक्ष के वकील नजर आये. बेशक बेगुनाह को कतई सजा नहीं मिलनी चाहिये, किंतु पुलिस को आरोपों की तह में तो जाना चाहिये.

– मेडिकल कालेज की सीसीटीवी फुटेज से लेकर पुलिस की छापामारी तक कहानी उलझी हुई है. जो पुलिस की विश्वसनीयता को और घटा गई है.

…तो फिर पीडि़ता को छोड़ सभी बेगुनाह हैं

आठ अगस्त को प्रेस कांफ्रेंस में असहाय से दिखने वाले कप्तान बुधवार की प्रेस कान्फ्रेंस में नये जोश में थे. ये जोश किस बात का था- खरखौदा कांड का खुलासा करने का या सियासत के मुताबिक सारी गोटियां फिट करने का. ये पता नहीं,लेकिन बुधवार को उनके तेवर देखकर लग रहा था कि सब कुछ ठीक से निपट गया है. सवाल दागे गये तो बड़े तरीके से जवाब दिये. पीड़िता के आरोपों को झूठा ठहराने के लिये उनका पूरा होमवर्क था तो आरोपियों के बचाव की उससे पुख्ता तैयारी. उन्होंने साफ भी कर दिया कि लड़की पूरी तरह झूठी है और आरोपियों के कसूर बहुत मामूली हैं. तारीख के साथ क्रमवार दस्तावेज दिखाकर एसएसपी ने बताया कि युवती के सभी आरोप गलत हैं. पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट को तो कप्तान ने कभी मीडिया के सामने नहीं रखा, लेकिन सनाउल्ला की बीमारी के दस्तावेज वह संभाल कर लाये थे. सनाउल्ला की ईसीजी रिपोर्ट भी मीडिया के सामने पेश कर दी. खरखौदा के सामूहिक दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन मामले में प्रेस कांफ्रेंस का समय पांच बजे रखा गया था. एसएसपी ने प्रेस हाल से बाहर खड़े होकर ही मीडिया के सामने पूरी कहानी को बयां कर दिया. उसके बाद प्रेस हाल के अंदर विस्तार से पूरी कहानी को बताया.

एसएसपी की प्रेस कांफ्रेंस का सार

1. 29 जून को हापुड़ के मदरसे में सनाउल्ला ने छेड़छाड़ की, नवाब और शानू ने दुष्कर्म किया, पीड़िता के ये आरोप हैं. एसएसपी ने दस्तावेज दिखाये कि इस तारीख को सनाउल्ला बीमार था और अस्पताल में भर्ती था. सनाउल्ला के साथ उसका भाई रजाउल्ला और नवाब प्रधान भी दिल्ली भर्ती कराने गया था. शानू की लोकेशन उसके गांव में थी.

2. 23 जुलाई को एफआइआर के मुताबिक, पीड़िता ने अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया, जबकि 22 जुलाई को महानगर के एक निजी सेंटर पर पीड़िता ने अल्ट्रासाउंड कराया, जिसमें 45 दिन की गर्भवती बताई गई.23 जुलाई को डाक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी, जिस पर सहयोगी कलीम के साथ मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन कराया. इससे साफ है कि अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई.

3. 29 जुलाई को युवती पर धर्मांतरण का शपथ-पत्र बनवाने का आरोप है, जिसमें पीड़िता खुद ही सनाउल्ला के घर पर पहुंची थी, जहां रात में सनाउल्ला की पत्नी समरजहां के साथ मौजूद रही.30 और 31 को दोताई के मदरसे में ले जाकर शपथ पत्र तैयार कराया गया. शपथ-पत्र जारी होने से धर्मांतरण नहीं हो जाता है. शपथ पत्र पीड़िता ने मुजफ्फरनगर के मदरसे में नौकरी पाने के लिये बनवाया था. बाकायदा एक तारीख को उसे मुजफ्फरनगर ले गये, वहां मुस्तफा कालोनी में अकरम के घर रखा गया. उसके ऑपरेशन के टांके भी राणा चौक स्थित दीवान हॉस्पिटल में तैनात फार्मासिस्ट इकरार ने काटे थे. दो दिन तक वहीं रहने के बाद पीड़िता अपनी मर्जी से तीन अगस्त को मेरठ के लिये रवाना हो गई.

ये है पीडि़ता का अदालत में दिया बयान

1. 29 जून को घर से कालेज के लिये निकली थी. गांव में ही निशात मिली और वह मुझे बुर्का पहनाकर हापुड़ ले गई. वहां प्रधान नवाब और हाफिज सनाउल्ला और शानू खड़े थे. बोली कि, यह दोनों तुम्हें स्कूल छोड़ देंगे. गाड़ी में सवार होते ही नवाब और शानू ने छेड़छाड़ करनी शुरू कर दी. गाड़ी से हापुड़-बुलदंशहर रोड पर मदरसे में पहुंचे, जहां शानू और नवाब ने दुष्कर्म किया. सनाउल्ला ने प्राइवेट पार्ट से छेड़छाड़ की. इसके बाद मैं बेहोश हो गई. मुझे गाड़ी में बैठाकर घर छोड़ दिया.

2. 23 जुलाई को निशात के साथ हापुड़ आई. वहीं सनाउल्ला और नवाब ने अल्ट्रासाउंड कराया. गर्भवती होने पर 23 को ही मेरा ऑपरेशन करा दिया.27 जुलाई को अस्पताल से घर लौट गई.

3. 29 जुलाई को दर्द की दवाई लेने मेडिकल पर जा रही थी. तभी नवाब और सनाउल्ला उठाकर ले गये. रात को सनाउल्ला के घर कमरे में बंद रखा गया. बाद में हापुड़ मदरसे में ले गये. इसके बाद बुलंदशहर में गाड़ी में बैठाया और गढ़ की और जाने लगे. दोताई गांव के मदरसे में ले गये. वहां मदरसे के हाफिज ने कहा पहले लड़की का धर्म परिवर्तन कराओ. तत्काल शपथ- पत्र तैयार कर मेरे हस्ताक्षर कर मेरा नाम बुशरा जन्नत रखा गया.

पुलिस कप्तान का कहना है

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ओंकार सिंह कहना है कि हमने वारदात को तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर खोला है. जिसके साक्ष्य पुलिस के पास हैं. सियासी दबाव के बारे में पूछने पर वह चुप्पी साध गये.

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