मेरठ (वि.सं.के) राष्ट्र को झकझोर देने वाले खरखौदा के सामूहिक दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन मामले में अदालत के समक्ष रखी चार्जशीट में सामूहिक दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन की धारा हटा दी गयी है. सिर्फ कलीम पर दुष्कर्म की धारा रखी गई है. विवेचना के दौरान ही पुलिस इस मामले पर विवादों में घिरी थी और उस पर सत्ता पक्ष के दबाव में आरोपियों को बचाने के आरोप लगे थे. चार्जशीट को लेकर विवाद न बढ़े, इसलिये पुलिस ने पहले ही विवेचना जारी है के सूत्र वाक्य का सहारा ले लिया है. पीड़िता ने बताया की पुलिस आरोपियों को बचा रही है और चार्जशीट में पुलिस द्वारा सभी आरोपियों को बचा दिया गया है. जिस तरह से विवेचक ने कई बार उसके घर आकर धमकी दी थी उससे उसे पहले ही लग रहा था कि मुल्जिमों को बचाने की कोई चाल चली जा रही है और उन्हें बचाने के लिये अफसरों के साथ ही अदालत का दरवाजा भी खटखटाया जायेगा.
तीन जुलाई को खरखौदा के एक गाँव में उक्त हिन्दू युवती ने सामूहिक दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया था. लड़की के गर्भाशय का एक हिस्सा भी ऑपरेशन कर निकाले जाने की बात सामने आयी है. चार्जशीट ने उन आरोपों को और गंभीर कर दिया है. पुलिस ने विवेचना में पीड़िता के 164 आईपीसी के बयान को दरकिनार रखते हुये सामूहिक दुष्कर्म की धारा 376घ को हटा दिया है. धर्म परिवर्तन की धारा 295क को भी हटा दिया है. एफआईआर में सभी आरोपियों का चालान बराबर धाराओं में किया गया था, लेकिन पुलिस ने चार्जशीट में पूरी कहानी को ही बदल दिया है. पुलिस ने तर्क दिया है कि सिर्फ अकेले कलीम ने ही युवती के साथ दुष्कर्म किया है. बाकी सभी आरोपियों को घर से भगाने और शपथ-पत्र बनवाने का दोषी माना गया है. इतना ही नहीं युवती की फेलोपियन ट्यूब निकालने तक का चार्जशीट में जिक्र तक नहीं है. मास्टरमाइंड सनाउल्ला और प्रधान नवाब को पुलिस ने छेड़छाड़ और धोखाधड़ी की मामूली धाराओं में आरोपी बनाया है. इन गंभीर आरोपों का पुलिस की चार्जशीट में जिक्र तक नहीं है-
1. गर्भवती होने पर अल्ट्रासाउंड करने वाली डॉक्टर सरिता जैरथ का मुकदमे में जिक्र तक नहीं.
2. गर्भाशय के फेलोपियन ट्यूब निकालने के मामले में कलीम के परिवार के अन्य लोगों को आरोपी नहीं बनाया.
3. होटल स्वामी ने बिना आइडी के लिये कमरा किराये पर दिया था. चार्जशीट में कोई जिक्र नहीं है.
4. नवाब की बेटी सना ने भी पीड़िता को गुमराह किया.