चित्रकूट. कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन है. लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशानी रोजाना काम कर परिवार चलाने वाले लोगों को हो रही है. चित्रकूट क्षेत्र की सामाजिक संस्थाएं व व्यापारी वर्ग एवं सामाजिक कार्यकर्ता तथा विभिन्न मंदिरों के माध्यम से गरीबों के लिए रोजाना भोजन सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है.
दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट द्वारा 15 किलोमीटर दूर जंगल में टाटी घाट पर साधनारत साधु-संतों को राशन सामग्री की 50 किट तैयार करके वितरित की गई, जो जंगल में ही दूर-दूर अपनी कुटिया बनाकर भगवान की उपासना में लीन है. सही मायने में ये वही संत हैं, जो दुनिया की मोह माया से विरक्त होकर, प्रभु श्रीराम की कर्मभूमि चित्रकूट की महिमा के उपासक बने हैं.
राशन सामग्री की प्रत्येक किट में 10 किलो आटा, 5 किलो आलू, 3 किलो दाल, एक पैकेट नमक, एक बोतल सरसों का तेल, मसालों के साथ उपवास के लिए 1 किलो गुड़, 1 किलो मूंगफली दाना तथा पूजा हेतु अगरबत्ती माचिस रखी गई है.
दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन रोजाना सियाराम कुटीर परिवार की अपनी टीम के साथ चित्रकूट के जंगल के स्थानों सती अनुसुईया आश्रम, टाटी घाट, स्फटिक शिला के साथ पूरे परिक्रमा मार्ग में पहुंचकर बंदरों एवं निराश्रितों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं.
पूज्य साधु-संत जो किसी के सामने मांगते नहीं हैं, ऐसे में सभी को मिलकर उनकी न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए. यह महामारी पूरे विश्व में, अपने देश में एक आपदा बनकर आई है. ऐसे समय में प्रत्येक व्यक्ति को एक जागरूक नागरिक के नाते एक दूसरे की मदद के लिए आगे आना चाहिए. उनको पशु-पक्षी, असहाय-नि:सहाय सबकी सेवा करनी चाहिए. जिसकी जितनी क्षमता है, यथाशक्ति मदद के लिए आगे आएं.