करंट टॉपिक्स

जमातों पर लगे बैन, तभी देश में होगा अमन-चैन

Spread the love

सूर्यप्रकाश

धर्मशाला. दिल्ली से यूपी के बांदा जिले के एक गांव में पहुंचे मुस्लिम परिवार के कुछ युवकों की कोरोना जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संपर्क किया तो गाली देते हुए बोले, यह मोदी की चाल है कि हमें परेशान किया जाए. कोई बीमारी नहीं है. पोलियो की वैक्सीन को लेकर भी ऐसी बातें अकसर सामने आती थीं कि सरकार मुस्लिमों को नपुंसक बनाना चाहती है कि हमारी आबादी न बढ़े. इन बातों को पढ़कर आप हंस सकते हैं कि यह कैसी मूर्खतापूर्ण बात है, लेकिन मूर्खता की आड़ में कोई एजेंडा चल रहा हो तो क्या कहें? आखिर हर चीज से समस्या एक ही समुदाय के ज्यादातर लोगों को क्यों होती है. कश्मीर में सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षाबलों पर पत्थर बरसाने से लेकर मुरादाबाद में जान बचाने वाले डॉक्टरों पर हमला एक ही तर्ज पर क्यों होता है? सीएए को बिना समझे उपद्रव क्यों होता है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आप तब तक नहीं पा सकते, जब तक इन घटनाओं को सिर्फ समाचार मानकर पढ़ेंगे.

दरअसल एक पूरा तंत्र इन अफवाहों को लेकर एक्टिव रहता है, जिन्हें हमेशा यह डर रहा है कि कोई मुस्लिम परिवार फतवे, मस्जिद के ऐलान और मुफ्ती साहब की अपील से इतर कुछ न सोच ले. शाहबानो से शाहीन बाग तक कट्टरपंथी मौलानाओं और कांग्रेस समेत कई दलों के नेताओं का एक सिंडिकेट एक्टिव रहता है. यह सिंडिकेट ऐसी अफवाहों को मौलानाओं के बूते बल देता है और फिर कौआ कान ले उड़ा की तर्ज पर बवाल मच जाता है. मौलाना साद इसका एक उदाहरण है, ऐसे तमाम फसादी देश के हर शहर में हमेशा ही सक्रिय रहे हैं. इन्हीं के चलते नागरिकता देने वाले बिल को नागरिकता छीनने वाला बताकर उपद्रव मचता है. हाथ-पैरों की विकलांगता को रोकने वाली पोलियो की दवा नपुंसकता का खतरा लगती है. कोरोना से जान बचाने के लिए आने वाले फरिश्ते दुश्मन दिखते हैं.

यही नहीं मुस्लिम समुदाय के पढ़े-लिखे और नौकरीपेशा लोग भी इस सिंडिकेट का हिस्सा बन जाते हैं. उन्हें भी यह लालच रहता है कि यदि कोई स्वतंत्र सोच विकसित हुई तो वह कैसे ओपिनियन लीडर रह जाएंगे. जरूरी है कि इस तंत्र को तोड़ा जाए. मुस्लिमों के निचले तबके से संवाद का सीधा माध्यम बने. सरकारों से किसी डील के लिए मौलानाओं की अगुवाई न हो और मुस्लिम वोटों के ठेकेदार नेताओं की. प्रशासन सीधे पहुंचे, सरकार सीधी बात करे. जैसे हिंदू परिवार एक इकाई है, ऐसे ही मुस्लिम परिवारों को भी इकाई की तरह ही डील करने की स्थिति जब तक न पैदा होगी, तब तक अफवाहों में फंसी यह दहाई उपद्रव का कारण बनेगी. तबलीगी जमात जैसी संस्थाएं अफवाह तंत्र को और मजबूती देती हैं. ऐसी जमातों पर बैन से ही देश में स्थापित होगा अमन-चैन.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *