नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने जमात ए इस्लामी को प्रतिबंधित करने के बाद संपत्तियों को सील करना शुरू कर दिया है. दूसरी ओर जमात-ए-इस्लामी (जम्मू-कश्मीर) पर प्रतिबंध व सरकार की कार्रवाई के खिलाफ श्रीनगर में महबूबा मुफ्ती और पीडीपी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. शुक्रवार को दक्षिणी कश्मीर के कई स्थानों पर छापे मारकर सुरक्षाबलों ने संगठन से जुड़े दो दर्जन से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार ‘जमात-ए-इस्लामी’ के सम्पत्तियां शुक्रवार रात को शहर और घाटी के कई इलाकों में सील कर दी गईं. साथ ही ‘जमात-ए-इस्लामी’ के बैंक खाते भी सील कर दिए गए हैं. विभिन्न जिलाधिकारियों ने भी जमात नेताओं की चल एवं अचल संपत्तियों की सूची मांगी है.
जमात-ए-इस्लामी पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है. सुरक्षाबलों ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के बाद अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तथा जमात-ए-इस्लामी जम्मू – कश्मीर के कई नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया है.
सूत्रों के अनुसार श्रीनगर में सैदपोरा, हारवान तथा बेमिना इलाके में बशीर अहमद लोन व गुलाम मोहम्मद भट के आवास संबंधित तहसीलदार की ओर से सील किए गए. बांदीपोरा व कुलगाम जिला प्रशासन ने जमात से जुड़े लोगों के आवास, दफ्तर, संस्थाएं तथा चल-अचल संपत्ति सील करने के निर्देश दिए हैं. शोपियां, पुलवामा, बांदीपोरा व अनंतनाग में संगठन का दफ्तर सील कर दिया गया. 70 बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं.
22 फरवरी की रात को पूरी घाटी में सुरक्षाबलों ने छापेमारी कर 150 से अधिक अलगाववादियों और पत्थरबाजों को हिरासत में लिया था. इनमें ज्यादातर जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हुए थे, जिनमें संगठन के राज्य प्रमुख अब्दुल हमीद फयाज भी शामिल थे. संगठन पूर्व में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करता था. केंद्र सरकार के अनुसार जमात न सिर्फ स्कूल, मदरसों और मस्जिदों में अलगावावाद का जहर बो रही है. बल्कि इनके बहाने आतंकवादियों को वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करवा रही है.