संयुक्त राष्ट्र. भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा की गईं ‘अस्वीकार्य टिप्पणियों’ को यह कहते हुए सिरे से खारिज कर दिया कि राज्य के लोगों ने सार्वभौमिक तौर पर स्वीकार किए लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुसार शांतिपूर्वक अपने प्रारब्ध का चयन किया है.
महासभा के पटल पर शरीफ द्वारा की गई टिप्पणियों पर जवाब देने के अपने अधिकार (राइट ऑफ रिप्लाई) का उपयोग करते हुए भारत ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र के सत्र में अपने संबोधन में ‘अवांछित संदर्भ’ दिया था.
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन में प्रथम सचिव अभिषेक सिंह ने महासभा में कहा, मैं इस सम्माननीय सदन के ध्यान में लाना चाहूंगा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने सार्वभौमिक तौर पर स्वीकार किए लोकतांत्रिक सिद्धांतों और प्रथाओं के अनुसार शांतिपूर्वक अपने प्रारब्ध का चयन किया है तथा यह सिलसिला जारी है. इसलिये हम पाकिस्तान के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि की अस्वीकार्य टिप्पणियां सिरे से खारिज करते हैं.
इससे पूर्व, संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए नवाज शरीफ ने कहा था कि कश्मीर के मुद्दे पर ‘पर्दा’ नहीं डाला जा सकता. दोनों देशों के बीच अगस्त में होने वाली विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द होने के लिये भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए शरीफ ने कहा था कि यह विवादों के हल तथा आर्थिक एवं व्यापारिक संबंधों को बनाने का एक अवसर था, जिसे एक बार फिर गंवा दिया गया.
उन्होंने कहा था, विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द होने से हम निराश हैं. विश्व समुदाय ने भी देखा है कि यह एक और गंवाया गया अवसर था. पाकिस्तान को लगता है कि हमें विवादों के हल और आर्थिक तथा व्यापार संबंध बनाने के लिये वार्ता प्रक्रिया में बने रहना चाहिये. हम शांति के लाभों की अवहेलना न करें.
अपने संबोधन में शरीफ ने कहा कि छह दशक से भी पहले संयुक्त राष्ट्र ने जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने के लिये प्रस्ताव पारित किये थे. उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर के लोग अब तक उस वादे के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं.