स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक श्री कश्मीरी लाल ने गत 22 अप्रैल को देहरादून में विश्व संवाद केन्द्र में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वदेशी जागरण मंच 28 फरवरी को जैव रूपान्तरित (जीएम) फसलों के जमीनी परीक्षण की अनुमति देने के केन्द्र सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध करता है. पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोइली द्वारा अतिरिक्त हड़बड़ी में लिया गया यह निर्णय वनस्पति, जीव व पर्यावरण के लिये अत्यंत घातक है. इसका लम्बे समय से हर ओर से विरोध हो रहा था. अचानक सब विरोधों को दरकिनार कर और इनको सरकार द्वारा केवल अवैज्ञानिक नजरिया करार देना किसी के गले नहीं उतर रहा है.
उन्होंने बताया कि विचित्र बात यह है कि तीन संवैधानिक पक्षों से इसका ठोस कारणों से विरोध किया गया है. पहला, कृषि मंत्रालय की संसदीय समिति ने लम्बी खोज व चर्चा के बाद इसको खतरनाक बताया था. दूसरे, यह सर्व विदित है कि इसी सरकार के दो पूर्व पर्यावरण मंत्रियों – जयराम रमेश व जयन्ती नटराजन – ने इसके प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं. तीसरे, सर्वोच्च न्यायालय की ओर से नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने भी इसे पूर्णतया नकारा था और लम्बे समय के लिये इसके परीक्षणों पर रोक की सिफारिश की थी. अब सरकार द्वारा कानूनी रूप से बचने के लिये इसे नीतिगत फैसला करार देकर इसे अनुमति देना देश के साथ छल है. जनता के स्वास्थ्य व कृषि सम्पदा से खिलवाड़ करने वाला फैसला इतनी जल्दबाजी में बिल्कुल नहीं लिया जाना चाहिये था. वैसे भी अपना कार्यकाल लगभग पूरा कर चुकी सरकार को ऐसा दूरगामी प्रभाव डालने वाला निर्णय लेना नैतिक रूप से भी गलत है. मंच को शक है कि मौंसेंटो जैसी बहुराष्ट्रीय कृषि कम्पनियों के दवाब में आकर ऐसा निर्णय लिया गया है और देशहित को पूरी तरह ताक पर रखा गया है.
उन्होंने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच इसके विरुद्ध जगह-जगह गोष्ठियां, जनजागरण व विरोध प्रदर्शन कर रहा है और इसी निमित्त आगामी एक जून को पानीपत (हरियाणा) में एक राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला मंच द्वारा आयोजित की जायेगी. इसमें देशभर से प्रख्यात कानूनविदों, कृषि विशेषज्ञों व सामाजिक संगठनों के साथ विचार-विमर्श कर रणनीति तय की जायेगी.
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री कृपाशंकर, मंच के मेरठ-उत्तराखण्ड प्रदेश के सह संयोजक श्री विपिन कुमार आदि उपस्थित थे.
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