रविंद्र सिंह भड़वाल
धर्मशाला
आज दुनिया के 190 से ज्यादा देश कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं. इनमें से कुछ देश गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. लगभग 137 करोड़ की आबादी वाले भारत में भी कोरोना लगातार अपने पैर पसारता जा रहा है. हालांकि शासन-प्रशासन के कड़े फैसलों और जनता द्वारा लॉकडाउन का जिम्मेदारी के साथ पालन करने से भारत में स्थिति अभी भी इतनी भयावह नहीं हुई है, जिसकी कुछ विशेषज्ञ कल्पना कर रहे थे. इस सबके बावजूद कई लोग चयनित घटनाओं या फर्जी सूचनाओं का इस्तेमाल करते हुए लोगों के मन में कोरोना के प्रति डर और अनिश्चितता का माहौल बनाने पर तुले हुए हैं. इस अभियान में कांग्रेस पार्टी भी लगातार सक्रिय है, जो संकट की इस घड़ी को भी वोट कमाने का एक अवसर मानते हुए सच-झूठ की राजनीति पर उतारू है. कोरोना से निपटने में देश को तैयार करने के बजाय इसकी ऊर्जा दिन-रात इसी रणनीति के क्रियान्वयन में खप रही है कि किस तरह से केंद्र सरकार के प्रयासों को कमतर करके दिखाया जाए. कांग्रेस की इस संकीर्ण राजनीति को कुछ उदाहरणों की सहायता से समझने की कोशिश करते हैं.
सबसे ज्यादा पीड़ित भारत, दुष्प्रचार की नाकाम कोशिश –
यह साबित करने के लिए कि भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार किस तरह से कोरोना से निपटने में विफल हुई है, कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट किया. इसमें यह साबित करने का प्रयास किया गया कि किस तरह से भारत में कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. यह ट्वीट जारी करते हुए कांग्रेस कहती है, ’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिलकुल सही कहा था कि वह भारत को वर्ल्ड लीडर बनाएंगे. हालांकि उन्होंने यह कभी स्पष्ट नहीं किया कि वह भारत को वर्ल्ड लीडर किसमें बनाना चाहते थे.’ इस ट्वीट में एक चार्ट भी पोस्ट किया है कि, भारत कोरोना पॉजिटिव पीड़ितों की संख्या में किस तरह से आगे निकल गया है.
हालांकि कांग्रेस अपने फैलाए दुष्प्रचार में खुद ही फंस गई. अपनी बात को साबित करने के लिए इसने एक गलत चार्ट चुन लिया. इस चार्ट में यह दिखाने का प्रयास किया गया कि पाकिस्तान, इंडोनेशिया, सिंगापुर और जापान की तुलना में कोरोना संक्रमण का कहर भारत में ज्यादा है. यह एक निराधार तथ्य है कि दुनिया भर में कोरोना के मामले में भारत ’लीडर’ की भूमिका में है.
वर्ल्डमीटर्स वेबसाइट के अनुसार 13 लाख मामलों के साथ अमरीका इस मामले में ’वर्ल्ड लीडर’ बना हुआ है, जबकि भारत में केवल 60 हजार के करीब मामले सामने आए हैं. इसके अलावा 13 अन्य देशों में भारत से ज्यादा मामले सामने आए हैं, तो फिर भारत इस मामले में वर्ल्ड लीडर कैसे बन गया? दूसरी तरफ बड़ी आबादी वाले भारत में प्रति एक लाख लोगों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बहुत कम है. प्रति लाख लोगों पर कोरोना संक्रमितों की संख्या भारत में 35.2, इंडोनेशिया में 45.21, जापान में 53.77, पाकिस्तान में 103.1 और सिंगापुर में 1292.58 है. इस लिहाज से कांग्रेस ने ट्वीट के साथ जिस चार्ट का उल्लेख किया था, वो भी झूठ साबित होता है. कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए जो चक्रव्यूह रचा, अंततः वह खुद उसमें फंसती हुई नजर आ रही है. कोरोना संकट के समय सूचनाओं का इस कद्र दुष्प्रचार कोरोना से सरकार की लड़ाई को कमजोर करने के साथ-साथ जनता को भ्रमित करने वाला है.
आरोग्य सेतु ऐप पर अपुष्ट सवाल –
कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए भारत सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप को लॉन्च किया था. इस ऐप को अभी तक 9 करोड़ से अधिक लोग डाउनलोड कर चुके हैं. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने दावा किया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव संबंधी जानकारी देने के लिए सरकार द्वारा जारी आरोग्य सेतु ऐप दुनिया में सबसे अधिक डाउनलोड होने वाली स्वास्थ्य सेवा ऐप बन गई है. इसकी लोकप्रियता और कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी जल्द ही आरोग्य सेतु जैसा ऐप लॉन्च करने जा रहा है, जिसमें वो सारी तकनीकी खासियतें होंगी, जो आरोग्य सेतु में हैं. भारत के अलावा फिलहाल ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम वायरस को ट्रेक करने वाला ऐप लॉन्च कर चुके हैं.
भारत सरकार ने कोरोना के खिलाफ अपनी अब तक की लड़ाई में जो सबसे कारगर कदम उठाए हैं, उनमें आरोग्य सेतु ऐप भी शामिल है. लेकिन राहुल गांधी ने बिना किसी प्रामाणिक साक्ष्य के इस ऐप पर सवाल उठाकर लोगों को भ्रमित करके लड़ाई को कमजोर करने का कार्य किया. राहुल गांधी ने कहा, ’आरोग्य सेतु ऐप एक जटिल निगरानी प्रणाली है, जो एक प्राइवेट ऑपरेटर के लिए आउटसोर्स है, जिसमें कोई संस्थागत निरीक्षण नहीं है. इससे गंभीर डेटा सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी चिंताएं बढ़ती हैं. तकनीक हमें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है, लेकिन नागरिकों की सहमति के बिना उनको ट्रैक करने के लिए डर का फायदा नहीं उठाया जाना चाहिए.’
इस ऐप के प्रति लोगों में अविश्वास की भावना पैदा न हो, इसके लिए उनके इस निराधार आरोप का जवाब स्वयं केंद्रीय मंत्री को देना पड़ा. केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोग्य सेतु ऐप को निजी ऑपरेटर को आउटसोर्स किए जाने को खारिज करते हुए कहा कि इसमें डाटा सुरक्षा की ठोस व्यवस्था है. केंद्रीय मंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, श्रीमान गांधी, वक्त आ गया है कि आप अपना ट्वीट ऐसे लोगों को आउटसोर्स करना बंद कर दें, जिनको भारत की समझ ही नहीं है. उन्होंने कहा कि इस ऐप की दुनियाभर में सराहना की जा रही है, जिसे सरकार ने कोरोना वायरस से लड़ाई में एक महत्वपूर्ण हथियार बताया है.
मजदूरों से ट्रेन किराए का झूठ –
लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को घर वापस लाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई गईं. राज्यों की मांग पर केंद्र सरकार ने ट्रेन से मजदूरों और दूसरे लोगों को वापस लाने की अनुमति दी थी. इस प्रयास के तहत हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने राज्य वापस लौट रहे हैं. इस स्पेशल ट्रेन का किराया केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वहन कर रही है. स्पेशल ट्रेन में घर जाने वाले मजदूरों को कोई किराया नहीं देना पड़ रहा है, साथ ही यात्रा की समयावधि के अनुसार श्रमिकों को भोजन पानी भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह कह कर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की कि पार्टी घर वापस जाने वाले मजदूरों का किराया वहन करेगी. कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया, ’कांग्रेस अध्यक्षा, श्रीमती सोनिया गांधी का बयान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी.’
इसके बाद एंटोनियो माइनो गांधी के सुपुत्र राहुल गांधी ने मोर्चा संभाल लिया. उन्होंने ट्वीट करके पूछा, ’एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है, वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है. जरा ये गुत्थी सुलझाइए!’
सवाल उठता है कि जब इस ट्रेन में मजदूरों से कोई किराया नहीं लिया जा रहा है तो कांग्रेस ने इस तरह प्रोपगेंडा फैला कर लोगों को गुमराह करने का प्रयास क्यों किया? जबकि रेलवे ने भी साफ कहा था कि इस श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए टिकट की बिक्री नहीं होगी, इसलिए टिकट खरीदने के लिए मजदूरों को स्टेशन आने की जरूरत नहीं है. इस ट्रेन से वही लोग यात्रा कर सकेंगे, जिनका राज्य सरकार के पास पंजीकरण होगा व वहां से रेलवे को नाम प्राप्त होंगे.
राजनीति करना नेताओं का धर्म है. उन्हें राजनीति करने की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन कोरोना महामारी को लेकर हमारे नेताओं, खासकर कांग्रेस द्वारा झूठ फैलाकर अपनी राजनीति चमकाना कहां तक जायज है. उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए कि टीआरपी को बेचैन मीडिया का एक हिस्सा उनके इस तरह के बयानों को तेजी से प्रसारित करेगा. इससे जनता में अराजकता पैदा होने का खतरा बना रहेगा. कोरोना के इस संकट में एक भी झूठी सूचना जनता में अतिरिक्त डर एवं चिंता का माहौल पैदा कर सकती है. अतः कांग्रेस को चाहिए कि वह इस समय किसी भी सूचना को शेयर करने से पहले उसकी प्रामाणिकता को भलीभांति परख ले. इससे जहां इसके विश्वसनीयता पर कोई आंच नहीं आएगी, वहीं गलत सूचना के प्रसार से लोगों में भय का माहौल पैदा होने से भी बचा जा सकता है.