जयपुर (विसंकें). डॉ. आम्बेडकर पर अध्ययनकर्ता एवं पत्रकार किशोर भाई मकवाना ने कहा कि आम्बेडकर जी के विचारों को वामपंथियों ने बंधक बनाया. तथाकथित आम्बेडकरवादियों को आपत्ति राम जी से नहीं राम से है. किशोर भाई विश्व संवाद केन्द्र के यूथिंक यू-ट्यूब चैनल द्वारा “डॉ. भीमराव आम्बेडकर वर्तमान परिप्रेक्ष्य” विषय पर पाथेय भवन सभागार में आयोजित पैनल डिस्कशन में बोल रहे थे.
टी.वी. पत्रकार प्रतापराव के समक्ष पैनलिस्ट के रूप में अहमदाबाद के पत्रकार किशोर भाई मकवाना, सेवानिवृत्त डीआईजी व राजस्थान विश्वविद्यालय में आम्बेडकर पीठ के प्रमुख कन्हैया लाल जी बैरवा, सेवा भारती से संबंधित रीना शर्मा जी उपस्थित थीं.
उन्होंने कहा कि तथाकथित आम्बेडकरवादी लोगों को रामजी से नहीं भगवान राम के नाम से चिढ़ है जो एक संकुचित सोच का परिचायक है. डॉ. आम्बेडकर को हमेशा से ही अपने पिताजी पर गर्व रहा, इस का जिक्र वे सार्वजनिक तौर पर भी कर चुके थे. डॉ. आम्बेडकर का पूरा नाम डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर है और यह नाम पहले से प्रचलन में था. सामान्यत: महाराष्ट्र व कर्नाटक सहित अनेक राज्यों में पिताजी का नाम अपने नाम के साथ लिखा जाता रहा है. इसलिए डॉ. आम्बेडकर के पूरे नाम का विरोध करना दूषित राजनीतिक सोच का परिणाम है.
किशोऱ भाई ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि आम्बेडकर के मूल साहित्य में उनके प्रवचनों में उन्होंने कहीं भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरुद्ध कुछ भी लिखा नहीं पाया है. किशोर भाई ने डॉ. आम्बेडकर के साथ प्रधानमंत्री नेहरू के सम्बंधों पर कहा कि नेहरू से डॉ. आम्बेडकर के मतभेद थे और इसका मुख्य कारण मंत्रीमंडल के वरिष्ठ सदस्य होने के बावजूद डॉ. आम्बेडकर को उचित महत्व नहीं दिया जाना था. जिससे डॉ. आम्बेडकर अपमानित महसूस करते थे और इस बात का जिक्र डॉ. आम्बेडकर ने अपने इस्तीफे में भी किया.
डॉ. आम्बेडकर का योगदान न केवल संविधान निर्माण में, अपितु जल एवं ऊर्जा के क्षेत्रों में भी था. जब हम बात करते हैं कि हम पहले भारतीय हैं और फिर हिन्दू हैं या मुस्लिम. राष्ट्रीयता पर डॉ. आम्बेडकर ने बंबई विधानसभा में इस भाव का विरोध करते हुए कहा कि मैं पहले भारतीय हूँ, बाद में भी भारतीय हूँ और अंत में भी. कन्हैया लाल बैरवा जी ने कहा कि उन्होंने धर्म नहीं केवल पंथ बदला था. रीना शर्मा जी ने कहा कि डॉ. आम्बेडकर जी का संपूर्ण व्यक्तित्व हमारे सामने नहीं आ पाया, वे बहुत बड़े आर्थिक चिंतक व महिलाओं के उत्थान की बात करने वाले भी थे. मानविकी विषय विभागों में शोध छात्र एवं उपस्थित युवाओं ने भी आरक्षण अस्पृश्य वर्ग, जाति व्यवस्था की समाप्ति आदि पर पैनल से प्रश्न किए. कार्यक्रम का संयोजन देवयानी व्यास जी ने किया.