नई दिल्ली (इंविसंके). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विजयादशमी के अवसर पर आज टाउन हॉल स्थित कम्पनी बाग में शस्त्र पूजन किया. नए गणवेश में ऐतिहासिक चांदनी चौक, जामा मस्जिद, लाल किला, नई सड़क तथा टाउन हॉल से पथ संचलन निकला. मार्ग में प्रत्येक समुदाय के लोगों ने स्वयंसेवकों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रान्त के सह संघचालक आलोक कुमार जी ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया.
उन्होंने प्रधानमंत्री जी के शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस बार का विजयादशमी का पर्व थोड़ा विशेष है, क्योंकि उरी में जब सोते हुए भारतीय सैनिकों पर कायराना हमला हुआ तो इस बार पूरे देश ने उसका उत्तर दिया है. भगवान श्री राम चन्द्र जी का स्मरण करते हुए कहा कि श्री राम ने राक्षसों के आतंक को समाप्त करने के लिए सेना बनाई, सेना बनाने के बाद किसी एलओसी या इंटरनेशनल बार्डर की चिंता नहीं की, समुद्र पर पुल बनाकर समुद्र के पार गए और आज के दिन रावण को मार कर धरती को राक्षसों के आतंक से मुक्त किया. जितने सैनिक और सिविलियन युद्ध में नहीं मारे जाते उससे कहीं ज्यादा आतंकवाद के छदम् युद्ध में मारे गए, फिर एलओसी का क्या मतलब है. दुश्मन जहां है, वहां जाकर भारत ने पहली बार उन्हें समाप्त करने का कदम उठाया है, इसलिए इस सीमा उल्लंघन से इस बार का विजयादशमी का दिन हम सबके लिए एक विशेष आनन्द का दिन हो गया है. देश की सुरक्षा के लिए सेना के साथ समाज की एकजुटता भी आवश्यक है.
आलोक जी ने कहा कि आज से 91 वर्ष पहले 1925 में विजयादशमी के दिन पूजनीय डॉक्टर हेडगेवार जी ने कहा था कि देश की सुरक्षा, देश का स्वातन्त्र्य, देश का विकास, केवल सरकारें, सेनाएं ही नहीं करतीं, अपितु यह समाज का संगठित सामूहिक बल, एकरस समाज से प्राप्त होता है. जिससे देश परम वैभव को प्राप्त करता है. पूरे समाज को समरस करने के लिए ही आज के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना डॉ. हेडगेवार जी ने की थी.
अलोक जी ने कहा कि डॉक्टर हेडगेवार जी ने कहा था कि हम सब भारत माँ के पुत्र हैं, उसी भारत माता की कोख से पैदा हुए हैं, यह फर्क कैसे हो सकता है, यह अन्तर कैसे हो सकता है. उन्होंने हम सबकी हिन्दू के नाते पहचान को मजबूत किया. जब महात्मा गांधी संघ के शिक्षा वर्ग में आए उस समय भोजन चल रहा था, कुछ लोग परोस रहे थे, पंक्ति में वितरण कर रहे थे. महात्मा गांधी ने अप्पाजी जोशी से पूछा यह कौन सी जाति के लोग हैं. अप्पाजी को पता ही नहीं था, उन्होंने कहा हिन्दू हैं, इतना ही मालूम है, जाति मालूम नहीं है, पूछते भी नहीं हैं. अब उस समय के वातावरण में जाति नहीं पता, ऐसा सोचना भी बड़ा मुश्किल काम था. महात्मा गाँधी जी को नहीं पता था, महात्मा गांधी ने पूछा तुम में से महार कोई हो तो खड़े हो जाओ. खाना खाने वाले, खाना बांटने वालों में से जो महार स्वयंसेवक थे वो खड़े हो गए. खाना बांटने वाले भी, महात्मा गांधी जी विश्वास नहीं कर सके कि यह परोस रहे हैं और बाकी लोग खा रहे हैं. कहने लगे अप्पाजी जो काम मैं नहीं कर सका, डॉ. हेडगेवार ने कैसे किया. इसलिए आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश का ही नहीं विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है. संघ में एक समरस समाज है, भारत माता के पुत्र के नाते से काम करते हैं. इसलिए संघ द्वारा देश में 1 लाख 52 हजार स्थानों पर सेवा के अनेकानेक प्रकल्प चल रहे हैं. किसी भी तरह के संकट में सबसे पहले स्वयंसेवक ही सहायता के लिए पहुँचते है.
आलोक जी ने देश में व्याप्त गरीबी पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि देश में राजनीतिक लोकतंत्र तो है, लेकिन आर्थिक लोकतन्त्र है क्या, कैसी भयंकर गरीबी है, कैसी अशिक्षा है. इस वर्ग के बच्चों के लिए 50 हजार से ज्यादा गांवों में एकल विद्यालय संघ द्वारा संचालित हो रहे हैं. जहाँ शिक्षक पूरे समय वहां रहते हैं. यह एकल विद्यालय उन बच्चों के लिए नहीं है जो स्कूल जाते हैं. यह एकल विद्यालय उन बच्चों के लिए है जो स्कूल नहीं जा सकते. खेत में काम करते हैं, दुकान पर काम करते हैं, मजदूरी करते हैं, चाय की पत्ती तोड़ते हैं, सुखाते हैं. यह बच्चे अपनी सुविधा से जब समय मिलता है, तब वहां पढ़ने आते हैं. अपनी तपस्या के कारण एकल विद्यालय के शिक्षक उस क्षेत्र की सारी सामाजिक गतिविधियों का केन्द्र बन जाते हैं.
उन्होंने कहा कि जो स्थिति डॉ. आम्बेडकर के समय थी वैसी स्थिति तो आज नहीं है, लेकिन छुआछूत देश से अभी तक समाप्त नहीं हो पाया है. आलोक जी ने ध्यान दिलाया कि पू. सरसंघचालक ने इस वर्ष सामाजिक समरसता और परिवार प्रबोधन का बताया है. प्रत्येक परिवार को एक वचन देना होगा कि हफ्ते में एक बार एक घंटे भोजन के समय सारा परिवार इकट्ठा रहेगा और उस समय टेलीविजन और फोन बंद कर देगा. अपने परिवार का हिन्दुत्व बनाये रखो. अपने जीवन को संयमित करना, अपनी आवश्यकताओं को संयमित करना, अपने कामों में समाज का विचार करना. हिन्दू स्वभाव तो सबका विचार करता है, पहली रोटी माँ-बाप के लिए नहीं, भगवान के लिए भी नहीं, पहली रोटी गाय के लिए निकालता है. मैं हिन्दू हूं, इसका अर्थ क्या है, मेरा परिवार, इसमें परिवारभाव का विकास इसके लिए क्या करना, और पूरे समाज का ऐसा अभेद संगठन खड़ा करना कि अजेय शक्ति हो, शील हो, बल हो, और इसके आधार पर इस राष्ट्र का परम वैभव हम अपने जीवन में, अपनी आंखों के समक्ष देखें.
करोलबाग जिले के पांच नगर- चांदनी चौक नगर, रामनगर, पहाड़गंज नगर, गोविन्द नगर और करोलबाग नगर के 550 स्वयंसेवक शस्त्रपूजन तथा पथ संचलन में सम्मिलित हुए. इस अवसर पर प्रान्त प्रचारक हरीश जी, रामलाल जी मुख्य रूप से उपस्थित थे.