भोपाल (विसंके). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत संगठन का मूल उद्देश्य है – समाज में धर्म आधारित उद्योग/व्यापार की नींव खड़ी करना, ताकि किसी भी ग्राहक के साथ अन्याय न हो. जब मैं दूध का व्यापारी होता हूँ तो मुनाफे के लिए मुझे किसी भी सीमा तक छूट चाहिए, लेकिन वहीं जब मैं अन्य वस्तुओं की प्राप्ति के लिए एक ग्राहक की भूमिका में रहता हूँ तो सामने वाले व्यापारियों से अपेक्षा करता हूँ कि वे मुझे दाम के अनुरूप श्रेष्ठतम् चीज उपलब्ध कराएं. वास्तव में यहां आता है धर्म. जब आप अपने व्यापार को धर्म आधारित अर्थ से जोड़कर करते हैं तो वह उपभोक्ता के साथ ग्राहक के साथ न्याय करना है और इसी न्याय की प्राप्ति समाज करे, यही देखना एवं दिखना ग्राहक पंचायत का काम है.
सह सरकार्यवाह जी अ.भा. ग्राहक पंचायत के चतुर्थ प्रादेशिक अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. समन्वय भवन में आयोजित अधिवेशन के दूसरे दिन उन्होंने कहा कि मैं मनुष्य हूँ, यह विचार धर्म से आता है. इसलिए भारतीय जीवन पद्धति में धर्म आधारित अर्थोपार्जन की बात कही गई है. चाणक्य कहते हैं कि धर्मस्य मूल अर्थ: अर्थात धर्म का मूल अर्थ है, जो कार्य धर्म के विरुद्ध हो, वह कार्य नहीं करना चाहिए. अत: व्यापार धर्म आधारित होना चाहिए. चाणक्य यह भी बताते हैं कि राज्य के लिए कर की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जैसे फूल में से मधुमक्खी मधुकण निकाल लेती है और उस फूल को इसका पता भी नहीं चलता. राजा को अपनी प्रजा के साथ टैक्स के स्तर पर ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए. इसी प्रकार की व्यवस्था व्यापारी और एक ग्राहक के बीच होनी चाहिए. जिसके बाद कोई स्वयं को ठगा महसूस नहीं करेगा.
दत्तात्रेय जी ने कहा कि ग्राहक पंचायत का ध्येय वाक्य कहता है कि ‘’ग्राहक: एव राजा’’. लेकिन आज वह इस पद से च्युत हो गया है, क्योंकि ग्राहकों को संगठित करना सबसे अधिक कठिन कार्य है. पर, यहां एक व्यापारी भी भूल जाता है कि वह भी कहीं न कहीं ग्राहक है. यदि वह किसी के साथ अन्याय करेगा तो कहीं उसके साथ भी अन्याय हो सकता है. इसलिए व्यापारी इस नाते यदि कोई ग्राहक उसके पास किसी सामग्री की खरीद करने आता है तो वह पूरी ईमानदारी से सही वस्तु ही सामने वाले को दे, यही आज की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि कानून की व्यवस्था का अपना महत्व हो सकता है. लेकिन समाज तो अपनी धर्म आधारित स्वत: प्रेरित व्यवस्था से चलता है. इसे इसी मनुष्यता के आधार पर चलते रहना चाहिए, क्योंकि इसमें विकृति आते ही समूची व्यवस्था में कमी आ जाती है. व्यापार का समूचा तंत्र उत्पादन, व्यापारी, शासन और ग्राहक इन चार बिन्दुओं पर टिका है. इसलिए एक व्यवस्थित अर्थायाम के आधार पर पॉलिसी से सभी कुछ नियंत्रित हो, यह आज की आवश्यकता है. पं. दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानव दर्शन में यही बात बहुत सहज ढंग से व्यक्त की है. वास्तव में यदि मनुष्य का विकास हो जाए तो बाकी सभी कुछ सहजता से पूरा हो जाता है. स्वामी विवेकानन्द ने भी मनुष्य बनने पर जोर दिया है, वे बार-बार यही कहते हैं मनुष्य बनो. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चार पुरुषार्थ आधारित मनुष्य जीवन हम सभी का बने, वास्तव में यही कार्य खड़ा करना ग्राहक पंचायत का कार्य है और जिसे वह बहुत ही तन्मयता के साथ पूरा भी कर रही है. इस कार्य में ग्राहक अधिक से अधिक संगठन के साथ जुड़ें और किसी के साथ भी कोई अन्याय न हो, आज के दिन यही मेरी कामना है.
अ.भा. ग्राहक पंचायत अधिवेशन में वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय एकता समिति के उपाध्यक्ष महेश श्रीवास्तव जी ने कहा कि विज्ञापनों के झांसे में न आएं. ताकत बढ़ाने, बालों को काला करने, चेहरे को गोरा बनाने का प्रलोभन देने वाले विज्ञापनों से सावधान रहें. ग्राहक खुद ही परोक्ष या अपरोक्ष रूप से अपना शोषण करा रहे हैं. समयाभाव के कारण उपभोक्ता शोषण की शिकायत करने नहीं जा पाते हैं और इसी का फायदा उठाया जाता है. हम व्यापारिक यातनाएं सहन करते हैं, पर कुछ करते नहीं. आए दिन गलत विज्ञापनों के बारे में समाचार पत्रों में पढ़ने को मिलता है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि कृत्रिम शक्ति सदैव नहीं रहती, वह उत्तेजात्मक प्रभाव के साथ समाप्त हो जाती है. हमने जितनी नैतिकता और राष्ट्रीयता कम की है, उतनी ही विद्रुपताएं पैदा हो रही हैं. धर्म और राष्ट्रीयता से ही शोषण मुक्त समाज हो पाएगा. उन्होंने कहा कि ग्राहक पंचायत को इस बात के लिए बधाई दी जा सकती है कि वह शोषण मुक्त समाज बनाने के लिए प्रयास कर रही है. शोषण एकांगी नहीं होता, यदि मैं नहीं समझता हूं कि मेरा शोषण हो रहा है तो मैं जीवन भर अपना शोषण करवाता रहूंगा. इसलिए समझने की बात यह भी है कि शोषण को पहचाना जाए. वास्तव में यह पंचायत यही कार्य कर रही है कि कैसे अंधेरे में रखकर विज्ञापन ग्राहकों का शोषण करते हैं. उन्होंने कहा कि न्याय देने वालों के प्रति अविश्वास की भावना आज होती जा रही है. यही अविश्वास उपभोक्ता को न्यायालय जाने से रोकता है. ऐसे में यदि किसी को कोई असमंजस है तो वह एक बार अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के कार्यालय में अवश्य आए या उसे इससे संबंधित कोई सही जानकारी चाहिए तो वह किसी कार्यकर्ता से अवश्य ही संपर्क करे. मुझे उम्मीद है कि उपभोक्ता को सही दिशा अवश्य मिलेगी. यही समाज कार्य आज ग्राहक पंचायत की ताकत है.