नोएडा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री अशोक बेरी ने संघ परिचय वर्ग कार्यक्रम के समापन सत्र में आये नये युवा बंधुओं को संबोधित किया. कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुये श्री अशोक बेरी ने नवागत बंधुओं की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुये संघ की स्थापना, मीडिया में संघ के प्रति दुष्प्रचार, आम समाज में संघ के प्रति धारणा को स्पष्ट किया.
उन्होंने क्रांतिवीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन का उदाहरण देते हुये बताया कि किस तरह उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक 1857 का स्वातंत्र्य संग्राम से करोड़ों देशवासियों को स्वतंत्रता आंदोलन के लिये काम करने की प्रेरणा मिली. इस पुस्तक की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने पुस्तक के प्रकाशन से पूर्व ही इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया था. सावरकर ने हिंदुत्व ही नहीं राष्ट्र की अस्मिता की भी रक्षा की, जिसका परिणाम निकला कि जेल में बंद कैदियों के मन से निराशा का भाव समाप्त हुआ तथा उनके मन में देश की आजादी का भाव और मजबूत हुआ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गाजियाबाद विभाग द्वारा पांच मास में जॉइन आरएसएस के माध्यम से 500 से अधिक बंधुओं से संपर्क किया गया, जिनमें से 200 लोगों ने संघ से जुड़ने का संकल्प लिया.
सह प्रांत प्रचार प्रमुख ललित कुमार ने बताया कि आज संघ के प्रति युवाओं में आकर्षण बढ़ रहा है और वह देश के लिये कुछ करना चाहता है. क्षेत्र प्रचारक आलोक कुमार ने ऐसे युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि अपनी रूचि के अनुसार स्वयं कार्य का चयन कर समाज की सेवा करें तथा राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दें. इन नये युवाओं को देश में सेवा कार्य करने के लिये विभिन्न कार्यों की जानकारी दी.
वर्ग के उद्घाटन सत्र में कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए क्षेत्र प्रचारक श्री आलोक कुमार ने सामाजिक जीवन में काम करने के लिये विभिन्न घटनाओं का उल्लेख करते हुये आगंतुक बंधुओं को संघ से जुड़ने की प्रेरणा दी. उन्होंने बताया कि किस प्रकार एक व्यक्ति ने समाज का कार्य करने हेतु अपना जीवन उसमें लगाया. नागपुर के एक अधिवक्ता का उदाहरण देते हुये क्षेत्र प्रचारक ने बताया कि पारथी समुदाय के विकास के लिये उन्होंने किस तरह से बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिये हॉस्टल शुरू किया. अधिवक्ता ने पिछड़े तबके के इन बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ किया. उनकी वर्षों की अथक मेहनत का परिणाम यह निकला की कि आज पारथी समुदाय के बच्चे शिक्षित होकर विभिन्न पेशों में नौकरी कर रहे हैं. इस प्रकार से पारथी समुदाय में व्याप्त कई कुरीतियों को उन्होंने समाप्त करने का महत्वपूर्ण काम किया.
इसी प्रकार उन्होंने मेरठ के कर्मठ स्वयंसेवक कृष्णचंद्र गांधी का उदाहरण देते हुये बतातया कि किस तरह उन्होंने एक छोटे से विद्यालय की शुरुआत की, जो आज अखिल भारतीय संस्थान के तौर पर अपनी पहचान बना चुका है. इस संस्थान के माध्यम से बड़ी संख्या में बच्चे प्रति वर्ष शिक्षा प्राप्त करते हैं. आलोक कुमार ने नवागतों से इन उदाहरणों से सीख लेने का आह्वान किया ताकि हम भी राष्ट्र व समाज के विकास हेतु अपनी क्षमताओं के अनुसार योगदान दे सकें. कार्यक्रम का संचालन अवधेश कुमार ने किया. एकलगीत पदमसिंह व कार्यक्रम के संयोजक महेश कुमार ने आभार व्यक्त किया.