मेरठ. होली का त्यौहार हमारी सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक एवं भारतीयता का प्रतीक है. होली का पर्व भारत में 2400 वर्षों से अधिक समय से मनाया जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार एवं आईआईएमटी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र मिश्र ने विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित ‘पत्रकार होली मिलन समारोह’ में संबोधित किया. उन्होंने कहा कि आज ही भारत के विभिन्न प्रदेशों में होली को अलग-अलग स्वरूपों के साथ मनाया जाता है.
राष्ट्रदेव के सम्पादक एवं वरिष्ठ पत्रकार अजय मित्तल ने होली के ऐतिहासिक महत्व के संबंध में बताते हुए कहा कि मुल्तान (वर्तमान पाकिस्तान में) से होली का आरम्भ हुआ था. दो मूल दैत्य हिरण्यकश्यप व हिरण्याक्ष नामक दैत्य राजाओं की राजधानी मुल्तान ही थी. प्रहलाद का जन्म भी मुल्तान में ही हुआ. प्रहलाद के जीवन की रक्षा करने वाले भगवान नृसिंह का मंदिर आज भी वहां स्थित है.
पत्रकारों एवं पत्रकारिता के शिक्षक व छात्रों ने कविता पाठ एवं गीतों की प्रस्तुति दी. लोकेश धामा ने अपनी रागिनी के माध्यम समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का आह्वान किया. उन्होंने अपने रागिनी के शब्दों ‘बहन मैंने कही नहीं जाती मेरे घर में आ गए चार बाराती’ के माध्यम से कार्यक्रम में उपस्थिति लोगों को रोमांचित किया. वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार ने कविता के माध्यम से वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर कटाक्ष किया. कार्यक्रम में सुभारती विश्वविद्यालय पत्रकारिता के अध्यक्ष डॉ. नीरज चरण सिंह ने देशभक्ति गीत की प्रस्तुति की. राजन स्वामी ने भी एक रागिनी एवं गीत प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम का संचालन चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रशान्त कुमार ने किया तथा धन्यवाद विश्व संवाद केन्द्र न्यास के अध्यक्ष आनन्द प्रकाश अग्रवाल ने किया.