देहरादून (विसंके). उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी को डेढ़ साल बाद पर्यटकों के लिये खोल दिया गया है. फूलों की घाटी का पैदल मार्ग पिछली साल की जलप्रलय में ध्वस्त हो गया था. इसके चलते घाटी में पर्यटकों की आवाजाही को बंद कर दिया गया था. अब नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने 20 लाख की लागत से घाटी तक पहुंचने वाले पैदल मार्ग की मरम्मत करा दी है.
हालांकि 10 अक्तूबर को हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने के साथ ही फूलों की घाटी भी शीतकाल के लिये बंद कर दी जायेगी. लोनिवि के मुख्य सचिव एसएस संधू ने शनिवार को फूलों की घाटी को जोड़ने वाले पैदल रास्ते का स्थलीय निरीक्षण किया. इसके पश्चात औपचारिक तौर पर घाटी को पर्यटकों के लिये खोल दिया गया है.
बीते वर्ष 16-17 जून की जलप्रलय में पुष्पावती नदी के कटाव से तीन जगहों पर भूस्खलन होने के कारण घाटी को जोड़ने वाला पैदल रास्ता तहस-नहस हो गया था. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ राजीव धीमान का कहना है कि चालू यात्रा सीजन में भी मौसम की बेरुखी के कारण फूलों की घाटी के मार्ग के सुधारीकरण का कार्य बाधित हुआ है, लेकिन अब मार्ग को पूर्ण रूप से दुरुस्त कर लिया गया है. उम्मीद है कि अगले वर्ष पर्यटक सुगमता से फूलों की घाटी की सैर कर पायेंगे.
फूलों की घाटी के लिये जोशीमठ से 19 किमी आगे गोविंदघाट तक सड़क मार्ग से जाते हैं. यहां से घांघरिया तक 13 किमी का पैदल मार्ग है, जो पहले से ठीक था. घांघरिया से तीन किमी दूर फूलों की घाटी तक पैदल मार्ग खराब था, जिसे अब ठीक कर दिया गया है.