नई दिल्ली. पाक में हिन्दुओं पर जुल्म और अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. दिसंबर 2001 से लेकर अब तक तकरीबन साढ़े आठ सौ पाक हिन्दू शरणार्थी वहां से पलायन कर राजधानी दिल्ली आ चुके हैं. पाक सिंध प्रांत के मटियारी जिले से आये लालचंद, चंदू मल, लक्ष्मण, मुलाराम धौलीराम, चम्बा आदि ने बताया कि पाक मुसलमानों के घोर अत्याचार से वे लोग पाक छोडऩे को विवश हो गये. वहां पर रहने वाले हिन्दुओं के साथ हो रही ज्यादती के दास्तान सुनाते हुये ये सभी रो-रो कर कहने लगे कि हम मर जायेंगे पर पाक वापस नहीं जायेंगे. उनका कहना है कि उनकी बहू-बेटियों की रोज इज्जत लूटी जाती थी. जब पाक-मुस्लिमों को पता चल जाता था कि उन सबको वीजा मिल गया अब वे भारत चली जायेंगी तो उन सबके साथ भयानक अत्याचार होते थे. दक्षिणी दिल्ली के बिजवासन गांव के अंबेडकर नगर कालोनी में नाहर सिंह ने अपने दो मकानों के 42 कमरों में गत दिनों पुन: पाक से दिल्ली आये लगभग 150 हिन्दुओं को शरण दी है. पाक सिंध प्रांत से आये कई हिन्दू शरणार्थियों ने बताया कि वहां के मुसलमानों ने तो सारी हदें पार कर दी हैं. अब वहां पर हिन्दुओं के साथ हो रही बर्बरता की दास्तान सुनाने लायक नहीं. नये आये पाक हिन्दू शरणार्थियों का भय साफ झलक रहा था. उससे पूर्व भी करीब सात सौ हिन्दू शरणार्थी यहां आ चुके हैं जो अब रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली, एनसीआर में रह रहे हैं. उन सभी को भी बिजवासन गांव में नाहर सिंह ने शरण दी थी. लम्बी कानूनी प्रक्रिया के बाद उनका वीजा बढ़वाया गया. जीवन यापन के लिये विभिन्न सामाजिक संगठनों से उन सबके लिये मदद की गुहार लगायी गयी थी. नाहर सिंह का कहना है कि भारत-पाक विभाजन के वक्त उनके पूर्वज अनपढ़ थे, जिन्हें अपनी सीमा के बारे में पता ही नहीं चला और जब पता चला, तब तक काफी देर हो चुकी थी. उन्होंने कहा कि उन पाक हिन्दू-शरणार्थियों की हालत काफी शोचनीय है. पाकिस्तानी शासकों ने मुसलमानों को खुली छूट दे रखी है कि वहां रहने वाले हिन्दुओं के साथ जितना भी हो बुरा से बुरा सलूक करो. आज उसी का परिणाम है कि पाक हिन्दुओं के साथ पैशाचिकता का ऐसा नंगा नाच हुआ कि मानवता त्राहि-त्राहि कर उठी. पाक मुस्लिमों के उस वहशीपन के विरोध में सरकारी महकमा जवाब देने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार इन पीड़ित हिंदुओं की कोई सुध नहीं ले रही है, किंतु वे उनको भारत की नागरिकता दिलाने के लिये आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं. साथ ही, सरकारी स्पेशल ब्रांच में बांड भरकर राष्ट्रपति, दिल्ली के उपराज्यपाल एवं विभिन्न सरकारी विभागों को भी उनके हित में संज्ञान लेने के लिये लिख रहे हैं.