पुणे (विसंकें). अपने जीवन के स्वर्णिम वर्ष सामाजिक कार्यों हेतु देने वाले कार्यकर्ताओं के लिए ‘समाजसेवी सहायता निधि योजना’ शुरू की गई है. ये योजना जनकल्याण समिति ने आरंभ की है. सामाजिक कार्यों में अनेक वर्षों तक काम करने वाले कार्यकर्ताओं को आवश्यकता के अनुसार कुछ ना कुछ सहयोग इसके तहत किया जाएगा. जनकल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र सातालकर जी, कार्यवाह शैलेंद्र बोरकर जी ने पत्रकार वार्ता में योजना के बारे में जानकारी प्रदान की. इस अवसर पर सहायता निधि के लिए स्थायी निधि के रूप में बड़ी रकम दान करने वाले लक्ष्मणराव साने जी, हेमलता साने जी उपस्थित थे.
शैलेंद्र बोरकर जी ने कहा कि समाज में विभिन्न संस्था, संगठनों के माध्यम से कार्यकर्ता अपने जीवन का स्वर्णिम काल (20-25 वर्ष) अपने और परिवार के बारे में विचार किए बिना सामाजिक कार्यों में झोंक देते है. यह काम करते हुए उनकी कोई अपेक्षा नहीं होती. कालांतर से, आयु के चलते, वृद्धावस्था में, बीमार होने पर उन्हें वित्तीय मदद की आवश्यकता होती है. इस आयु में उन्हें नौकरी अथवा व्यवसाय करना भी संभव नहीं होता अथवा कोई कार्यकर्ता बीमार हो तो उसका व्यय भी उनका परिवार नहीं उठा सकता. ऐसे समय में समाज को ही उनके पीछे खड़े रहने की नितांत जरूरत होती है. ऐसी वित्तीय कठिनाई का सामना करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को खोजकर उन्हें वित्तीय मदद करना ही योजना का उद्देश्य है. केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार के संगठन ही नहीं, बल्कि अन्य किसी भी सामाजिक संस्था – संगठन के माध्यम से अथवा वैयक्तिक स्तर पर सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्तियों को इस उपक्रम के द्वारा मदद की जाएगी.
लक्ष्मणराव साने जी ने कहा कि निरपेक्ष भावना से समाज की सेवा करने वाले कार्यकर्ताओं के प्रति समाज को भी कृतज्ञ रहना चाहिए. उनकी बीमारी के लिए होने वाले व्यय को ध्यान में रखते हुए वृद्धावस्था में उन्हें आर्थिक मदद मिलना आवश्यक है. इस भाव को ध्यान में रखते हुए मैंने इस योजना के लिए निधि दी है. इससे कार्यकर्ताओं को नित्य और नैमित्तिक रूप से मदद मिलेगी.
लक्ष्मणराव साने जी ने अपना पूरा जीवन अत्यंत कम खर्च कर जमा की हुई पूंजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति को सौंपी है. 87 वर्षीय साने जी पुणे में शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय से प्राध्यापक के रूप में 30 वर्ष पूर्व अवकाश प्राप्त कर चुके हैं.